विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू करने के साथ-साथ भारत ने मानवता और मित्रता को आगे रखते हुए दुनिया के तमाम देशों को वैक्सीन मुहैया करानी शुरू कर दी है, ताकि वे भी इस भयंकर महामारी से लड़ने में सक्षम हो पायें। अपने देश में 75 लाख लोगों को वैक्सीन देने के साथ-साथ भारत ने जब एक-एक कर अन्य देशों को टीका भेजना शुरू किया, तो उसे देख दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से मांग आने लगी। देश के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार की मानें तो बहुत जल्द हम 50 से अधिक देशों को वैक्सीन भेजेंगे, वो भी बिना अपने टीकाकरण अभियान को प्रभावित किए।
16 जनवरी से देश में कोरोना के टीके लगने शुरू हो गए हैं। प्रथम चरण में पूरे देश में चिकित्सा से जुड़े लोगों को टीके लगाए गए हैं। टीकाकरण के दूसरे चरण में 4 फरवरी से फ्रंटलाइन वर्कर का टीकाकरण होने लगा है। जिनमें पुलिस, होमगार्ड, फायर ब्रिगेड, रैपिड एक्शन फोर्स, राजस्व विभाग, पंचायती राज विभाग, नगर पालिका, सफाई कर्मियों के टीके लगाये जाने हैं। देश में टीकाकरण की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ रही है। अबतक करीबन 70 लाख से अधिक लोगों के टीके लग चुके हैं। फिलहाल देश में दो कंपनियों के बनाये हुये टीके तो लगने शुरू हो गए हैं। वहीं देश में कई अन्य कंपनियों के टीके भी शीघ्र ही बनकर तैयार हो जाएंगे।
पड़ोसी देशों को दिया तोहफा-
भारत सरकार का मानना है कि देश के लोगों की जरूरतें पूरी करते हुये अपने पड़ोसी देशों के साथ ही कि दुनिया के अन्य देशों को भी कोरोना वैक्सीन दी जाये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कहते रहे हैं कि भारत अपने व्यापक वैक्सीन इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल दूसरे देशों की मदद में करेगा। कई पड़ोसी देशों को भारत ने तोहफे के रूप में अपने यहां बनी कोविशील्ड वैक्सीन भिजवाई है। एक तरफ देश में टीकाकरण अभियान जारी है तो दूसरी तरफ इन देशों की मदद भी। भारत की इस पहल को दुनिया भी सराह रही है। अबतक भारत ने बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, मालदीव, मॉरीशस, ओमन, सेशेल्स को वैक्सीन भिजवा चुका है।
इससे प्रभावित होकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने वैक्सीन हब के तौर भारत की तारीफ की है। उन्होंने दूसरे देशों को वैक्सीन सप्लाई करने के लिए भारत की पीठ थपथपाई है। अमेरिका ने पिछले हफ्ते भारत को सच्चा दोस्त बताते हुए कहा था कि वह अपने फार्मा सेक्टर का इस्तेमाल दुनिया भर के लोगों की मदद में कर रहा है। भारत ने जहां-जहां वैक्सीन भेजी है, उन देशों ने भी शुक्रिया अदा किया है। कई देशों ने भारत से वैक्सीन मिलने की उम्मीद जताई है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा हे कि कोविड-19 की वैक्सीन के रिसर्च के मामले में भारत किसी देश से पीछे नहीं है। हमारी पहली प्राथमिकता यही है कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हो और वायरस के खिलाफ कारगर हो। इस मामले में हम समझौता नहीं चाहते। हमारे नियामक सभी बातों को मद्देनजर रखकर वैक्सीन से जुड़े डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि देश में स्वदेशी वैक्सीन पर काम जारी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले छह महीनों में हम देश के 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज दे पाएंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में फिलहाल नौ कोरोना वैक्सीन बन रही हैं जो क्लीनिकल ट्रायल के अलग-अलग स्तर पर हैं। इनमें से छह के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं। जबकि तीन फिलहाल प्री-क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बनाई कोविशील्ड वैक्सीन के लिए पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट इसका भारतीय पार्टनर है। इसके आपातकालीन इस्तेमाल के लिए सरकार से इजाजत मिलने के बाद इसका उपयोग शुरू कर दिया गया है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कोवैक्सीन बना रही है। आईसीएमआर के सहयोग से हाल ही में इसके तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल हुआ है। इसके आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भी सरकार से इजाजत मिल गयी है।
कैडिला की वैक्सीन पर काम जारी-
कैडिला हेल्थकेयर की जाई-कोविड वैक्सीन डीएनए प्लेटफॉर्म पर बनाई जा रही है। इसके लिए कैडिला ने बायोटेकनोलॉजी विभाग के साथ सहयोग किया है। इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं। रूस की गेमालाया नेशनल सेंटर की बनाई स्पुतनिक-वी वैक्सीन ह्यूमन एडेनोवायरस प्लेटफॉर्म पर बनाई जा रही है। बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन हैदराबाद की डॉक्टर रैडीज लैब कर रही है। इस वैक्सीन का दूसरे व तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं। जो इस महीने पूरे होने वाले है। नोवावैक्स कोविड-19 वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट कर रही है। इसके लिए इंस्टीट्यूट ने नोवावैक्स के साथ समझौता किया है। इसका तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है।