अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: समाज को आकार और स्वस्थ दिशा देने में महिलाओं का बड़ा रोल

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:

इसका अभिप्राय है कि ”जहां पर नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं और जहां पर ऐसा नहीं होता है वहां पर सभी कार्य निष्फल होते हैं।”

सच ही कहा गया है कि नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। यानि नारी शक्ति के बिना किसी राष्ट्र की समृद्धि की कल्पना की ही नहीं जा सकती। ऐसे में महिलाओं के उत्थान को लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार के इस संवेदनशील दृष्टिकोण ने समाज में जन-जन को जागृत भी किया है। तभी तो आज देश की बेटियां अभिमान बनकर उभर रही हैं। अब बेटियां आत्मनिर्भरता की वह उड़ान भर रही हैं जिनके वे कभी सपने बुना करती थीं। वाकयी केंद्र सरकार के प्रयासों से आज महिलाओं को अपने ख्वाब पूरा करने का मौका मिल रहा है।

आजादी का अमृत महोत्सव में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ का अधिक महत्व

ज्ञात हो भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जिसमें राष्ट्र उन वीरांगनाओं और प्रेणा देने वालीं महिला शक्तियों का भी विशेष स्मरण कर रहा है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी और भारत की पहचान बनाए रखी। आजादी का अमृत महोत्सव में कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहिल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, महिला शक्तियों को याद किया जा रहा है। केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि देश की युवा पीढ़ी इनसे परीचित हो ताकि वे उन्हीं की दिखाई राह पर आगे बढ़ता ”न्यू इंडिया” उनके सपनों को पूरा करने में जुट जाएं। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ यही अमृतभाव आज अमृत महोत्सव में नए भारत के लिए उमड़ रहा है। ऐसे में इस बार ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

भारतीय नारी अपने घरों से निकलकर अब हर क्षेत्र में दिखा रही दमखम

बीते कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं जिससे महिलाओं को अपने हुनर दिखाने का सुरक्षित माहौल मिल रहा है। जी हां, आज भारतीय नारी अपने घरों से निकलकर व्यवसाय, उद्योग जैसे क्षेत्रों में अपना दम-खम दिखा रही है। वे आज आगे आकर टेक्सटाइल, स्टार्टअप एवं अन्य क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। यानि नए भारत की सोच अब केवल महिला उत्थान तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि वह महिला के नेतृत्व में विकास की यात्रा पर निकल चुका है। यहां तक कि सेना हो या स्टार्टअप, ओलंपिक हो या रिसर्च, ‘न्यू इंडिया’ में देश की बेटियों ने कमाल कर दिखाया है। आज वे हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। ऐसे कई उदाहरण हमें देखने को मिलते भी रहते हैं।

लिंगानुपात में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या का बढ़ना

लिंगानुपात में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या का इजाफा हुआ है। 1000 पुरुषों के मुकाबले 1020 महिलाए बड़े बदलाव का साफ संकेत है। यह हमारे आने वाले कल की तस्वीर को पेश करता है जिसमें महिलाएं समाज का नेतृत्व करेंगी। महिलाओं की काबिलियत और हिम्मत ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाएगी। अभी आधा सफर तय किया जा चुका है और आधा सफर तय किया जाना बाकी है।

केंद्र सरकार के प्रयासों से हुआ स्थिति में सुधार

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ सहित महिलाओं के लिए संवेदनशीलता के साथ बनी राष्ट्र की नीतियों ने समाज को जागृत किया है। लोग अब उनका भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं। सरकार की विभिन्न पहलें महिलाओं के जीवन मे बदलाव लाना चाहती है। वहीं महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारिता मिशन के लिए केंद्र सरकार ”मिशन शक्ति” के तहत बजट आवंटन में साल दर साल 50% की बढ़ोतरी कर रही है। आज महिला सशक्तीकरण का चेहरा वो 9 करोड़ गरीब महिलाएं भी हैं। जिन्हें पहली बार उज्जवला गैस कनैक्शन से धुएं वाली रसोई से आजादी मिली है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत महिलाओं को घर में शौचालय मिला है, जिसको इज्जत घर भी कहा गया है। यानि केंद्र सरकार के इन प्रयासों से महिलाओं को सम्मान भी मिला है। आज करोड़ों भारतीय महिलाओं को अपना जनधन बैंक खाता मिला है। जब सरकार की सब्सिडी सीधे इनके बैंक खातों में जाती है, तो ये महिलाएं, महिला सशक्तीकरण और बदलते हुए भारत का चेहरा बनती हैं।

भारत की जीडीपी में 27 प्रतिशत कर सकती हैं बढ़ोतरी

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों के समान महिलाओं की कार्यबल में हिस्सेदारी से भारत की जीडीपी में 27 % की बढ़ोतरी हो सकती है। यदि 50% कुशल महिलाएं कार्यबल में शामिल होती हैं, तो विकास दर 1.5 % बढ़कर 9 % प्रति वर्ष हो सकता है। ऐसे में न्यू इंडिया में महिलाओं को श्रम बल में शामिल किए जाने की आवश्यकता है। इस बात को भलि-भांति समझते हुए केंद्र सरकार निरंतर महिलाओं को समानता के अवसर और सुरक्षित वातावरण देने के लिए नित नई-नई पहल कर रही है।

वैक्सीन अभियान में भी महिला शक्ति ने निभाई अग्रणी भूमिका

महज 1 साल से भी कम समय में देश में 150 करोड़ वैक्सीन डोज लगाकर भारत ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। क्योंकि केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैक्सीन उत्पादन एजेंसियों की क्षमता ने पूरी दुनिया को भारत की काबिलियत से रूबरू करा दिया था। देश को विकसित देशों की तुलना में ज्यादा कारगर रूप में कोविड के कहर से बचाने में सफलता पाई है। दूसरी ओर टीका उत्पादन के क्षेत्र में आज भारत विश्व का प्रतिनिधि देश बन गया है। इस विशाल अभियान में भी महिला वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों व अन्य फ्रंटलाइन वर्करों में नारी शक्ति ने बड़ी संख्या में देश सेवा का भार अपने कंधों पर उठाया।

जनऔषधि योजना के तहत महिलाओं का रखा गया विशेष खयाल

केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं और नीतियों की वजह से किस तरह महिला शक्ति राष्ट्र की समृद्धि की वाहक बनी हैं, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के विशेष मौके पर जानने योग्य है। केंद्र सरकार ने जन औषधि योजना के तहत महिलाओं का विशेष खयाल रखा गया है। महिला केंद्र संचालकों के लिए अतिरिक्त आर्थिक मदद की व्यवस्था जन औषधि केंद्र खोलने वाली महिलाओं को दी जा रही है। इसके साथ ही महिलाओं के लिए उपयोगी और उनके उपयोग में आने वाले कई जरूरी उत्पाद भी जनऔषधि केंद्र से मिल रहे हैं। इस योजना के तहत सिर्फ 1 रुपए में सुविधा सेनेटरी पैड महिलाओं को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। भारत में सर्वाइकल कैंसर अधिक पाया जा रहा है, इस स्थिति में सुविधा सेनेटरी पैड की कीमत सिर्फ 1 रुपए होने के कारण महिला सेनेटरी पैड का आसानी से इस्तेमाल कर पा रही है। 2016 में देश में केवल 58 प्रतिशत महिलाएं सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करती थी लेकिन सुविधा सेनेटरी पैड के माध्यम से आज 78 प्रतिशत महिलाएं हाइजेनिक पैड का इस्तेमाल कर पा रही हैं।

45% में कम से कम एक महिला निदेशक

बीते 6-7 सालों में देश में स्वयं सहायता समूहों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। यही प्रगति भारत के स्टार्टअप ईको-सिस्टम में भी देखने को मिल रहा है। वर्ष 2016 से देश में 56 अलग-अलग सेक्टर्स में 60 हजार से ज्यादा नए स्टार्टअप बने हैं। इनमें से 45 प्रतिशत में कम से कम एक निदेशक महिला है।

भारतीय दर्शन में निहित भावना दर्शाती है ‘गृहस्वामिनी’

ज्ञात हो केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत महिला लाभार्थियों को ‘गृहस्वामिनी’ बनाकर यानि घर को महिला के नाम पर करके उन्हें सशक्तिकरण प्रदान किया। ‘गृहस्वामिनी’ के मूल भारतीय दर्शन में निहित भावना दर्शाती है कि महिला से ही घर बनता है। एक घर का स्वामित्व न केवल महिला को सशक्त बनाता है, बल्कि इस घर को उसके परिवार के लिए भी एक बेहतर स्थल बनाता है। इसलिए केंद्र सरकार ने संपत्ति के साथ एक घर के रूप में न सिर्फ एक महिला में सुरक्षा की भावना को बढ़ाया अपितु उसे घर से जुड़े निर्णय लेने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के साथ-साथ वित्तीय सुरक्षा की भावना भी प्रदान की।

सोशल मीडिया पावर

याद हो साल 2020 में ”अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” के मौके पर पीएम मोदी ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट महिला शक्ति को सौंपते हुए देश को यह संदेश देने का प्रयास किया था कि देश को महिलाओं के नेतृत्व की आवश्यकता है। पीएम मोदी ने उस दौरान कहा था ”मैं अब सोशल मीडिया अकाउंट छोड़ रहा हूं। आज पूरे दिन 7 महिलाएं अपने जीवन के बारे में आपसे बातें साझा करेंगी और संभवत: वह मेरे सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए आपसे बातचीत भी करेंगी।”

समाज को आकार और स्वस्थ दिशा देने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण

महिलाएं सदैव जीवन के लिए प्रकाश स्तंभ रही हैं। उनकी नि:स्वार्थ सेवा और त्याग को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। वह मां, बहन, बेटी, बहू, दादी, जैसे तमाम रिश्तों को निभाते हुए बड़ी भूमिका अदा करती हैं। पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत में महिलाओं की भागीदारी से विकास का नया दौर शुरू हुआ है और अब महिलाएं अग्रिम पंक्ति से नेतृत्व कर रही हैं।

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