पटना : इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी, बिहार चैप्टर द्वारा स्थानीय ताज सिटी सेंटर होटल में दो दिवसीय सम्मेलन आर्टिकुलेट – 2024 का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर के फर्टिलिटी और भ्रूण विशेषज्ञों ने एकजुट होकर प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने को लेकर चर्चा की। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं कृषि मंत्री मंगल पांडेय, विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डॉ. शांति राय, डॉ. मंजू गीता मिश्रा, आईएफ़एस अध्यक्ष डॉ. पंकज तलवार, आईएफ़एस सचिव डॉ. श्वेता मित्तल गुप्ता, संस्थापक सचिव आईएफ़एस बिहार चैप्टर डॉ. अनीता सिंह, मेस अध्यक्ष डॉ. सतीश अडिगा, पोग्स अध्यक्ष डॉ. मीना सामंत, आईएफ़एस बिहार चैप्टर सचिव एवं सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर कल्पना सिंह और कार्यक्रम के आयोजन सचिव एवं आईएफ़एस के संयुक्त सचिव डॉ. दयानिधि कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस कार्यक्रम में स्वीडन से डॉ. जूडिथ मेनेज़्स भी एक वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा, यह न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है कि हमारे राज्य में इतने वरिष्ठ और विशेषज्ञ चिकित्सक और वैज्ञानिक एकत्र हुए हैं। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में, मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि हम राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन आज, हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करने के लिए एकत्र हुए हैं जो अत्यंत महत्वपूर्ण है और जिसे हमें गंभीरता से लेना होगा—बांझपन। भारत में बांझपन की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं, और यह हमारे समाज के लिए एक चिंताजनक विषय है। ऐसे में इस प्रकार के सम्मेलन, जैसे कि आर्टिकुलेट – 2024, अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। ये सम्मेलन न केवल चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को नवीनतम शोध और तकनीकों से अवगत कराते हैं, बल्कि उन्हें उन उपचारों और तरीकों पर भी चर्चा करने का अवसर प्रदान करते हैं जो इन दंपतियों के जीवन में आशा की किरण बन सकते हैं। इस आयोजन से हमें उम्मीद है कि यहां जो ज्ञान और अनुभव साझा किए जाएंगे, वे बांझपन के इलाज में नए आयाम स्थापित करेंगे। मुझे विश्वास है कि आर्टिकुलेट – 2024 सम्मेलन न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। आईएफ़एस बिहार चैप्टर सचिव एवं सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर कल्पना सिंह ने कहा, ऐसे सम्मेलन चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इन सम्मेलनों के माध्यम से चिकित्सक नई तकनीकों से अवगत हो पाते हैं। 24 और 25 अगस्त को आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में कार्यशाला के माध्यम से चिकित्सक यह जान सकेंगे कि आईवीएफ़ के क्षेत्र में सौ प्रतिशत रिजल्ट कैसे प्राप्त किया जा सकता है, और वे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों सहित अन्य नवाचारों को समझ सकेंगे, जो प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
वहीं कार्यक्रम के आयोजन सचिव और आईएफ़एस के संयुक्त सचिव और आयोजक सचिव डॉ. दयानिधि कुमार ने कहा, एक स्वस्थ समाज की आधारशिला स्वस्थ परिवारों पर निर्भर करती है। जब एक दंपति संतान प्राप्ति में असफल होता है, तो इसका प्रभाव न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है, बल्कि उनके सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। आज की व्यस्त जीवनशैली, खानपान में अनियमितता, और बढ़ते प्रदूषण के कारण बांझपन की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। आंकड़ों की बात करें तो, हमारे देश में लगभग 10-15 प्रतिशत दंपति बांझपन की समस्या का सामना कर रहे हैं। यह एक गंभीर स्थिति है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कार्यक्रम के अंत में चिकित्सकों सहित कार्यक्रम पार्टनर्स को सम्मानित किया गया।