पटना, अम्बपाली हस्तकरघा एवं हस्तशिल्प बहुरजीय सहकारी समिति पटना की अध्यक्ष अर्चना सिंह का कहना है कि गांधी शिल्प बाजार 2022 का आयोजन हस्तशिल्प कलाकारों को उचित मंच देने के उद्देश्य से किया गया है।
राजधानी पटना के गांधी मैदान में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र मंत्रालय , भारत सरकार नयी दिल्ली द्वारा प्रायोजित और अम्बपाली हस्तकरघा एवं हस्तशिल्प बहुरजीय सहकारी समिति पटना द्वारा गांधी शिल्प बाजार 2022 का आयोजन किया जा रहा है। अम्बपाली हस्तकरघा एवं हस्तशिल्प बहुरजीय सहकारी समिति पटना की अध्यक्ष अर्चना सिंह ने यहां बताया कि गांधी शिल्प बाजार 2022, हस्तलिप कलाकारों को उचित मंच देने की पहल है। उन्होंने बताया कि यह बाजार अपनी गुणवत्ता और ग्रामीण क्षेत्र के कलाकारों द्वारा बाजार में स्वयं बिक्री तथा उचित दर पर उपलब्ध उत्पादों के कारण काफी लोकप्रिय हो चला है। इस बाजार में कुल 100 दुकानें लगायी गयी हैं। बिहार के अलावा, पंजाब, उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश, तामिलनाडु, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, आंध प्रदेश से आये कलाकारों की भागीदारी है। मधुबनी पेटिंग, शीतल पट्टी, कंथा, लखचुड़िया, हैंड ब्लॉक, पत्थर की मूति, लकड़ी में नक्काशी के उत्पाद, एपलिक,सुजनी, गुजरात के रंगीन हैंडी क्राफ्ट के बैग, साड़ी इत्यादि विक्री सह प्रदर्शनी के लिये उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त खानपान समूहों के द्वारा उत्पादित उत्पादन की विक्री, सह प्रदर्शनी के लिये उपलब्ध है। नि: शुल्क दुकानों के साथ अन्य सुविधायें भी दी गयी हैं।
अर्चना सिंह ने बताया कि यह बाजार 29 मार्च से 07 अप्रैल तक चलेगा। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन
किया जायेगा। व्यंजन के स्टॉल भी बाजार में आकर्षण बढ़ाने के लिये लगाये गये हैं। समूह की महिला द्वारा उत्पादित पापड़, बड़ी भी विक्री के लिये उपलब्ध है।
पर्यावरण और प्लास्टिक बैग के उपयोग के न करने को भी इस बाजार में जागरूक करने की पहल है। इसके लिये कपड़े, जूट के थैला की दुकानें कलाकारों द्वारा उचित मूल्य पर उपलब्ध है।
उन्होंने बताय कि देश भर के हस्तशिल्प कलाकार आये है। हाथ से बने सामान को बढ़ावा मिले और इनके उत्पाद की खरीददारी हो। आर्थिक लाभ के साथ इनसे जुड़े लोगो की आअीविक चलती है। इनके सामानो की विक्री होने से इन लोगों की भी आजीविका चलती है। इसी के मद्देनजर यह बाजार उपलब्ध करवाया जाता है। कलाकारों को कोविड महामारी के कारण बहुत ही दयनीय स्थिति का सामना करना पड़ा है। मशीनी युग होने के कारण हस्तनिर्मित सामान के मूल्य अधिक होते है। बाजार में कंपटीशन के कारण हस्तशिल्प कलाकारों को कभी-कभी कम कीमत पर अपने उत्पाद बेचने को विवश होना पड़ता है। गांधी शिल्प बाजार 2022 का आायोजन इस उद्देश्य से किया गया है कि हस्तशिल्प कलाकारों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके।