जम्मू-कश्मीर: अब सभी समुदायों के लोग खरीद-बेच सकेंगे कृषि भूमि

जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि की खरीद-फरोक्त में बीते मंगलवार 19 अक्टूबर को अहम बदलाव किये गए हैं। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में प्रदेश प्रशासनिक परिषद की बैठक में एक अहम फैसला लिया गया, जिसके तहत अब महाजन और खत्री बिरादरी के साथ सिख समुदाय को कृषि भूमि खरीदने और खेती करने की छूट दे दी गई है। इसके लिए मौजूदा कानून में बदलाव किए जाएंगे। इस फैसले से गैर-कृषकों को भी कृषि के लिए जमीन लेने का अवसर मिलेगा, जिससे कृषि, बागवानी और पशुपालन क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं बढ़ेगी।

पहले क्या था प्रावधान?

जानकारी के लिए बता दें कि इससे पूर्व अनुच्छेद 370 से पूर्व की व्यवस्था को अब तक लागू थी। इसके तहत राज्य में कृषि भूमि खरीदने पर इन बिरादरियों पर रोक थी। कई संगठन काफी समय से यह मुद्दा उठा रहे थे। पूर्व के नियमों के तहत महाजन, खत्री व सिख कृषि भूमि नहीं खरीद सकते थे क्योंकि उनके पूर्वज खेती नहीं करते थे। महाराजा हरि सिंह के समय से जम्मू-कश्मीर में भूमि राजस्व कानून में यह स्पष्ट था कि केवल किसान ही कृषि जमीन खरीद सकते हैं। इसके बाद अनुच्छेद 370 के हटने के बाद अब इन नियमों में बदलाव हुआ।

क्या थी मांग?

धारा 370 से पूर्व की व्यवस्था के चलते महाजन खत्री व सिखों को अब तक राज्य में कृषि भूमि खरीदने-बेचने पर रोक थी, जिसके लिए इनके विभिन्न संगठन काफी समय से यह मांग कर रहे थे कि अब जब धारा 370 व 35ए समाप्त हो गई है तो इन्हें भी इसका अधिकार मिलना चाहिए।

क्या होगा बदलाव?

प्रशासनिक परिषद के इस फैसले से अब महाजन, खत्री और सिख समुदाय को बिना किसी दिक्कत के कृषि भूमि को खरीदने के अलावा कृषि गतिविधियों में निवेश की अनुमति मिल गई है। इससे जम्मू कश्मीर में कृषि क्षेत्र को फिर से जीवंत बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होने और आर्थिक विकास को भी बल मिलने की संभावना है। प्रदेश सरकार के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर का गैर कृषक समुदाय भी कृषि, बागवानी और पशुपालन जैसी गतिविधियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होगा।

इस फैसले के मुताबिक जिला उपायुक्त अब कृषि व संबंधित गतिविधियों के लिए 20 कनाल तक और बागवानी से जुड़े कार्यों के लिए 80 कनाल तक जमीन खरीदने की अनुमति दे सकते हैं। उन्हें यह प्रक्रिया आवेदन प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर पूरी करनी होगी।

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