‘Industry 4.0’: मैन्युफैक्चरिंग की दुनिया में अहम भूमिका निभा सकता है भारत

मैन्युफैक्चरिंग की दुनिया में तकनीक हर दिन उद्योगों और उत्पादन को नई दिशा देती रही है। यही कारण है कि साल 2025 तक भारत की GDP यानि सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 25 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है और रिसर्च भी यही बताती है कि ‘इंडस्ट्री 4.0’ इसमें बड़ी भूमिका निभा सकती है। आइए अब जानते हैं कि आखिर ‘इंडस्ट्री 4.0’ क्या है…

क्या है इंडस्ट्री 4.0 ?

18वीं शताब्दी में मशीनों के जरिए उत्पादन की शुरुआत हुई जिसमें पानी और भाप का इस्तेमाल हुआ। इसे इंडस्ट्री 1.0 कहा गया। इसके बाद 19वीं शताब्दी में श्रम और मशीन की सहायता से असेंबली लाइन के जरिए बड़े पैमाने पर उत्पादन की शुरुआत हुई। यह इंडस्ट्री 2.0 कहलाई। वहीं 20वीं शताब्दी में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स की मदद से ऑटोमेटिक उत्पादन की शुरुआत हुई, जिसे इंडस्ट्री 3.0 कहा गया। ठीक उसी प्रकार अब 21वीं शताब्दी में ‘इंटेलीजेंट मैन्युफैक्चरिंग’ पर काम जारी है जिसमें डाटा, क्लाउड, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स अहम भूमिका अदा करते हैं जिसे इंडस्ट्री 4.0 कहा जा रहा है।

इंडस्ट्री 4.0 के चार मुख्य कारक

उद्योग 4.0 चार मुख्य कारकों पर आधारित होगा: कनेक्टिविटी, ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रीयल-टाइम डेटा। इन चारों का इस्तेमाल कर भारत आज इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यही कारण है कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है। ‘इंटेलीजेंट मैन्युफैक्चरिंग’ पर बल देते हुए भारत ने देश के कई क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) को लागू किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मशीनों को इंसानों की तरह सोचने, कार्य करने और सीखने में सक्षम बनाने की एक सोच है। इससे कार्यकुशलता के साथ-साथ देश में उत्पादन की स्पीड भी बढ़ी है।

इंडस्ट्री 4.0′ भी रोबोट के लिए नहीं बल्कि इंसान के लिए है

याद हो, पीएम मोदी ने ’28 जनवरी 2021′ को कहा था कि ”हमें याद रखना है कि ‘इंडस्ट्री 4.0’ भी रोबोट के लिए नहीं बल्कि इंसान के लिए है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि टेक्नोलॉजी ‘ईज ऑफ लिविंग’ का टूल बने न कि कोई ट्रैप।” दरअसल, आज मानव जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दखल न रहा हो। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, स्मार्ट शहर, स्मार्ट घर, वित्त, रक्षा, परिवहन, लॉजिस्टिक्स, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, सर्विलांस आदि जैसे सभी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग एप्लिकेशन का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। विभिन्न सरकारी संगठन भी सार्वजनिक सेवाओं और ई-गवर्नेंस सेवा प्रदान करने के लिए एआई/एमएल प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में हमें पीएम मोदी द्वारा कहे गए इन शब्दों को भी ध्यान में रखना होगा।

2023 तक इसका पूरा बाजार 200 बिलियन डॉलर का

इंडस्ट्री 4.0 की बात करें तो साल 2023 तक इसका पूरा बाजार 200 बिलियन डॉलर का हो जाएगा और अगर इंजीनियरिंग आर एंड डी की बात करें तो पूरी दुनिया में 2.1 ट्रिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट होने जा रहा है।

भारत में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी GDP की 17 फीसदी

गौरतलब हो, भारत में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी GDP की 17 फीसदी है। साल 2025 तक इसकी हिस्सेदारी को 25 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग को स्मार्ट बनाए बिना इस लक्ष्य को पाना संभव नहीं है। केंद्र सरकार इन्हीं प्रयासों में जुटी है और देश में इसके लिए तेजी से कार्य भी कर रही है। ऐसे में हमारे लिए यह जानना जरूरी है वर्तमान में भारत अपने विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने और लोक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए चौथी औद्योगिक क्रांति यानि इंडस्ट्री 4.0 की एआई और अन्य तकनीकों का उपयोग कैसे कर रहा है।

भारत में सबसे ज्यादा डाटा मौजूद

भारत आज दुनिया के उन देशों में से है, जहां सबसे ज्यादा डाटा मौजूद है। जहां के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी मोबाइल कनेक्टिविटी है, स्मार्ट फोन है। यदि बारीकी से देखा जाए तो भारत बड़े पैमाने पर डिजिटल बुनियादी ढांचे को देखते हुए रणनीतिक लाभ में है जो हमें बड़ी मात्रा में डेटा- बड़ा डेटा- सबसे सस्ती दरों पर उत्पन्न करने की अनुमति प्रदान करता है।

