पटना/नयी दिल्ली, 26 मई ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के सौजन्य से वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव को लेकर वर्चुअल वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें लोगो को कोरोना संक्रमण से बचाव और पीड़ित मरीजों को इस संक्रमण में इस्तेमाल की जाने वाली दवा के बारे में जानकारी दी गयी।
कोरोना वायरस एक त्रासदी के रूप में सामने आया है, पूरी दुनिया में लाखों लोग इससे प्रभावित हैं। कोरोना वायरस एक जानलेवा संक्रामक बीमारी है, जो आज दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है। यदि कोरोना से बचना है तो हमें कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसी संदर्भ में कोरोना वायरस के लक्षण, उपचार, बचाव के तरीके और सावधानियां को लेकर जीकेसी ने वैश्विक शोध आधारित रणनीतियाँ की दृष्टि से एक वेबिनार का आयोजन किया।
इस सत्र की अध्यक्षता ग्लोबल हेल्थ अलायन्स के निदेशक एवं यूके में कार्यरत ,विश्व के सफलतम कार्डियोलॉजिस्ट में एक ,डॉ राजय नारायण ने की, जबकि श्रीमती नेहा निरुपम (अध्यक्ष ओवरसीज विंग, जीकेसी) ने वेबीनार को होस्ट किया।
कोविड के इलाज के लिए अनुसंधान आधारित दवा की आवश्यकता :डॉ राजय नारायण
वेबीनार में कोरोना, ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, बच्चों को कोरोना काल में ली जाने वाली सावधानियां, डाइबिटीज के मरीज, किडनी के मरीज, हार्ट के मरीज, प्रेग्नेंट वूमेन और इम्यूनो सपरेशन ड्रग्स या दवा पर आधारित मरीज को किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए इस पर एक विस्तृत चर्चा की गई।
इस अवसर पर डॉ नारायण ने चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कोविड के इलाज के लिए अनुसंधान आधारित दवा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने नवीनतम शोध और यूरोप और यूके में पालन किए जा रहे दिशा निर्देशों पर बात की। उन्होंने जोर दिया कि स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक्स, ऑक्सीजन और अस्पताल में प्रवेश के लिए सही समय होना चाहिए। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि टीकाकरण का समय और सबसे अच्छा परिणाम उन लोगों में देखा गया, जिन्होंने 12 सप्ताह के अंतराल पर टीके लगाए।
उन्होंने कहा कि WHO के दिशानिर्देशों के अनुसार, जो लोग कोविड से संक्रमित हैं, वे कोविड संक्रमण के 4-6 सप्ताह बाद वैक्सीन ले सकते हैं। डॉ नारायण ने सुझाव दिया कि जब तक संकेत न दिया जाए तब तक डी-डिमर, फेरिटिन, कैल्सीटोनिन और छाती के सीटी स्कैन करने से बचें।उनके अनुभव के अनुसार अधिकांश लोग पेरासिटामोल, विटामिन सी और अच्छे भोजन जैसी साधारण दवाओं से ठीक हो जाते हैं, जब तक कि उन्हें तेज बुखार न हो और उनकी संतृप्ति 94% से कम न हो। उन्होंने कहा कि हम सभी को टीका लगवाने के बाद भी पूरी सावधानी के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
टीका लगवाने के बाद भी सावधानी की जरूरत :डॉ राजय नारायण
जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि कोरोना के बढ़ते बेकाबू स्वरूप ने सबों को भयभीत कर रखा है, इसके लिए कड़े निर्देशों के पालन के साथ-साथ जानकारी ही बचाव है।इसी आवश्यकता के मद्देनजर जीकेसी के मंच से हमने एक प्रयास किया है, जो निश्चित ही अनिश्चितता को एक दिशा देगा। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) का होना आवश्यक है।
इसके लिए व्यायाम एवं योग सबसे उचित उपाय है, नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में इसे शामिल करने के बाद व्यक्ति के जीवन में बड़ा परिवर्तन हो जाता है। कोरोना वायरस की चपेट में वह लोग ज्यादा आ रहे हैं जो बुजुर्ग हैं या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, इसलिए अपनी सबसे जरूरी है (इम्युनिटी) को बढ़ाकर और पर्याप्त साफ-सफाई रखकर इससे बचा जा सकता है। अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं, जिसके लिए पौष्टिक आहार एवं योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत है। लोग घरों में रहकर भी संक्रमण पर जीत पा सकते है। लेकिन जरुरत है नियमों का पालन करने और नियमित रूप से दवा लेने की है।
जीकेसी डिजिटल एवं संचार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद सिन्हा ने बताया कि डॉ नारायण ने कोविड और नवीनतम शोध के बारे में तथ्यात्मक जानकारी साझा की जो पूरे समाज के लिए बहुत लाभदायक है। उन्होंने बताया कि डिजिटल माध्यम से और भी विषयों पर बहुत जल्द दूसरे सत्र भी आयोजित होंगे, साथ ही साथ जीकेसी के इलर्निंग और यूटूब चैनल से और भी सूचनायें दी जायेगी।
इस अवसर पर डॉ पल्लवी सहाय ,डॉ पूनम कर्ण ,डॉ सौम्या माथुर ,डॉ देवलीना भौमिक ने भी अपनी बातें रखीं। अखिलेश श्रीवास्तव, आनंद सिन्हा, दीपक कुमार वर्मा, उपासना सहाय, प्रेम कुमार, उत्कर्ष आनंद सिन्हा, गीतिका अभिलेख, सौरभ श्रीवास्तव, अलीशा शिवम, नवीन श्रीवास्तव,मुकेश वर्मा, नयन रंजन सिन्हा, डॉ नम्रता आनंद ,कुमार मानवेन्द्र और नीरज सहाय समेत कई गणमान्य लोग भी वर्चुअल वेबीनार में उपस्थित थे।.