अगले 3 साल में 150 और आईवीएफ केन्द्र खोलने की योजना
50 हजार सफल आईवीएफ केस के आयोजन समारोह में बोले- डाॅ. मुर्डिया
इन्दिरा आईवीएफ 3 साल में 500 करोड़ का निवेष करेगा
पटना। किसी भी महिला के लिए मां बनना उसके जीवन का अनमोल अनुभव होता है लेकिन किसी कारणवश मां ना बन पाना उसको निराशा के निम्न धरातल पर ले जाता है। ई एण्ड वाई की एक रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रहा है 2010 से 2020 तक 20-44 साल की महिलाओं में गर्भधारण की समस्या में 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो सकती है पर वहीं 30-44 साल की महिलाओं में ये बढ़ोत्तरी 20 प्रतिशत तक जा सकती है।
निःसंतानता की समस्या जिस तेजी से उभरी है उसके ईलाज के लिए उपाय भी हुए हैं पर ये विडंबना ही है कि भारत जैसे विशाल देश में एक प्रतिशत दम्पत्ति ही निःसंतानता का इलाज ले पाते हैं। इसकी एक मुख्य वजह ये भी हैं कि अधिकतर दम्पतियों को उनकी बीमारी के बारे में पता ही नहीं चल पाता है और जानकारी के अभाव में स्थिति और गंभीर हो जाती है।
डाॅ. अजय मुर्डिया, इन्दिरा आईवीएफ के चेयरमैन ने बताया कि छोटे शहरों के निःसंतान मरीजों को अपना इलाज कराने के लिए बड़े शहरों में जाना पड़ता है जिससे उन्हें असुविधा भी होती है और काफी पैसा व कीमती समय भी व्यर्थ हो जाता है। 50,000 सफल आईवीएफ प्रेग्नेंसी होने के उपलक्ष्य में आयोजित भव्य समारोह में डाॅ. मुर्डिया ने ग्रुप के विस्तार के बारे में बताते हुए कहा कि आगामी 3 वर्षों में 150 नए आईवीएफ केन्द्र खोलने की योजना है, जिसमें इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप लगभग 500 करोड़ का निवेष करेगा। अभी यह ग्रुप 73 आईवीएफ केन्द्रों के ज़रिये पूरे देश में सेवाएँ दे रहा है। अभी इन्दिरा आईवीएफ गु्रप में 200 से भी ज्यादा चिकित्सक, 100 से ज्यादा भू्रण वैज्ञानिक एवं 2000 से भी ज्यादा प्रशिक्षित स्टाफ कार्यरत है। डाॅ. मुर्डिया ने बताया कि यहां पर प्रसिद्ध विश्वस्तरीय प्रशिक्षण केन्द्र में 250 से भी अधिक देशी एवं विदेशी चिकित्सक टेªनिंग प्राप्त कर चुके हैं।
इन्दिरा आईवीएफ पटना के भ्रूण वैज्ञानिक डाॅ. दयानिधी शर्मा ने बताया कि आईवीएफ की सफलता दर बहुत कुछ भ्रूण वैज्ञानिक एवं उन्नत लैब पर भी निर्भर करती है। 70-75 प्रतिशत आईवीएफ की सफलता दर आज के दौर में प्राप्त की जा सकती है। इन्दिरा आईवीएफ के सभी केन्द्रो पर यही सफलता दर बनाए रखने की कोषिष की जाती हैै ऐसा डाॅ. दयानिधी ने बताया।
इन्दिरा आईवीएफ पटना की स्त्री रोग विषेषज्ञ डाॅ.अनुजा सिंह ने कहा कि निःसंतान दम्पतियों को इलाज कराने में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इलाज में देरी होने से महिलाओं में गर्भधारण की संभावनाएं घटती है। समारोह के अन्त में उन्होंने सभी स्टाफगण को हार्दिक बधाई दी।