इंडस्ट्री 4.0 में कौशल विकास पर बल

इंडस्ट्री 4.0 को लेकर हाल ही में पीएम मोदी ने देश में कौशल विकास को बढ़ाने पर बल दिया है। इसके लिए पहले से ही देश में उद्योग-प्रासंगिक कौशल विकसित करने के लिए स्किलिंग, अपस्किलिंग और रीस्किलिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। वहीं साल 2020 में एमएसएमई के लिए एआई और एमएल जैसी तकनीकों को बेहतर और तेज करने के लिए एमएसएमई मंत्रालय ने देश में एमएसएमई को सहायता प्रदान करने के लिए एकल खिड़की प्रणाली पोर्टल ‘चैंपियंस’ को मजबूती प्रदान करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) की शुरुआत की।

भारतीय तकनीकी प्रतिभा को दुनिया भर में पहचाना गया

यही नहीं हॉलीवुड और बॉलीवुड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कई फिल्में भी बन चुकी हैं, जिससे लोगों को यह पता चला कि आखिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है! आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी अग्रणी प्रौद्योगिकियों में उचित निवेश और अनुसंधान के कारण आज भारत का डिजिटल प्रोफाइल बदल गया है। इन अग्रिमों के संचालन के लिए भारी धनराशि आवंटित की जा रही है। यही कारण है कि भारतीय तकनीकी प्रतिभा को दुनिया भर में पहचाना जा रहा है।

आधुनिक तकनीकों का प्राथमिक उपयोग उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए पहुंच, समावेश और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। इंडस्ट्री 4.0 हमें उसी युग की और ले जा रही हैं जहां कड़े कानूनों के जरिए डेटा सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।

लेकिन वक्त रहते समय की एक और मांग है। दरअसल एआई/एमएल प्रणाली पूर्वाग्रह, विभिन्न नैतिक, सामाजिक और कानूनी मुद्दों को भी उठाता है। जबकि उपयोगकर्ता को आशा है कि ये प्रणाली अपने परिणामों में निष्पक्ष होंगी, एक पक्षपाती एआई/एमएल प्रणाली दूसरों के साथ भेदभाव करते हुए एक निश्चित जनसांख्यिकी को प्राथमिकता देता है। जब एआई/एमएल प्रणाली का उपयोग ई-गवर्नेंस के लिए या न्यायपालिका द्वारा किया जाता है, तो उनकी निष्पक्षता की जांच एक कानूनी आवश्यकता बन जाती है। इसलिए, जिम्मेदार एआई की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता यह है कि एआई/एमएल प्रणाली बिना भेदभाव वाली या निष्पक्ष होनी चाहिए।

ऐसे में राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 में एआई की तैनाती और अपनाने में तालमेल बैठाना आवश्यक है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय रणनीति एआई फॉर ऑल और भारत के लिए दृष्टिकोण दस्तावेज, निति आयोग द्वारा जारी, भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के डिजाइन, विकास और तैनाती के लिए व्यापक नैतिक सिद्धांत स्थापित करते हैं।

स्वचालन और डिजाइन में भारत के विशेषज्ञों का पूल बहुत बड़ा

हालांकि स्वचालन और डिजाइन में भारत के विशेषज्ञों का पूल बहुत बड़ा है और यही कारण है कि कई वैश्विक कंपनियों के भारत में अपने इंजीनियरिंग केंद्र स्थित हैं। इन्हीं कारणों से भारत ने इस क्षेत्र में तेजी से अपने कदम जमाए हैं। यही कारण है कि आज भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए 5जी इकोसिस्टम और पीएलआई योजनाओं के रोडमैप पर भी जोर दिया जा रहा है। पीएम मोदी ने इसके लिए हाल ही में हितधारकों को नागरिक सेवाओं में ऑप्टिकल फाइबर के इस्तेमाल, ई-वेस्ट प्रबंधन, सर्कुलर इकोनॉमी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक सुझाव देने का स्पष्ट निर्देश दिया है।

ज्ञात हो, भारत के आर्थिक उत्पादन का दो-तिहाई हिस्सा इसके शहरों से आता है। इसलिए, स्मार्ट शहरों के माध्यम से सतत शहरीकरण यानि sustainable urbanization भारत के लिए एक बड़ी चिंता है। यही कारण है कि 100 स्मार्ट शहरों में नागरिक केंद्रित शासन लाने का काम किया जा रहा है। स्मार्ट शहरों और डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत भौतिक और डिजिटल दुनिया को जोड़ने के लिए काम कर रहा है। इसके अलावा नए जमाने की सार्वजनिक परिवहन प्रणालियां विकसित की जा रही हैं और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में संभावनाओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *