जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास के नए युग की शुरुआत हो चुकी है। याद हो यह बात बजट सत्र से पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में संबोधित करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कही थी। उन्होंने कहा था, आजादी के अमृत काल में एक भारत श्रेष्ठ भारत के हमारे संकल्प के आधार पर आज लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। जो राज्य और क्षेत्र उपेक्षित छूट गए थे, आज देश उनके लिए विशेष प्रयास कर रहा है। इस संबंध में राष्ट्रपति कोविंद ने आगे जोड़ते हुए कहा, जम्मू कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में विकास के नए युग का आरंभ इसका बड़ा उदाहरण है। साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए लगभग 28 हजार करोड़ रुपए की लागत से नई सेंट्रल सेक्टर स्कीम शुरू की है। आइए अब विस्तार से जानते हैं…
1.41 लाख परियोजनाओं के लिए 27,274.00 करोड़ रुपए
जम्मू और कश्मीर में 1.41 लाख परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 2019 से 27,274.00 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की गई है। इससे जम्मू-कश्मीर में विकास को नई रफ्तार मिल गई है। ऐसे में अब यह कहना गलत नहीं होगा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद वहां की तस्वीर बदल चुकी है। जी हां, केंद्र सरकार के प्रयासों से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का “एक देश, एक विधान, एक निशान” का सपना भी आज साकार हो चुका है। आजादी के 70 साल बाद इस सपने के पूरा होने का ही नतीजा है कि आज जम्मू-कश्मीर दिन दोगुनी रात चौगुनी तेजी से विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू कश्मीर और लद्दाख अब देश के बाकी हिस्से के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। इससे पहले देश के लिए अधिकतम जो स्कीम बनती थी या जो भी कानून बनते थे, उनमें लिखा होता था-Except J and K. अब ये इतिहास की बात हो चुकी है। शांति और विकास के जिस मार्ग पर जम्मू और कश्मीर बढ़ रहा है, उसने राज्य में नए उद्योगों के आने का मार्ग भी बनाया है। आज जम्मू-कश्मीर आत्मनिर्भर भारत अभियान में अपना योगदान दे रहा है।
बीते वर्ष काजीगुंड-बनिहाल सुरंग को भी यातायात के लिए खोल दिया गया है। श्रीनगर से शारजाह तक की अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इस समय वहां सात मेडिकल कॉलेजों के अलावा, दो एम्स का कार्य प्रगति पर है, जिनमें से एक एम्स जम्मू में और एक कश्मीर में है। आईआईटी जम्मू और आईआईएम जम्मू का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है।
17,556 परियोजनाओं के लिए 3,097.14 करोड़ रुपए
लद्दाख में 17,556 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 2019 से 3,097.14 करोड़ रुपए की धनराशि प्रदान की गई। साथ ही लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक विकास को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए सिंधु इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की स्थापना की गई है। लद्दाख की इस विकास यात्रा में एक और उपलब्धि सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में जुड़ रही है। याद हो, केन्द्र सरकार ने लद्दाख में बौद्ध अध्ययन केन्द्र के साथ केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी और सरकार अपने इस वादे को पूरा करने के निरंतर प्रयास कर रही है।
जम्मू-कश्मीर पर विशेष फोकस
दशकों के फासले को कम करते हुए केंद्र सरकार ने विकास की दौड़ में पीछे छूट रहे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर 70 साल इंतजार खत्म किया। अब उसे मुख्यधारा से जोड़ देश के अन्य राज्यों के बराबर लाकर खड़ा किया है। करीब दो साल से ही ये क्षेत्र विकास के नए सफर पर निकल पड़ा है। केंद्र के 170 कानून जो पहले लागू नहीं थे, अब वे इस क्षेत्र में लागू कर दिए गए हैं। वर्तमान में सभी केंद्रीय कानून जम्मू और कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश में लागू हैं।
आतंक से मुक्त, विकास से युक्त जम्मू-कश्मीर
आतंक की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है और घाटी में शांति और सुरक्षा का नया वातावरण तैयार हुआ है। जिसके चलते अब जम्मू कश्मीर में पर्यटन एक बार फिर चमकेगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में उन जगहों की पहचान करना शुरू कर दिया है जो टूरिज्म डेस्टिनेशन बन सकते हैं। हिमालय की 137 पर्वत चोटियां विदेशी पर्यटकों के लिए खोली गई हैं, जिनमें 15 चोटियां जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की हैं।
दशकों से विकास से महरूम रहा जम्मू-कश्मीर
जम्मू और कश्मीर के साथ भारत के अन्य राज्यों से अलग व्यवहार किया जाता था। इसकी वजह से इस राज्य की मुख्यधारा से दूरी थी। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होती थी। भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती थी। अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर राज्य पर भारतीय संविधान की अधिकतर धाराएं लागू नहीं होती थीं। भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे। भारतीय संविधान की धारा 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है। यह जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था। केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम भी जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होता था। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का था।
सीधे लाभार्थियों तक पहुंचने लगी योजनाएं
जम्मू-कश्मीर में अब सीधे लाभार्थियों तक योजनाएं पहुंचने लगी है। इससे वंचितों को काफी लाभ मिल रहा है। सौभाग्य योजना से 3,87,501, उज्ज्वला योजना से 12,60,685, उजाला योजना से 15,90,873, सामाजिक सुरक्षा (राज्य) योजना से 8,88,359 लाभार्थियों को लाभ मिल रहा है। इसके अलावा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत जम्मू और कश्मीर में 4.4 लाख लाभार्थियों का सत्यापन किया जा चुका है। इस योजना के तहत जम्मू और कश्मीर के अस्पतालों में 1.77 लाख उपचार अधिकृत किए गए हैं, जिसके लिए 146 करोड़ रुपए प्राधिकृत किए गए हैं। पीएम किसान योजना का लाभ लेने में जम्मू-कश्मीर कुल जनसंख्या के अनुपात में लाभार्थी प्रतिशत की दृष्टि से अग्रणी हैं। इस योजना में अब तक 12.03 लाख लाभार्थी शामिल हुए हैं। वहीं पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 1.34 लाख घर स्वीकृत हुए हैं। जम्मू-कश्मीर से बाहर विवाह करने वाली लड़कियों और उनके बच्चों के अधिकारों का संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ है। केंद्र सरकार की ऐसी तमाम योजनाओं का लाभ आज जम्मू कश्मीर के आवाम को मिल रहा है।
इसलिए जरूरी था अनुच्छेद 370 को निरस्त करना…
• केंद्र सरकार की दीर्घकालिक सोच का ही नतीजा है कि आज कश्मीर भी देश के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है।
• चाइल्ड मैरिज एक्ट, शिक्षा का अधिकार और भूमि सुधार जैसे कानून अब यहां भी प्रभावी है। वाल्मीकि, दलित और गोरखा जो राज्य में दशकों से रह रहे हैं, उन्हें भी राज्य के अन्य निवासियों की तरह समान अधिकार मिल रहे हैं।
• वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, जम्मू और कश्मीर प्रदेश एवं लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश के क्रमश: 30757 करोड़ रुपए और 5959 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया।
• फ्लैगशिप स्कीम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 5300 किलोमीटर सड़क बनाई जा रही है। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के जरिए 13,732 करोड़ रुपए के एमओयू (समझौते के ज्ञापन) पर दस्तखत हुए हैं।
• 7 नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपए की पुनर्निर्माण योजना की घोषणा की थी। पुनर्गठन के बाद जम्मू एवं कश्मीर को 58,477 करोड़ रुपए की 53 परियोजनाओं, जबकि लद्दाख को 21,441 करोड़ रुपए की 9 परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है ।