स्थानीय निकायों में आरक्षण विवाद पर आया हाई कोर्ट का फैसला, चुनावों पर लगा ग्रहण

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर आज निर्णय सुनाया।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओ बी सी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती,जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती।

कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बताया कि इस स्थानीय निकाय के चुनाव में इन पदों के आरक्षण नहीं होने पर इन्हें सामान्य सीट के रूप मे अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएँगे।
चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं संजय कुमार की खंडपीठ ने सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के 29 सितम्बर, 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।

गौरतलब है कि स्थानीय निकायों के चुनाव 10 अक्टूबर,2022 से शुरू होने वाले है। कोर्ट सुनवाई पूरी का निर्णय सुरक्षित रख लिया।

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा था कि इस मामलें पर निर्णय पूजा अवकाश में सुना दिया जाएगा।कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे, तो कर सकता है।

दिसंबर, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।

तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।

साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करें।

साभार

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