दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है रोटरी क्लब ऑफ चाणक्या

पटना, सामाजिक संगठन रोटरी क्लब ऑफ चाणक्या ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुये दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में महिलाओं को पापड़ृ और चिप्स बनाने के तरीके बताये।

रोटरी क्लब ऑफ चाणक्या क्लब की अध्यक्ष अर्चना जैन के नेतृत्व में क्लब के सदस्य पटना के कुरथौल में फुलझड़ी गार्डन स्थित दीदीजी फांउडेशन के संस्कारशाला पहुंचे, जहां उन्होंने महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल शुरू की। इस क्रम में रोटरी चाणक्या के सदस्यों ने महिलाओं को पापड़ और चिप्स बनाने के तरीके बताये।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत : अर्चना जैन

इस अवसर पर डा. अर्चना जैन ने बताया, वर्तमान में महिलाओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। महिलाएं स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर हो सकती हैं, जरूरत है बस अपने अंदर की छुपी प्रतिभा को पहचानने की। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

अचार और पापड़ बनाने का उद्योग भी एक काफी अच्छा और घरेलू उद्योग साबित होता है , खास तौर पर हाउसवाइफ महिलाओं के लिए यह बहुत ही अच्छा उद्योग होता है, वे इस उद्योग के माध्यम से अपने आपको फाइनेंशियल इंडिपेंडेंट बनाने में सक्षम हो सकती हैं।काम के प्रति लगन व निष्ठा के बल पर ही आज महिलाएं स्वरोजगार को अपनाकर आत्मनिर्भर बन रही है।

कुटीर उद्योग का विकास महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से बन सकता है वरदान :डा. नम्रता आनंद

इस अवसर पर दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका, राष्ट्रीय-राजकीय सम्मान से अंलकृत रोटेरियन डा. नम्रता आनंद ने बताया, रोटरी क्लब ऑफ चाणाक्या की पहल पर यहां की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए पापड़ और चिप्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।इस पहल का मकसद महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त करना है. इससे यहां कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। कुटीर उद्योगों का विकास होगा तो महिलाएं सशक्त होंगी तथा उनकी आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। महिलाएं जब आत्मनिर्भर होती हैं तो उनमें आत्मविश्वास पनपता है तथा उनमें स्वयं निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। उन्हें किसी दूसरे के सहारे की जरूरत नहीं होती,बल्कि वे दूसरे को सहारा प्रदान करती हैं। महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर बनने के लिए इस तरह के मंच बहुत जरूरी है।कुटीर उद्योग का विकास महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से वरदान बन सकता है। जागरुक महिलाओं को इस दिशा में आगे आना होगा।

इस अवसर पर समाजसेवी मिथिलेश सिंह, मंजू पारीक, आरती देवी, अंजली कुमारी, आरती कुमारी, नेहा कुमारी, रानी देवी, मिनी देवी, निभा देवी, सुषमा कुमारी, अनिता कुमारी, प्रियंका कुमारी, राजनंदनी कुमारी, प्राची प्रियदर्शनी, ऋषिता राज, संजना कुमारी, स्वाति कुमारी, बिट्टू कुमार, अमित कुमार और दीपक कुमार समेत कई लोग उपस्थित थे।

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