राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एम्स, पटना के डायरेक्टर और बिहार डीजीपी को नोटिस जारी किया

एम्स, पटना में 4 और 5 अक्टूबर को कैंसर के मरीज के अलावा एक अन्य मरीज के परिजनों पर वहाँ के निजी सुरक्षाकर्मियों के द्वारा किये गये जानलेवा हमला मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वैश्विक स्तर की संस्था ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन के फाउंडर चेयरमैन एवं मशहूर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर के पत्र पर अत्यंत त्वरित कारवाई करते हुये आज एम्स, पटना के डायरेक्टर एवं बिहार के डीजीपी को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में जवाब माँगा है। साथ ही बिहार के चीफ सेक्रेटरी को इस मामले में आयोग के निर्देश के अनुपालन हेतु कारवाई करने का निर्देश दिया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली ने एम्स पटना के डायरेक्टर और डीजीपी, बिहार को भेजी गई नोटिस में कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर की शिकायत पर आयोग ने विचार किया है और एनएचआरसी का मानना है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा गंभीर या अन्यथा किसी भी मरीज को प्रवेश देने से इनकार करना या एम्स, पटना में तैनात सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा परिचारकों पर हमला करना, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। कानून को अपने हाथ में लेना किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के समान है।
मानवाधिकार हनन के इन गंभीर पहलुओं को देखते हुये, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अपनी रजिस्ट्री को निर्देश देता है कि वह निदेशक, एम्स, पटना और डीजीपी, बिहार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह की अवधि के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगे, ऐसा न करने पर आयोग धारा 13 के तहत अपनी दंडात्मक शक्ति का उपयोग करने के लिए बाध्य होगा और पीएचआर अधिनियम, 1993 में आयोग के समक्ष संबंधित प्राधिकारी यानि एम्स, पटना के डायरेक्टर और डीजीपी, बिहार को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होना होगा।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी इस त्वरित कार्यवाही की प्रति मुख्य सचिव,बिहार सरकार को भेजकर उपरोक्त प्राधिकारियों द्वारा आयोग के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने का भी निर्देश दिया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जारी नोटिस में लिखा है कि मरीज के परिजनों दीपक कुमार और जीतेंद्र कुमार के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर से 06/10/2023 को प्राप्त शिकायत/सूचना को आयोग के समक्ष 07/10/2023 को रखी गई थी।आयोग ने इसका अवलोकन करने के बाद निम्नलिखित आदेश पारित किया है।

वर्तमान मामले में, मीडिया रिपोर्टों के आधार पर, शिकायतकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर ने एम्स प्रशासन और एम्स, पटना, बिहार में तैनात सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा मरीजों और उनके आश्रितों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के एक गंभीर मुद्दे को उजागर किया है और आयोग के तत्काल हस्तक्षेप के लिए प्रार्थना की है। आरोप है कि 4.10.2023 को कैंसर से पीड़ित एक मरीज को इलाज के लिए जिला-सारण, बिहार से एम्स पटना लाया गया था, लेकिन बिस्तर उपलब्ध न होने की दलील देकर प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया। चूँकि मरीज गंभीर था इसलिए उसे प्रवेश/अपेक्षित चिकित्सा सहायता देने से इनकार करने पर एक परिचारक ने वहां तैनात सुरक्षा गार्ड पर बोतल फेंकने के लिए उकसाया। इस घटना के बाद, सुरक्षा गार्डों के समूह द्वारा उक्त परिचारक पर बेरहमी से हमला किया गया, जिससे वह लगभग मरने की स्थिति में पहुंच गया। यह आरोप लगाया गया है कि उक्त कैंसर रोगी की अंततः बिना किसी चिकित्सीय सहायता/उपचार के मृत्यु हो गई।

यह भी आरोप लगाया गया है कि 5.10.2023 को एक अन्य घटना में, सामान्य ओपीडी में परामर्श में देरी पर मामूली बहस के बाद सुरक्षा गार्ड द्वारा क्रूर हमले के कारण एक अन्य मरीज के साथ आए रिश्तेदारों में से एक भी गंभीर रूप से घायल हो गया था। आरोप है कि एम्स, पटना में तैनात सुरक्षा गार्डों ने भयावह माहौल बना दिया है और मरीजों/उनके परिचारकों के प्रति उनके अशिष्ट व्यवहार की जानकारी होने के बावजूद, अस्पताल प्रशासन पूरी स्थिति से आंखें मूंद रहा है। यह भी आरोप है कि निदेशक, एम्स ने मरीजों/उनके परिचारकों के मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन से जुड़े पूरे मामले को दबाने की भी कोशिश की थी। इसलिए इस आयोग से हस्तक्षेप की मांग कर रहा हूं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता की शिकायत को अत्यंत गंभीर मानवाधिकार हनन का मामला मानते हुये इस पर कड़ा डायरेक्शन इशू किया।

मानवाधिकार हनन के इस गंभीर मामले में एनएचआरसी ने अत्यंत त्वरित कारवाई करते हुये कल देर शाम 5:45 बजे भेजे गये पत्र पर सिर्फ 15 मिनट में संज्ञान ले लिया और फिर देर रात इसका केस नंबर भी रजिस्टर करके आज शनिवार की छुट्टी के बावजूद कड़ा डायरेक्शन इशू कर दिया।

 

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