भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार सुबह 5.59 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी (PSLV-C52) के जरिए सैटेलाइट ईओएस-04 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इसके साथ ही दो अन्य छोटे राइडशेयर सैटेलाइट्स ‘INS-2TD’ और ‘INSPIRESat-1’ को भी अंतरिक्ष भेजा गया। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र का यह 80वां प्रक्षेपण यान मिशन था जबकि पीएसएलवी की यह 54वीं उड़ान थी। वहीं इस मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी।
साल 2022 में इसरो का पहला प्रक्षेपण
गौरतलब हो, साल 2022 में इसरो का यह पहला प्रक्षेपण अभियान है जो कि सफल रहा है। इस साल का पहला प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्च पैड से किया गया है। लॉन्च के साथ ही वहां उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर इसका स्वागत किया। वहीं इसरो के चेयरमैन, सी. एस. सोमनाथ ने कहा कि सभी चार चरणों के परिपूर्ण होने के साथ प्रक्षेपण सटीक रहा। इस दौरान उन्होंने पीएसएलवी टीम को सफल प्रक्षेपण के लिए धन्यवाद भी दिया।
ईओएस-04 का क्या है काम
पीएसएलवी-सी 52 के जरिए धरती पर नजर रखने वाले उपग्रह ईओएस-04 को कक्षा में भेजने के लिए 25 घंटे की उल्टी गिनती रविवार सुबह ही शुरू हो गई थी। ईओएस-04 एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है जिसे कृषि, वानिकी, वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी, जल विज्ञान और बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह उपग्रह धीरे-धीरे सूर्य की समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित होगा।
INS-2TD के बारे में
वहीं एक सह-यात्री के रूप में INS-2TD प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह को भी कक्षा में भेजा गया है। INS-2TD भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह INS-2B का अग्रदूत है। INS-2TD में दिन और रात में जमीन और पानी की सतह के तापमान और थर्मल जड़त्व का आकलन करने के लिए एक थर्मल इमेजिंग कैमरा के रूप में काम करेगा। 17.5 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह का परिचालन जीवन मात्र छह महीने का है।
INSPIRESat-1 के बारे में
वहीं INSPIRESat-1 उपग्रह को कोलोराडो विश्वविद्यालय में वायुमंडलीय और अंतरिक्ष भौतिकी की प्रयोगशाला के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह एक छोटा उपग्रह है जिसका वजन 8.1 किलोग्राम है। इस उपग्रह को आयनोस्फीयर गतिकी की हमारी समझ को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सूर्य की कोरोनल हीटिंग प्रक्रिया की बेहतर समझ भी पैदा करेगा। उपग्रह का परिचालन जीवनकाल एक वर्ष के लिए निर्धारित है।
पीएसएलवी तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान
पीएसएलवी एक तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है। यह 600 किलोमीटर की ऊंचाई तक के सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षाओं में अपने साथ 1,750 किलोग्राम पेलोड तक ले जाने में सक्षम है। सोमवार सुबह भारत के पीएसएलवी सी-52 ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ”ईओएस-04” को धरती से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा में भेजा।
मिशन की सफलता पर पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “पीएसएलवी-सी 52 मिशन के सफल प्रक्षेपण पर हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई।” अपने बधाई संदेश में आगे उन्होंने कहा कि “ईओएस-04 उपग्रह कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान के साथ-साथ बाढ़ मानचित्रण के लिए सभी मौसमों में उच्च गुणवत्ता वाली छवियां