इन दिनों देश के अलग – अलग हिस्सों से वज्रपात की खबरें आ रहीं हैं जिससे जान माल का बड़ा नुकसान हुआ है। इस आसमानी आफ़त के कारण सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गवाई है और दर्जनों घायल हुए हैं।
पिछले कुछ दिनों में बिहार एवं उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर आसमानी बिजली के गिरने के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और कई घायल भी हुए हैं। हाल ही के दिनों में बिहार के सारण और गोपालगंज जिलों में इस आसमानी आफ़त ने अपना ताण्डव दिखाया था। जहाँ मरने वाले लोगों की संख्या दहाई में थी और कई लोग घायल भी हुए थे। इसके अतिरिक्त जमुई, लखीसराय, पटना, समस्तीपुर ,पूर्णिया, वैशाली इत्यादि जिलों में भी भीषण वज्रपात हुआ है जिसके कारण जान – माल की भारी क्षति हुई है। आसमान से बरसने वाली इस आफ़त के कारण मरने वाले एवं घायल होने वाले लोगों में अधिकतर किसान एवं मजदूर हैं। ये खेतों में काम करने के दौरान या किसी अन्य काम के लिए घर से बाहर या किसी असुरक्षित स्थान पर होने के कारण आसमानी बिजली की चपेट में आये थे।
आसमान में बादलों के टुकड़ों के टकराने से होने वाले घर्षण के कारण बादलों में उपस्थित जल के अणुओं के परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है जिसके फलस्वरूप बादल आवेशित हो जाते हैं। बादल के जिन जल अणुओं से इलेक्ट्रॉन का प्रदान होता है वो धन आवेशित एवं हल्के होकर ऊपर की ओर चले जाते हैं जबकि बादल के वे जल अणु जिनमें इलेक्ट्रॉनों का आदान होता है वो ऋण आवेशित एवं भारी हो जाते हैं और नीचे की ओर आ जाते हैं। जब इन ऋण आवेशित बादल के टुकड़ों से ऋण आवेशित कण धरती पर गिरते हैं तो इनकी गति के कारण विद्युत धारा उत्पन्न होती है। ये विद्युत धारा जब वायुमंडल से होकर जमीन पर पहुँचती है तो यही वज्रपात या ठनका कहलाती है। इसकी क्षमता करोड़ों वोल्ट की होती है। इसलिए इसकी चपेट में आने वाले जीव – जन्तु एवं वनस्पति नष्ट हो जाते हैं। इसके भयावह परिणाम का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारे घर में उपयोग होने वाली विद्युत धारा की क्षमता सिर्फ 220 वोल्ट होती है जबकि आसमानी बिजली की क्षमता लगभग 10 करोड़ वोल्ट होती है। आसमान से जब बादलों के ऋण आवेशित कण धरती की ओर गिरते हैं तो उत्पन्न विद्युत ऊर्जा को उष्मा ऊर्जा में परिवर्तित होने के कारण उसके संपर्क में आने वाली हवा इतनी अधिक गर्म हो जाती है कि अत्यंत तीव्र वेग से विसरित होने लगती है जिसके कारण तेज एवं भयावह आवाज उत्पन्न होती है। यह आवाज इतनी तेज होती है कि इसकी चपेट में आने वाला व्यक्ति कभी – कभी बहरा भी हो जाता है।
व्रजपात से बचाव हेतु आम लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कई कदम उठाए गये हैं। आए दिन दैनिक समाचार पत्रों में एवं रेडियो और टेलीविजन पर सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को वज्रपात या ठनका से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं। बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा वज्रपात की पूर्व चेतावनी देने के लिए एक मोबाइल ऐप का निर्माण कराया गया है जिसका नाम ‘इन्द्रवज्र’ है। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से स्मार्ट फोन पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इसे डाउनलोड करने के उपरान्त स्मार्ट फोन यूजर के लगभग 20 कि०मी० की परिधि में वज्रपात होने की स्थिति में उसे लगभग 40 से 45 मिनट पूर्व अलार्म टोन के साथ चेतावनी संदेश प्राप्त होता है। यदि आमलोग इस ऐप को अपने फोन में डाउनलोड करके इसका लाभ लेना चाहे तो वज्रपात की क़हर को रोकने में यह अत्यंत कारगर साबित हो सकता है। सरकार ने वज्रपात से बचाव हेतु इस ऐप को डाउनलोड करने के लिए जनता से अनुरोध किया है परन्तु अफसोस कि हमारे देश में वज्रपात से सबसे अधिक प्रभावित किसान और मजदूर वर्ग के एक बहुत बड़ा तबका स्मार्ट फोन से वंचित है। इनके पास न तो स्मार्ट फोन है और न ही इसे ऑपरेट करने का कौशल ही है। अखबार के विज्ञापनों से भी इन्हें बहुत फायदे नहीं पहुँच पा रहे हैं। अतः इन सब रूकावटों को देखते हुए सरकार को जागरूकता के प्रयासों पर अमल करना होगा तब कहीं इस आसमानी आफ़त की क़हर से आम लोगों को बचाया जा सकता है।
सुनिता कुमारी ‘गुंजन’
सहायक प्रोफेसर
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)