मिशन गगनयान’ में सहयोग के लिए गुरुवार को भारत-फ्रांस के बीच हुआ समझौता

इसरो के ‘मिशन गगनयान’ में सहयोग के लिए गुरुवार को भारत-फ्रांस के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। यूरोप और फ्रांस के विदेश मामलों के मंत्री ज्यां-यवेस ले ड्रियन ने अपनी तीन दिवसीय आधिकारिक भारत यात्रा के हिस्से के रूप में गुरुवार को बेंगलुरु में इसरो का दौरा किया। ​समझौते की शर्तों के तहत​ ​फ्रांसीसी संस्था ​​​’सेंटर नेशनल डी इट्यूड्स स्पेतियल्स (सीएनईएस)​​ भारत के फ्लाइट फिजिशियन और मिशन कंट्रोल टीमों को माइक्रोग्रैविटी अनुप्रयोगों के विकास के लिए प्रशिक्षित करेगी।​ इसके अलावा जर्मनी के कोलोन में यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री केंद्र में​​​ अंतरिक्ष संचालन​ के लिए ​​​प्रशिक्षित किया जायेगा​​।​

​फ्रांस गगनयान मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम में देगा सहयोग

भारत और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसियों ने गुरुवार को ​​देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए सहयोग के लिए एक समझौता किया।​ मंगलवार को तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आये ​फ्रांस के यूरोप और विदेश मामलों के मंत्री ज्यां-यवेस ले ड्रियन​ अपने दौरे के आखिरी दिन बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ​पहुंचे।​ उन्होंने ​इसरो​​ के प्रमुख डाॅ. के. सिवन​ से मुलाकात की​। अपनी ​आधिकारिक यात्रा के दौरान ले ड्रियन ने​ फ्रांसीसी कंपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) से इसरो के साथ एक नए अंतरिक्ष सहयोग समझौते की घोषणा की। फ्रांसीसी दूतावास ने एक ​बयान में कहा​ कि ​इस समझौते के तहत​ ​फ्रांस भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम में योगदान देगा।

भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों​ को कई तरह के प्रशिक्षण देगी फ्रांसीसी कंपनी 

फ्रांस और भारत के बीच पहला अंतरिक्ष समझौता 1964 ​में किया गया था। दोनों देशों के बीच मौजूदा साझेदारी अंतरिक्ष गतिविधि के लगभग सभी क्षेत्रों को कवर करती है। इसरो इस साल संयुक्त ओशनसैट 3-अर्गोस मिशन भी शुरू करेगा। नए समझौते के साथ फ्रांस ​गगनयान कार्यक्रम ​में ​तकनीकी और मानवीय चुनौती ​के रूप ​में भाग ले रहा है​​।​ ​गगनयान कक्षीय अंतरिक्ष यान परियोजना को अगस्त 2018 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य मूल रूप से 2022 में देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ​ पर चार भारतीय अंतरिक्ष ​यात्रियों को भेजना था। टेस्ट उड़ानों में एक यंत्रवत ह्यूमनॉइड रोबोट होगा​​। यह कैप्सूल अहमदाबाद के तट से अरब सागर में नीचे गिरने से पहले सात दिनों के लिए 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर​​ परिक्रमा करेगा​​।

इसरो ने ​​फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी ​​सीएनईएस को गगनयान मिशन की तैयारी में मदद करने और इस डोमेन में यूरोपीय संपर्क के रूप में काम करने के लिए कहा है। ​​​​समझौते की शर्तों के तहत​ ​अंतरिक्ष अध्ययन के लिए राष्ट्रीय केंद्र​ ​​​सीएनईएस​​ भारत के फ्लाइट फिजिशियन और मिशन कंट्रोल टीमों को माइक्रोग्रैविटी अनुप्रयोगों के विकास के लिए प्रशिक्षित करेगा।​ इसके अलावा जर्मनी के कोलोन में यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री केंद्र में​​​ अंतरिक्ष संचालन​ के ​​​प्रशिक्षित किया जायेगा​​।​ फ्रांस से हुआ यह समझौता ​​भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों​ को ​​वैज्ञानिक योजना के कार्यान्वयन का समर्थन करने, खाद्य पैकेजिंग और पोषण कार्यक्रम पर जानकारी आदान-प्रदान करने, फ्रांसीसी उपकरण, उप​योगी सामग्रियों और चिकित्सा उपकरणों के उपयोग ​में मदद करेगा​​।

सीएनईएस अग्निरोधक कैरी बैग की भी करेगा आपूर्ति 

सीएनईएस द्वारा विकसित ​किये गए ​फ्रांसीसी ​उपकरणों का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में परीक्षण ​किया गया है और अभी भी परिचालन कर रहे हैं​​।​ यह सभी उपकरण ​​​​​​​भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों​ को उपलब्ध ​कराए जायेंगे। ​थॉमस पेस्केट​​ ​ने ​​अपने पहले अंतरिक्ष यान पर इन उपकरणों का परीक्षण किया था​​।​ यह अल्फा मिशन के लिए 22 अप्रैल को आईएसएस के लिए अपनी दूसरी उड़ान बनाने के लिए तैयार हैं​​। सीएनईएस फ्रांस में बने अग्निरोधक कैरी बैग की आपूर्ति करेगा, जो झटके और विकिरण से ​​भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों​ को सुरक्षा ​देगा।

(साभार)

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