7 साल में भारत के इलेक्ट्रॉनिक और आईटी क्षेत्र में कितना हुआ विकास

इस देश के युवा वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने में दृढ़ विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को ”आत्मनिर्भर भारत” में बदलने का स्पष्ट आह्वान किया। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश में ज्ञान और नवाचार का एक मजबूत ‘इको सिस्‍टम’ तैयार किया जा रहा है और यही पीएम मोदी का दृष्टिकोण है। केंद्र सरकार के प्रयासों का ही फल है कि बीते 7 साल में भारत के इलेक्ट्रॉनिक और आईटी क्षेत्र में तेजी से विकास देखने को मिल रहा है।

भारत विश्व में निर्णायक भूमिका में

कोविड के बाद की वैश्विक व्यवस्था भारत को अपार अवसर प्रदान कर रही है क्योंकि देश अपनी प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखला की व्यवस्था में बदलाव करना चाहता है। भारत इस क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की राह पर निकल पड़ा है। यानि भारत इस समय विश्व में निर्णायक की भूमिका में खड़ा है। भारत ने पिछले 75 वर्षों में सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना कौशल साबित किया है और अगले 25 वर्षों में विकास का पथ इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी क्षेत्र द्वारा मजबूती से संचालित करने का लक्ष्य तय किया है।

वर्तमान में केंद्र सरकार इस बात को ध्यान में रखकर कार्य कर रही है। बीते मार्च के महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में ‘इंडिया ग्लोबल फोरम’ (आईजीएफ) का आयोजन किया गया। आईजीएफ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक उद्योगपतियों के लिए एक एजेंडा-सेटिंग मंच है।

यह ऐसे मंचों का चयन करने का मौका प्रदान करता है जिनका लाभ अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट और नीति निर्माता अपने सेक्टर और रणनीतिक महत्व के भौगोलिक क्षेत्रों में हितधारकों के साथ बातचीत करने के लिए उठा सकते हैं। यह बेंगलुरु में आईजीएफ का पहला संस्करण था।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम

कोविड महामारी की मार को झेलते हुए चौतरफा रुकावटों के बावजूद, भारत ने वर्ष 2021 में लगभग 90 बिलियन डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ प्रति माह 3 से अधिक की दर से 42 यूनिकॉर्न (कंपनियां) बनाए। 60,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप के साथ, भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक बन गया है।

डिजिटल स्पेस में अवसरों के विस्तार का मार्ग प्रशस्त करता बजट 2022

पिछले 2 वर्षों में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में उत्पादों और सेवाओं के डिजिटलीकरण में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। 82 करोड़ भारतीयों के इंटरनेट तक पहुंच, 60 करोड़ स्मार्ट फोन उपयोगकर्ताओं, भारत के दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल हैंडसेट निर्माता होने, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्टम को व्यापक और गहरा करने पर सरकार के प्रोत्साहन के साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को पीएम मोदी के निर्धारित 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण रूप से उत्प्रेरित करने जा रही है। बजट 2022 भी डिजिटल स्पेस में विकास, निवेश और नौकरियों के अवसरों के विस्तार का मार्ग प्रशस्त करता है।

डिजिटल और तकनीकी अवसर बदलाव और भारत की प्रौद्योगिकी क्षमता का कर रहे नेतृत्व

दरअसल, भारत ने कोविड महामारी के प्रति जबरदस्त लचीलापन दिखाया और बदले में उसे मजबूत उछाल भी मिला। भारत की अर्थव्यवस्था आज पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आर्थिक रोडमैप के साथ बड़े बदलाव और विस्तार के बीच में है। डिजिटल और तकनीकी अवसर इस बदलाव और भारत की प्रौद्योगिकी क्षमता का नेतृत्व कर रहे हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं कि मार्च में हुए इंडिया ग्लोबल फोरम, बेंगलुरू ने ‘द न्यू इंडिया इंक’ की प्रौद्योगिकी क्षमता को गहराई से समझने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया।

वहीं पिछले साल 2021 में आईजीएफ दुबई में जब भारत ने भाग लिया था तो “कौशल बढ़ाने के लिए लाइसेंस” सत्र में वैश्विक कौशल केंद्र के रूप में उभरने की दिशा में भारत की यात्रा के बारे में बताया गया था। जिसमें फोरम में भाग लेने वाले विभिन्न वैश्विक हितधारकों ने भारत की बहुत सराहना की थी।

कौशल विकास

भारत में ऑनलाइन प्रशिक्षण के जरिए नागरिकों की कुशलता बढ़ाने के लिए डिजिटल इकोसिस्टम फॉर स्किलिंग एंड लिवलीहुड (डीईएसएच-स्टैक ई-पोर्टल) लॉन्च किया जाएगा। पीएम मोदी भी यह कह चुके हैं कि ‘उद्योग की मांगों को पूरा करने और एक मजबूत उद्योग-कौशल संबंध बनाने के लिए डिजिटल स्किल्स के ढांचे को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। नौकरी की बदलती भूमिकाओं की मांगों के अनुसार देश में ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ तैयार करना अति आवश्यक है।’

वर्तमान परिवेश में कृषि से लेकर सेवा क्षेत्र तक की गतिशीलता पूरी तरह से बदल गई है। जबकि बुनियादी मानवीय जरूरतें समान बनी हुई हैं, लेकिन उत्पादन, वितरण और खपत के पैटर्न में तेजी से बदलाव हुआ है। ऐसे में, यह उचित है कि हम सॉफ्ट स्किल्स को बढ़ावा दें, सीखने की संस्कृति को अपनाएं और बहुकौशल पर ध्यान दें क्योंकि ये पहल हमारे युवाओं को सशक्त बनाएगी और राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देगी।

कौशल और आजीविका के लिए डिजिटल इकोसिस्टम (डीईएसएच-स्टैक ई-पोर्टल यानी ‘देश स्टैक ई-पोर्टल’) हितधारकों के बीच सूचना तंत्र को मजबूत करेगा और मौजूदा विषमताओं को दूर करेगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि शिक्षा क्षेत्र और उद्योग साथ-साथ काम करें क्योंकि महामारी ने हमें सिखाया है कि कैसे मौजूदा कौशल रातों-रात खत्म हो सकते हैं और नौकरी की नई भूमिकाएं तेजी से विकसित हो सकती हैं। इसलिए, कौशल की एक संस्कृति विकसित की जानी चाहिए जो हमारे कार्यबल की क्षमताओं का निर्माण करती हैं और उन्हें काम करने के लिए तैयार करती हैं।

देश-स्टैक ई-पोर्टल

देश-स्टैक ई-पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल, रीस्किल और अपस्किल कर सशक्त बनाना है। इसके अलावा उद्योग की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के सफल कार्यान्वयन, ड्रोन शक्ति योजना के माध्यम से उभरती प्रौद्योगिकियों और प्रशिक्षण का विस्तार, घरेलू विनिर्माण बढ़ाने और रोजगार क्षमताएं पैदा करने में मदद करने जैसी पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा। उभरते क्षेत्रों, पर्यटन और लॉजिस्टिक्स के साथ ‘पीएम गति शक्ति’ जैसे प्रोग्राम भी अहम हैं।

‘ड्रोन शक्ति’

वहीं ‘ड्रोन शक्ति’ की सुविधा और सेवा के रूप में ड्रोन (डीआरएएएस) के लिए स्टार्टप्स को बढ़ावा दिया जाएगा। ड्रोन शक्ति योजना के माध्यम से उभरती प्रौद्योगिकियों और प्रशिक्षण का विस्तार, घरेलू विनिर्माण बढ़ाने और रोजगार क्षमताएं पैदा करने में मदद मिलेगी। ड्रोन शक्ति भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में एक गेम चेंजर साबित होगी। ड्रोन का विस्तार भी भारत के मोबाइल उपयोगकर्ताओं की तरह होगा। इसके आसार अभी से नजर आने लगे हैं। देश के युवा ड्रोन से संबंधित प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। जहां तक आधुनिक पीढ़ी के लिए डिजिटल सशक्तीकरण और डिजिटल प्रौद्योगिकी का संबंध है, ड्रोन शक्ति भारत के युवाओं के लिए नए रास्ते खोलेगी। गति शक्ति हमें कुशल श्रमिकों की नियुक्ति का अवसर प्रदान करेगी। यानि देश में डिजिटल कौशल को बढ़ाकर कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जा सकता है और इसी दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

शिक्षा

हम धीरे-धीरे महसूस कर रहे हैं कि रोजगार, नियोजनीयता और शिक्षा को अलग करना न केवल संभव है बल्कि शिक्षा और कौशल में भी नवाचार की जरूरत है। कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए, हमें पारंपरिक बाधाओं से पार पाना होगा और कमाई के साथ सीखने के लिए तैयार रहना होगा, लचीलेपन के साथ सीखना होगा और इसे योग्यता प्रतिरूपकता के तहत श्रेणीबद्ध करना होगा। केंद्र सरकार ने इस और ध्यान देते हुए कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए।

– पीएम ई-विद्या के एक कक्षा एक टीवी चैनल कार्यक्रम को 200 टीवी चैनलों पर दिखाया जाएगा।
– महत्वपूर्ण चिंतन कौशल और प्रभावी शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल प्रयोगशाला और कौशल ई-प्रयोगशाला की स्थापना।
– डिजिटल शिक्षकों के माध्यम से पढ़ाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाली ई-कंटेंट विकसित किया जाएगा।
– व्यक्तिगत तौर पर पढ़ाई करने के लिए विश्व स्तरीय शिक्षा के लिए डिजिटल विश्व विद्यालय की स्थापना की जाएगी।

2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत अनुमानित

साल 1991-92 के आर्थिक सुधारों के बाद, आईटी और आईटीईएस के लिए बाहरी व्यापार में उदारीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों के आयात पर शुल्क का उन्मूलन, देश के भीतर और बाहर दोनों ही प्रकार के निवेशों पर नियंत्रण में ढील और विदेशी मुद्रा एवं राजकोषीय उपायों ने भारत में इस क्षेत्र के पनपने और देश को विश्व के अपतटीय सेवाओं में प्रमुख स्थान हासिल करने में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत सरकार द्वारा प्रमुख वित्तीय प्रोत्साहन निर्यातोन्मुख इकाईयों (ईओयू), सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए दिया गया है। लेकिन साल 2014 तक विकास की रफ्तार बेहद धीमी नजर आई। सबसे अधिक तेजी तब आई जब साल 2014 में पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का गठन हुआ। और फिर हालात बदलते-बदलते साल 2014 के बाद से अब तक देश ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी प्रगति कर ली है। यही कारण है कि साल 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत अनुमानित है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन

केवल इतना ही नहीं बीते साल यानि 2021 में भारत में सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम को भी मंजूरी मिली थी। भारत में सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए 76,000 करोड़ रुपये (10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) की स्वीकृति दी गई। इस सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की स्थापना की गई। भारत को विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया। यह कार्यक्रम सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ डिजाइन के क्षेत्र में कंपनियों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करके इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों के निर्माण में एक नए युग की शुरुआत करेगा। यह सामरिक महत्व तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता के इन क्षेत्रों में भारत के प्रौद्योगिकीय नेतृत्व के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की नींव हैं, जो उद्योग 4.0 के तहत डिजिटल परिवर्तन के अगले चरण की ओर आगे बढ़ा रहे हैं।

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