इन्दिरा आईवीएफ ने पार किया एक लाख सफल आईवीएफ का आंकड़ा

पटना । कहते हैं मातृत्व सुख महिला को पूर्णता प्रदान करता है लेकिन किसी कारणवश वह माँ नहीं बन पाती है तो निराश होने लगती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में लगभग 186 मिलियन महिला-पुरूष निःसंतानता से जूझ रहे हैं। भारत में संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले 10-15 फीसदी दम्पती निःसंतानता से प्रभावित हैं, इसके कारण परिवारों में बिखराव बढ़ रहा है जबकि इसका उपचार आईवीएफ के रूप में उपलब्ध है लेकिन जागरूकता के अभाव में मात्र एक प्रतिशत दम्पती ही इस इलाज को अपना पते हैं । देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चैन इन्दिरा आईवीएफ ने उच्च सफलता दर के साथ एक लाख सफल आईवीएफ प्रक्रियाएं पूरी करने का गौरव हासिल किया है। इस अवसर पर इन्दिरा आईवीएफ पटना सेंटर में समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें पटना ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. विनीता सिंह, मुख्य अतिथि और सचिव डॉ. सुप्रिया जायसवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रही, यहां केक काटकर उपचाररत और लाभान्वित दम्पतियों को उपहार बांटे गये।

पटना सेंटर में नन्हीं खुशियां थीम पर हुआ सेलीब्रेशन

इस अवसर पर अपने संदेश में इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन डॉ. अजय मुर्डिया ने कहा कि निःसंतानता की समस्या तेजी से बढ़ रही है लेकिन अच्छी बात है कि इसका इलाज भी उपलब्ध है। विडंबना ये है कि जागरूकता के अभाव में ज्यादातर दम्पती उपचार नहीं करवा पाते हैं। निःसंतानता के लिए महिला को दोष दिया जाता है लेकिन इसके लिए पुरूष भी समान रूप से जिम्मेदार हो सकते हैं। इन्दिरा आईवीएफ की शुरूआत से ही हमारा लक्ष्य निःसंतानता की स्थिति में महिला-पुरूष दोनों की जांच करना रहा है ताकि कारण जानकर सही उपचार से दम्पती को संतान सुख की ओर अग्रसर किया जा सके। देष में 107 केन्द्रों के माध्यम से हमारा प्रयास है कि दम्पतियों को रियायती दरों में श्रेष्ठ निःसंतानता उपचार उनके आसपास उपलब्ध हो।

इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने बधाई देते हुए कहा कि अत्याधुनिक तकनीकों, चिकित्सा और आईवीएफ विशेषज्ञों की कुशलता से इन्दिरा आईवीएफ ने आईवीएफ प्रक्रियाओं में असाधारण सफलता दर हासिल की है। ग्रुप ने नवीनतम सहायक प्रजनन तकनीकों जिसमें इलेक्ट्रॉनिक विटनेसिंग सिस्टम, क्लोज्ड वर्किंग चैम्बर, माइक्रोफ्लुइडिक्स के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर ध्यान केन्द्रित किया है जिससे दम्पतियों को सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है।
अतिथि डॉ. विनीता सिंह ने कहा कि निःसंतानता को लेकर व्यापक जागरूकता अभियानों तथा उपचार केन्द्रों की आवश्यकता है। इन्दिरा आईवीएफ बेहतर सुविधाओं को रियायती दरों में दम्पतियों को उपलब्ध करवा रहा है यह सराहनीय कार्य है। डॉ. सुप्रिया जायसवाल ने कहा कि इन्दिरा आईवीएफ ने निःसंतानता के उपचार में हो रहे नवाचारों को अपनाया है जिससे दम्पतियां को अधिक लाभ हो रहा है।

इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के सह-संस्थापक और निदेशक नितिज मुर्डिया ने कहा कि देश में ज्यादातर आईवीएफ उपचार प्रमुख शहरों में ही उपलब्ध है, इस कारण देश का बड़ा तबका निःसंतानता के इलाज से वंचित रह जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि आईवीएफ की सफलता दर काफी हद तक अत्याधनिक तकनीकों और उन्नत लैब पर भी निर्भर करती है। उन्होंने नवीन आविष्कारों पर जोर देते हुए कहा कि आज के दौर में आईवीएफ में 70-75 प्रतिशत सफलता दर प्राप्त की जा सकती है। जो कपल्स कुछ वर्षां बाद संतान सुख चाहते हैं वे क्रायोप्रिजर्वेशन सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

छोटे शहरों में अब भी निःसंतानता उपचार केन्द्रों की कमी

इस अवसर पर इन्दिरा आईवीएफ पटना सेंटर हेड डॉ. दयानिधि शर्मा ने कहा कि दंपती सोच-विचार व टालमटोल में अपने उम्र के महत्वपूर्ण वर्ष गंवा देते हैं, लेकिन निःसंतानता के उपचार के लिए उचित समय पर व सही दिशा में उठाया गया कदम फायदेमंद साबित हो सकता है। एक लाख सफल आईवीएफ प्रोसिज़र के सेलिब्रेशन के लिए सेंटर में इलाजरत और लाभान्वित दम्पतियों को बुलाया गया और उनके साथ विभिन्न तरह की गतिविधियां की गयी।

डॉ. अनूजा सिंह ने कहा कि इस अवसर पर पूरे अप्रैल महीने में निःशुल्क निःसंतानता परामर्श शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें दम्पती निःसंतानता से संबंधित समस्याओं को लेकर निःशुल्क परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. रीना रानी ने बताया कि मरीज की काउन्सलिंग और जांच रिपोर्ट के आधार पर उनकी समस्या के अनुरूप उपचार के लिए उचित तकनीक का उपयोग किया जाता है इस कारण दम्पतियों को अधिक सफलता मिलती है। डॉ. सुनिता कुमारी, डॉक्टर रीना रानी और डॉ. सोनाली गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया तथा डॉ. मोक्षा जैन ने अतिथियों और दम्पतियां को कार्यक्रम को गौरवशाली बनाने के लिए धन्यवाद दिया।

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