पटना के तारामंडल में मिल रही है देशभर के रेशम के ताने-बाने पर खूबसूरत कारीगरी

पटना : नेशनल सिल्क एक्सपो गर्मियों व शादियों के सीजन के लिए खास कॉटन व सिल्क हैंडलूम साड़ियों की लेटेस्ट वैरायटी व नए डिजाइनों में उपलब्ध करवाने के लिए पटना के बेली रोड स्थित तारामंडल में 11 से 16 मार्च 2022 तक आयोजित हो रही इस प्रदर्शनी में तरह-तरह के डिजाइंस, पैटनर्स, कलर कंबीनेशन इन साड़ियों का व्यापक खजाना है साथ देश के अलग-अलग राज्यों से आए बुनकरों द्वारा तैयार सिल्क साड़ियों का लुभावना कलेक्शन मिल रहा है जो कि शहर की जनता को बाजार में देखने को नहीं मिलेगा।

ग्रामीण हस्तकला की ओर से आयोजित इस एक्सपो में गुजरात की डबल इक्कत हैंड मेड पटोला साड़ी उपलब्ध है, जो 8 महीने में तैयार होती है, इसे दो बार बुना जाता है। हर धागे को अलग से कलर किया जाता है, प्योर सिल्की होने की वजह से या इतनी महंगी होती है। महाराष्ट्र की पैठणी साड़ियों में गांव का परिवेश है तो वहीं राजा महाराजाओं का राजसी अंदाज तो कहीं मुगल काल की कला है।

बनारस के बुनकर अपनी साड़ियों को नए जमाने के हिसाब से लोकप्रिय बनाने के लिए कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं। कभी वे बनारसी साड़ियों पर बाग की छपाई करवाते हैं तो अब वह बनारसी सिल्क साड़ियों पर महाराष्ट्र की पैठणी साड़ियों के मोटिफ बुन रहे हैं। वैसे पारंपरिक बनारसी जरी और कढ़वा बूटी साड़ियों से लेकर तनछोई सिल्क तक कई तरह की वैरायटी एक हजार से लेकर पांच हजार तक इस सेल में मिल रही है।

रेशम की बुनाई के लिए मशहूर बिहार के भागलपुर से कई बुनकर शादी सीजन जैसे खास मौके पर पहने जाने वाली भागलपुर सिल्क साड़ी भी उपलब्ध है। तमिलनाडु की प्योर जरी वर्क की कांजीवरम साड़ी भी महिलाओं का पसंद आ रही है। सोने और चांदी के तारों से बनी इस साड़ी को कारीगर 30 से 40 दिन में तैयार करते हैं मैसूर सिल्क साड़ियों के साथ ही क्रेप और जॉर्जेट सिल्क, बिहार का टशन सिल्क, आंध्र प्रदेश का उपाड़ा, उड़ीसा का मूंगा सिल्क भी बुनकर लेकर आए हैं, जिसे तारामंडल में लगी हुई नेशनल सिल्क एक्सपो सेल में प्रदर्शित किया जा रहा है।

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