पटना : कार्डियक विज्ञान के क्षेत्र में हालिया तरक्की ने कार्डियक रोगों के कुछ मामलों में तेज वृद्धि के बावजूद मरीजों को नया जीवन दिया है। हाल के दिनों में ओपन हार्ट सर्जरी के बगैर मरीज का आपरेशन करना न सिर्फ सबसे आधुनिक वैज्ञानिक प्रक्रिया हैए बल्कि सबसे जटिल मामलों में भी इससे सफल इलाज संभव हो गया है। इस तरह की आधुनिक चिकित्सा न सिर्फ मरीज का प्रभावी इलाज करने में मदद करती है बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर बनाती है। उक्त बातें शनिवार को होटल पानाश में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कही।
मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में कार्डियक साइंसेज के चेयरमैन डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि भारतीय युवाओं में दिल की बिमारियों का खतरा ज्यादा पाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हृदय का क्रायोब्लेशन एक ऐसी हालिया प्रगति है जो हृदय की धड़कन के विकारों के मामलों में बहुत प्रभावी है। एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया होने के नातेए सर्जन एक पतली ट्यूब (बैलून कैथेटर) का उपयोग हृदय के ऊतकों का पता लगाने और फ्रीज करने के लिए करते हैं (एक नियंत्रित फैशन में तापमान माइनस 80 डिग्री तक) जो सामान्य हृदय को बहाल करने के लिए अनियमित दिल की धड़कन को ट्रिगर करता है। पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया होने के कारण, स्वस्थ ऊतकों और आसपास की संरचनाओं को प्रभावित करने की संभावना शून्य है और विभिन्न अध्ययनों ने इस प्रक्रिया को दवाओं की तुलना में काफी अधिक प्रभावी पाया है।
विदित हो कि डॉ. बलबीर सिंह और उनकी टीम ने हाल ही में विश्व का सबसे छोटा पेसमेकर माइक्रा एवी प्रत्यारोपित कर उत्तर भारत में सबसे पहली टीम बनने का श्रेय हासिल किया है। इस पेसमेकर की बैटरी लाइफ 15 साल रहती है, वजन सिर्फ 15 ग्राम होता है। दुनिया भर के डॉक्टर दावा कर रहे हैं कि माइक्रा के वास्तविक दुनिया में उपयोग से पारंपरिक पेसमेकर की तुलना में बड़ी जटिलताओं में 63 % की कमी देखी गई है।
इस तरह की तकनीक उपलब्ध होने के साथ, लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की सख्त जरूरत है कि सबसे पहले दिल को स्वस्थ जीवन शैली के अनुकूल बनाया जाए और किसी भी लक्षण में संकोच या देरी न की जाए क्योंकि समय पर हस्तक्षेप न केवल जीवन बचा सकता है बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार कर सकता है।