विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां स्थिरता की उम्मीद नहीं की जा सकती। बदलते वक्त के साथ लोगों की जरूरतें बदलती हैं और ये जरूरतें कृत्रिम बुद्धिमता और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग जैसे नवाचार को जन्म देती हैं।
हाल ही में ब्रिक्स कार्यकारी समूह की बैठक में इस तरह के कई नवाचार संबंधित विषयों पर बात हुई। यह बैठक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार ट्रैक के तहत दक्षिण अफ्रीका द्वारा ऑनलाइन मोड में आयोजित की गई थी।
ब्रिक्स की बैठक में भी हुई इस विषय पर चर्चा
ब्रिक्स कार्यकारी समूह की हाल में ही संपन्न बैठक में उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) और इसके मौसम-जलवायु-पर्यावरण अनुप्रयोगों, दवा निर्माण, कृत्रिम बुद्धिमता, एवं एचपीसी आधारित सटीक दवा और जन स्वास्थ्य पर चर्चा हुईI महामारी से लड़ने में भू-सूचना विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और दीर्घकालिक विकास के लिए सुपर कंप्यूटर के प्रयोग हेतु भविष्य में सहयोग पर चर्चा हुईI
50 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया भाग
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रकोष्ठ के प्रमुख और सलाहकार, संजीव कुमार वार्ष्णेय ने इस बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया। इस बैठक में सभी पांच ब्रिक्स देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने भाग लिया था। बैठक में इन देशों के शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और सरकारी अधिकारियों सहित 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
बिग डाटा और कृत्रिम बुद्धिमता जैसे विषयों पर भी हुई बातचीत
हर देश ने ब्रिक्स सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एचपीसी अवसंरचना नेटवर्क और रुचि के क्षेत्रों के निर्माण में अपने देश में हुई प्रगति को साझा किया। उन्होंने विशाल आंकड़े (बिग डाटा), कृत्रिम बुद्धिमता, मशीन से शिक्षा, जैसे नए विषय और चिकित्सा विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, कृषि, मॉडलिंग और सिमुलेशन जैसे क्षेत्रों में इसके संभावित प्रयोग को देखते हुए इन सभी की आवश्यकता बताई। इसमें भारत से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग ने हिस्सा लिया।
पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है ब्रिक्स
ब्रिक्स पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है । शुरुआत में इसमें चार देश – ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे और इसका नाम ‘ब्रिक’ था। सितम्बर, 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ब्रिक समूह के विदेश मंत्रियों की प्रथम बैठक के दौरान ब्रिक को औपचारिक रूप प्रदान किया गया।
सितम्बर, 2010 में न्यूयॉर्क में ब्रिक विदेश मंत्रियों की बैठक में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करके ‘ब्रिक’ को ‘ब्रिक्स’ में विस्तार करने पर सहमति बनी थी। उसके बाद 14 अप्रैल, 2011 को सान्या, चीन में आयोजित तीसरे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका सदस्य के रूप में शामिल हुआ। ब्रिक्स का उद्देश्य वित्त, व्यापार, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, शिक्षा, कृषि, संचार, श्रम आदि के मंत्रियों की बैठकों के माध्यम से परस्पर हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श और कार्य समूहों/वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकों के माध्यम से कई क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग है। हाल में हुई बैठक का विषय उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) और सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) था।
क्या है उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग
उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) में जटिल कम्प्यूटेशनल समस्याओं को हल करने के लिए सुपर कंप्यूटर और समानांतर प्रसंस्करण एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है। उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग की प्रक्रिया में सुपर-कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही क्लस्टर्ड कंप्यूटर का भी इस्तेमाल होता है। अधिक डेटा के साथ बड़ी मात्रा में कंप्यूटिंग आवश्यकताओं की आवश्यकता होती है ताकि अधिक से अधिक डेटा का इस्तेमाल किया जा सके।
कहां होता है इसका उपयोग
