कटिहार गरीबी की आंच पर झुलसते गांव की बेबस जिंदगी जब विकलांग होकर लड़खड़ाने, आंखों की रोशनी गंवाने और कई बीमारियों का शिकार होने लग जाती है तब उम्मीद की नई किरण लेकर पटरियों पर दौड़ता दुनिया का पहला और देश का इकलौता ट्रेन अस्पताल ‘लाइफ लाइन एक्सप्रेस’ पहुंचता है और लोगों को स्वस्थ बनाकर आगे बढ़ जाता है।
इन दिनों बिहार में कटिहार जिले के सुदूर पिछड़े बारसोई अनुमंडल में इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन की लाइफ लाइन एक्सप्रेस ने अपना डेरा डाला है, जहां अबतक आंख, मोतियाबिंद एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित लगभग 5000 लोगों का इलाज हो चुका है। इनमें से केवल मोतियाबिंद के लगभग 500 मरीजों का ऑपरेशन किया गया तथा 3000 लोगों को चश्मा भी दिया गया है। साथ ही करीब 200 वैसी महिलाओं का परीक्षण किया गया, जिनमें स्तन एवं ग्रीवा कैंसर और ल्यूकोरिया के लक्षण थे। उच्च तकनीक आधारित जांच, ऑपरेशन एवं अत्याधुनिक चिकित्सकीय उपकरणों से लैस इस ट्रेन में बीमारों को जांच, शल्य चिकित्सा, दवाइयां, ठहरने एवं अन्य सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
लाइफ लाइन एक्सप्रेस के 222वें संस्करण के परियोजना पदाधिकारी पुनीत शर्मा ने ‘यूनीवार्ता’ से बातचीत में बताया कि इस वर्ष 10 जून को बारसोई जंक्शन के प्लेटफॉर्म तीन पर पहुंचा । यह ट्रेन अस्पताल इस क्षेत्र के लोगों को 29 जून तक अपनी सेवाएं देगा। आंख से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे मरीजों का इलाज एवं ऑपरेशन 10 जून से 15 जून तक किया गया। इसके बाद 17 जून से कान के मरीजों का इलाज शुरू होगा, जो 22 जून तक चलेगा। साथ ही 23 से 25 जून तक प्लास्टिक सर्जरी एवं 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मुड़े हुए पैर का परीक्षण एवं सर्जरी, कटे-फटे होंठ की जांच एवं सर्जरी 23 जून से 26 जून तक चलेगी। दांत की जांच एवं उपचार 24 जून से 29 जून तक चलेगा। स्तन और ग्रीवा कैंसर जागरूकता एवं परीक्षण 13 जून से 18 जून तक चलेगा।
अनुमंडल पदाधिकारी राजेश्वरी पांडेय ने इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन द्वारा वर्ष 1991 से संचालित इस ट्रेन अस्पताल की ओर से की जा रही जनसेवा को सराहनीय बताया और कहा कि बारसोई काफी गरीब और पिछड़ा इलाका है।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी उदयन मिश्रा के निर्देश पर लाइफ लाइन एक्सप्रेस के ठहराव के लिए बारसोई का चयन किया गया। इस ट्रेन अस्पताल से यहां के बीमार लोगों को काफी लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से लाइफ लाइन शिवर को सफल बनाने के लिए हरसंभव सहयोग दिया जा रहा है।
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी प्रेमनाथ राम ने कहा कि लाइफ लाइन के शिवर में आज उन्होंने अपनी आंख की जांच कराई और वह इलाज से बेहद संतुष्ट हैं। उन्होंने इंपैक्ट इंडिया की पूरी टीम के प्रयास एवं उनके विशेषज्ञ चिकित्सकों की नि:स्वार्थ सेवा को सराहनीय बताया और कहा कि इस दौरान पुलिस प्रशासन शिवर में पूरी तरह से मुस्तैद हैं और हरसंभव सहयोग भी कर रहे हैं।
इस दौरान अपनी आंख का ऑपरेशन करा चुकी एक 50 वर्षीय महिला ने कहा कि उन्हें कई सालों से मोतियाबिंद था लेकिन पैसे के अभाव में वह इलाज नहीं करवा पा रही थीं लेकिन इस ट्रेन अस्पताल में उनका नि:शुल्क इलाज किया गया। इनके अलावा कई और लाभार्थियों ने अपन-अपने अनुभव साझा किए और संतुष्टि जताई।
परियोजना पदाधिकारी श्री शर्मा ने बताया कि अक्टूबर 1983 में स्व. ए. एच. टोबैकोवाला द्वारा स्थापित इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन की बारसोई अनुमंडल परियोजना का वित्त पोषण इंपैक्ट इंडिया यूनाइटेड किंगडम की ओर से किया गया है। बिहार के पूर्णिया, अररिया एवं फॉरबिसगंज में यह ट्रेन अस्पताल इससे पहले भी आ चुका है। उन्होंने बताया कि एक परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने में लगभग एक करोड़ रुपये का खर्च आता है। अलग-अलग परियोजनाओं में अलग-अलग कंपनियों के कॉर्पोरेट-सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड के साथ राज्य सरकारों से भी फाउंडेशन को मदद मिलती रही है।
श्री शर्मा ने बताया कि इस ट्रेन अस्पताल के सफल संचालन में रेलवे का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके सात वातानुकूलित कोच एवं इंजन रेलवे की ओर से दिये गये हैं। इसके अलावा प्लेटफॉर्म, पानी, बिजली एवं अन्य आवश्यक सुविधाएं भी रेलवे ही उपलब्ध कराता है। उन्होंने बारसोई शिवर के सफल संचालन के लिए बिहार सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्हें सरकार की ओर से हर कदम मदद प्राप्त होती रही है।
ब्रिटेन में 40 वर्ष तक चिकित्सा क्षेत्र में काम करने के बाद लाइफ लाइन एक्सप्रेस की बारसोई परियोजना में अपनी सेवा दे रहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रसना ने बताया कि उन्होंने अभी तक करीब 200 वैसी महिलाओं का परीक्षण किया है, जिनमें स्तन एवं ग्रीवा कैंसर और ल्यूकोरिया के लक्षण थे। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बहुत गरीब है, जिससे यहां की अधिकांश महिलाएं कुपोषित हैं। पूर्ण पोषण नहीं मिलने के कारण वे ल्यूकोरिया का शिकार हो रही हैं और यह ग्रीवा कैंसर का लक्षण माना जाता है। इसलिए, सरकार को इस क्षेत्र की महिलाओं के पूर्ण पोषण की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।