अखण्ड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 09 सितंबर, दिन गुरूवार को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन करती हैं। इसके अलावा कुवांरी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए इस दिन व्रत करती हैं। हरतालिका तीज के दिन पूजन में हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है….
हरतालिका तीज व्रत कथा
भविष्य पुराण में वर्णित कथा के अनुसार देवी सती ने पुनः शरीर धारण करके माता पार्वती के रूप में हिमालय राज के परिवार में जन्म लिया। अपनी पुत्री को विवाह योग्य होता देख हिमालय राज ने माता पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करने का निश्चय कर लिया था। लेकिन माता पार्वती पूर्व जन्म के प्रभाव के कारण मन ही मन भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं।
चौपाई:-
सतीं मरत हरि सन बरु मागा । जनम जनम सिव पद अनुरागा ॥
तेहि कारन हिमगिरि गृह जाई । जनमीं पारबती तनु पाई॥3॥
माता सती ने देहत्याग करते समय भगवान हरि से यह वर माँगा कि मेरा जन्म-जन्म में शिवजी के चरणों में अनुराग रहे । इसी कारण उन्होंने हिमाचल के घर जाकर पार्वती के रूप में जन्म लिया॥3॥
हालांकि भगवान शिव, माता सती की मृत्यु के बाद से तपस्या में लीन थे और एक बार फिर वैरागी हो चुके थे।
इधर माता पार्वती की सखियाँ(अलियाँ)
माता पार्वती की मनोदशा और उनके पिता के निश्चय से उत्पन्न हुए असमंजस को दूर करने के लिए पार्वती जी का हरण कर लिया। तभी से इस व्रत को हरित+ अलिका=हरितालिका कहा जाता है।
सखियों ने उन्हें हिमालय की कंदराओं में छिपा दिया। माता पार्वती ने हिमालय की गुफा में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी कठोर तपस्या ने अंततः भगवान शिव प्रसन्न हो कर माता पार्वती को अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार करने का वचन दिया । आलिका अर्थात सखियों द्वार हरण किए जाने के कारण ये दिन हरतालिका के नाम से जाना जाने लगा। कुवांरी कन्याएं मनचाहा वर और सौभाग्यवती स्त्रियां अखण्ड़ सौभाग्य पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं।
हरितालिका तीज व्रत में रवियोग:-
इस बार हरितालिका तीज पर 14 साल बाद रवियोग के होने से सुंदर मुहूर्त निर्मित हो रहा है जो कि चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है, यह शुभ योग 9 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर को 12 बजक 57 मिनट तक रहेगा।
हरतालिका तीज व्रत के पूजन का
अति शुभ समय सायंकाल 05 बजकर 16 मिनट से शाम को 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
शुभ समय 06 बजकर 45 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
हरितालिका तीज सूक्ष्म पूजन विधि:-
1. हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
2. सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश जी को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।
3. इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
4. तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
5. इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग अर्पित करें।
आचार्य स्वामी विवेकानन्द जी
ज्योतिर्विद, वास्तुविद व सरस् श्रीरामकथा व श्रीमद्भागत कथा व्यास श्रीधाम श्री अयोध्या जी
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