इस तकनीक का उपयोग ज्यादातर विज्ञान, सैन्य और शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है। आजकल एचपीसी का उपयोग लेनदेन प्रसंस्करण और डेटा भंडारण के क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसके साथ ही खनन या सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए भी इस जानकारी का उपयोग किया जा रहा है। विश्व स्तर पर चीन के पास सबसे अधिक सुपर-कंप्यूटर है। इसके बाद अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड और यूनाइटेड किंगडम का स्थान है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन
देश में अनुसंधान क्षमताओं और सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को शुरू किया गया था ताकि उन्हें सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड बनाने के लिए राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) के साथ जोड़ा जा सके। एनएसएम पूरे देश में शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं का एक ग्रिड स्थापित कर रहा है। 6 अप्रैल को जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि कम्प्यूटिंग बुनियादी ढांचे को पहले से ही चार प्रमुख संस्थानों में स्थापित किया जा चुका है और 9 और संस्थानों में तेजी से स्थापित करने का कार्य प्रगति पर है। सितंबर, 2021 में एनएसएम के दूसरे चरण के पूरा होने के साथ ही देश की कंप्यूटिंग शक्ति 16 पेटाफ्लॉप्स (पीएफ) हो जाएगी। भारत में जमाव और विनिर्माण के साथ सुपरकंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए भारत के कुल 14 प्रमुख संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें आईआईटी, एनआईटी, राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं और आईआईएसईआर शामिल हैं।
भारत के ‘परम सिद्धि’ को मिली विश्व में 62वीं रैंकिंग
एचपीसी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को जोड़कर सुपरकंप्यूटिंग में अग्रणी स्थान प्राप्त करने की दिशा में भारत के सफर में एक नया आयाम जोड़ा गया है। एक 200 एआई पीएफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम बना कर सी-डैक में स्थापित किया गया है, जो एआई से जुड़े कम्प्यूटिंग से सम्बद्ध स्पीड को बढ़ाकर अविश्वसनीय रूप से बड़े पैमाने पर एआई वर्कलोड को कम कर सकता है। उच्च-प्रदर्शन वाले कंप्यूटिंग-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एचपीसी-एआई) परम सिद्धि – एआईसुपर कंप्यूटर ने 16 नवंबर 2020 को जारी दुनिया के टॉप 500 सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर सिस्टम में 62 की वैश्विक रैंकिंग हासिल की है।
एचपीसी और एआई में ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए कई कार्यक्रम किए गए आयोजित
इस मिशन ने 4500 से अधिक एचपीसी जागरूक श्रमशक्ति और संकायों को प्रशिक्षित करके सुपर कंप्यूटर विशेषज्ञों की अगली पीढ़ी भी तैयार की है। एचपीसी प्रशिक्षण की गतिविधियों का विस्तार करने के लिए, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी गोवा और आईआईटी पलक्कड़ में एचपीसी और एआई में प्रशिक्षण के लिए चार एनएसएम नोडल केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों ने एचपीसी और एआई में ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
इस योजना के लिए एक स्वदेशी सर्वर भी किया गया विकसित
एनएसएम द्वारा संचालित भारत के अनुसंधान संस्थानों के नेटवर्क उद्योग के सहयोग से भारत में अधिक से अधिक कलपुर्जे बनाने के लिए प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। भारत में प्रथम चरण में 30 प्रतिशत मूल्यवर्धन किया गया था, जिसे द्वितीय चरण में 40 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। भारत ने एक स्वदेशी सर्वर – ‘रुद्र’ विकसित किया है, जो सभी सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों की एचपीसी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।
उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग में एक मार्गदर्शक के रूप में तेजी से उभर रहा भारत
कंप्यूटिंग में एचपीसी और एआई के अभिसरण से एक नए युग की शुरुआत हो रही है। भारत राष्ट्रीय सुपर कम्प्यूटिंग मिशन (एएसएम) के साथ उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग में एक अग्रणी मार्गदर्शक के रूप में तेजी से उभर रहा है, जो इसे शिक्षा या शोध के क्षेत्र, शोधकर्ताओं, एमएसएमई की बढ़ती कम्प्यूटेशनल मांगों को पूरा करने और तेल की खोज, बाढ़ की भविष्यवाणी और जीनोमिक्स और मादक पदार्थों की बरामदगी जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इस तरह यह तकनीक कई नई संभावनाओं को जन्म दे रही है और यह मिशन सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण का समर्थन करता है।