पटना, 13 अप्रैल। आजादी के अमृत महोत्सव के सिलसिले में स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कायस्थ समाज के नायकों से जन-जन तथा नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस की ओर से आगामी 17 अप्रैल से व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाएगा।
अंतराष्ट्रीय संगठन जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने आज यहां बताया कि जीकेसी के द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर 17 अप्रैल से 14 अगस्त 2022 तक स्वतंत्रता आंदोलन के कायस्थ नायकों की भूमिका पर व्याख्यानमाला का आयोजन होगा । उन्होंने बताया कि व्याख्यानमाला के पहले सत्र में हम आधुनिक बिहार के रचयिता और देश के संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले कायस्थ रत्न स्व. डा. सच्चिदानंद सिन्हा के जीवन ,व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालेंगे और विभिन्न माध्यमों से इससे जन-जन तथा नई पीढ़ी को अवगत कराएंगे ।
श्री प्रसाद ने बताया कि विश्व भर में कायस्थों द्वारा नेतृत्व करने का इतिहास किसी से छुपा नहीं है। स्वाधीनता आंदोलन में भी कायस्थ समाज ने आगे बढ़कर देश को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विश्व गुरू स्वामी विवेकानंद, स्वतंत्रता आन्दोलन के नायक सुभाष चन्द्र बोस या फिर देश में संपूर्ण क्रान्ति के अगुआ जयप्रकाश नारायण, राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, बाला साहब ठाकरे , मुंशी प्रेमचंद्र, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, खुदी राम बोस, जगतपति कुमार , बीजू पटनायक, ज्योति बसु , गायक मुकेश जैसी कई विभूतियों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कायस्थ समाज का नाम ऊंचा किया है। कायस्थ समाज की विभूतियों ने विश्व एवं देश का न सिर्फ नेतृत्व किया बल्कि अध्याय बदलने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि चाहे प्राचीन भारत हो, मध्यकालीन भारत हो या फिर आधुनिक भारत के नवनिर्माण में कायस्थों ने बड़ी भूमिका निभाई है। महाराजा प्रतापादित्य, महाराजा ललितादित्य, पुलकेशिन द्वितीय, गौतमीपुत्र सातकर्णि ,महाराजा कृष्णदेव राय , चोल ,चालुक्य , पाल एवं सेन वंशों सहित अनेक प्रतापी कायस्थ राजाओं के शौर्य और पराक्रम की गूंज आज देश सहित दुनिया के अनेक मुल्कों में भी सुनी जा सकती है। इन प्रतापी राजाओं ने दुनिया को यह दिखा दिया कि भगवान चित्रगुप्त के वंशज यदि कलम चला सकते हैं तो तलवार भी चला सकते हैं। ऐसी स्थिति में ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस का दायित्व बनता है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर न केवल उन्हें स्मरण करे बल्कि उनके योगदान व्यक्तित्व और कृतित्व से आमजन खासकर नई पीढ़ी को अवगत कराए ।