पितृ पक्ष में एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इसलिए पितरों के तर्पण के लिए यह एकादशी व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पितरों की शांति के लिए यह व्रत रखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह व्रत प्रति वर्ष आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह व्रत १३ सितंबर रविवार के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं क्या हैं इस व्रत के नियम….
इंदिरा एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहते हैं। इंदिरा एकादशी का व्रत अगले दिन यानी द्वादशी तिथि में खोला जाता है। इस व्रत को अगले दिन पारण मुहूर्त में खोला जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से मनुष्य का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है। इस दिन जो लोग व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु की अराधना का होता है, इस दिन सिर्फ भगवान का गुणगान करना चाहिए। एकादशी के दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए।
एकादशी के दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
एकादशी के दिन महिलाओं का अपमान करने से व्रत का फल नहीं मिलता है। सिर्फ एकादशी के दिन ही नहीं व्यक्ति को किसी भी दिन महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं उन्हें जीवन में कई तरहों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
एकादशी के पावन दिन मांस-मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन ऐसा करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दिन व्रत करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं करते हैं तो एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि आप किसी कारण से व्रत नहीं कर सकते है तो इस दिन मन में विष्णु भगवान का ध्यान करते हुए सात्विक रहें। झूठ न बोले, किसी का मन नहीं दुखाएं एवं पर निंदा से बचें।
इंदिरा एकादशी पूजा मूहूर्त
एकादशी प्रारम्भ: १३ सितंबर की सुबह ०४ बजकर १३ मिनट पर
एकादशी समाप्त: १४ सितंबर की सुबह ०३ बजकर १६ मिनट तक
पारण का समय: १४ सितंबर को दोपहर १२ बजकर ५९ मिनट से शाम ०३ बजकर २७ मिनट तक।
आचार्य स्वामी विवेकानन्द
ज्योतिर्विद, वास्तुविद व सरस् श्री रामकथा व श्रीमद्भागवत कथा प्रवक्ता
श्री धाम श्री अयोध्या जी
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