कलाकार- सैफ अली खान, तबू, अलाया फर्नीचरवाला, कुब्रा सैत, कुमुद मिश्रा
एकाकीपन सिर्फ एक परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करता है। अपने दोस्त को अस्पताल में देखने आए ज़ैज (सैफ अली खान) की आंखों में अकेलेपन का भय साफ दिखता है। जिसके बाद उसे परिवार की अहमियत का अंदाज़ा लगता है। ‘जवानी जानेमन’ कॉमेडी के साथ साथ कई खास मैसेज भी परोसती है। प्यार, परिवार, रिश्तेदार और जिम्मेदारी का पाठ पठाते हुए फिल्म आगे बढ़ती है।
एक 40 साल के लगभग की उम्र का सिंगल आदमी है, जो दिन में काम करता है, रात में डिस्को जाता है, शराब पीता है, रोज अलग अलग लड़कियों से रिश्ते बनाता है। उसे एक दिन झटका मिलता है कि उनकी एक 21 साल की बेटी है। इतना ही नहीं, बल्कि वह लड़की प्रेग्नेंट भी है। यानि की एक ही समय में वह पापा से नाना भी जाता है। अब इस खुलासे के बाद क्या वह अपनी बेटी और उसके बच्चे की जिम्मेदारी उठाएगा, या अपनी आज़ाद ज़िंदगी ही जीता रहेगा ?
फिल्म की कहानी
“मैं कहां से तुम्हें शादीशुदा दुखी आदमी लग रहा हूं..” जसविंदर सिंह उर्फ जै़ज (सैफ अली खान) सामने बैठी टिया (अलाया) से पूछता है। तभी 21 वर्षीय टिया उससे कहती है कि 33.33 प्रतिशत चांस है कि वो भी उसके पिता हैं। कुछ समय के लिए जै़ज को यह सब किसी सदमे की तरह लगता है। वह किसी भी तरह परिवार की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता और ना ही अपनी लाइफस्टाइल से कोई समझौता करना चाहता है। लेकिन कुछ दिनों के बाद उसे अपनी बेटी के प्रति एक अपनापन, एक लगाव हो जाता है.. जो समय के साथ बढ़ता जाता है। फिल्म में पिता- बेटी के अलावा, दो भाईयों के बीच का प्यार और दोस्तों के बीच एक सुकून की बात भी की गई है।
अभिनय
जसविंदर सिंह उर्फ जै़ज के किरदार में सैफ अली खान खूब जंचे हैं। माना जा सकता है कि इस रोल को उन्होंने पूरी सच्चाई के साथ निभाई है। वहीं, सैफ को फिल्म में बराबर सपोर्ट दिया है अलाया ने। अपनी पहली फिल्म में ही अलाया का आत्मविश्वास देखते बनता है। इमोशनल दृश्यों में भी अलाया प्रभावी लगी हैं। जै़ज के बड़े भाई के किरदार में कुमुद मिश्रा, जै़ज के दोस्तों में कुब्रा सैत और चंकी पांडे ने अपने किरदारों के साथ पूरी तरह से न्याय किया है। वहीं, बतौर गेस्ट अपीयरेंस तबू ने दृश्यों में जान डाल दी। सैफ और तबू के सीन्स काफी मजेदार बने हैं और खूब हंसाते हैं।
निर्देशन
नितिन कक्कड़ ने फिल्म की शुरुआत में ही तमाम खुलासे कर दिये हैं, लेकिन फिर भी फिल्म में कुछ खास रह जाता है। हालांकि फर्स्ट हॉफ बेहद धीमा है और एक वक्त के बाद बोर करता है, लेकिन दूसरे हॉफ में फिल्म वापस से उठती है। तबू और सैफ अली खान के बीच के दृश्य बेहतरीन है और दिलचस्पी जगाते हैं। लेकिन वह काफी कम समय के लिए रहता है। फिल्म हिस्सों में मजेदार है, लेकिन लगातार 2 घंटों तक आर्कषित नहीं कर पाती। यह अलाया की पहली फिल्म है, लिहाजा निर्देशक ने उन्हें चमकने का पूरा मौका दिया है.. और अलाया ने उस मौके का फायदा भी उठाया है। खास बात है कि कॉमेडी के साथ साथ निर्देशक ने कई मैसेज भी देने की कोशिश की है.. परिवार को लेकर, एकाकी जीवन को लेकर, पर्यावरण को लेकर.. जो कि शायद ही दर्शकों तक पहुंचे।
तकनीकि पक्ष
फिल्म की कहानी लिखी है हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने। कह सकते हैं कि यह थोड़ी और मजबूत हो सकती थी। वहीं, मनोज कुमार खटोई की सिनेमेटोग्राफी बढ़िया है। फिल्म को खूबसूरत बनाने का क्रेडिट इन्हें दिया जा सकता है। जबकि सचिंदर वत्स की एडिटिंग को थोड़ी और चुस्त होने की जरूरत थी।
संगीत
फिल्म में म्यूजिक दिया है गौरव- रोशिन, तनिष्क बागची और प्रेम- हरदीप ने। फिल्म में सिर्फ चार गाने हैं, जिनमें से दो गाने रिक्रिएट किये गए हैं.. सैफ अली खान पर फिल्माया गया ‘ओले ओले..’ और ‘गल्लां कर दी’। फिल्म कुल 1 घंटे 55 मिनट की ही है, लिहाजा गानों को भी ज्यादा समय नहीं दिया गया है। गाने कहानी या किरदार के साथ साथ ही चलते जाते हैं। फिल्म का संगीत एवरेज से ऊपर रहा है। हालांकि चर्चित नहीं हो पाया है।
देंखे या ना देंखे
इस वीकेंड कुछ ना कर रहे हों तो ‘जवानी जानेमन’ जरूर देखी जा सकती है। रिश्तों पर बनी यह एक अच्छी कहानी है। सैफ अली खान और अलाया ने पिता- बेटी की जोड़ी में बेहतरीन परर्फोमेंस दिया है। फिल्मीबीट की ओर से ‘जवानी जानेमन’ को 2.5 स्टार।