केंद्र सरकार ने बीते सोमवार को स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों के लिये अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग व्यवस्था लागू करने की समयसीमा दो हफ्ते बढ़ा दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। जानकारी के लिए बता दें कि हॉलमार्किंग की अनिवार्यता की प्रक्रिया पहले 1 जून से शुरू होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते सरकार ने हितधारकों के इस अनुरोध को स्वीकार किया कि ज्वैलर्स को इसके कार्यान्वयन के लिए तैयार होने तथा इससे जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए कुछ और समय दिया जाए।
इसके अलावा उचित तालमेल सुनिश्चित करने और क्रियान्वयन के मुद्दों को हल करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। जिसके संयोजक भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद तिवारी होंगे।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2019 में भारत सरकार ने स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों पर ‘हॉलमार्किंग’ 15 जनवरी, 2021 से अनिवार्य किये जाने की घोषणा की थी। हालांकि महामारी के कारण ज्वैलर्स ने समयसीमा बढ़ाये जाने की मांग की थी, जिसके बाद इस तारीख को चार महीने आगे खिसकाकर एक जून कर दिया गया था।
स्वर्ण आभूषणों में भारत के पास विश्व के सर्वोत्तम मानक हों
बीते दिन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय मानक ब्यूरो और उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा आयोजित एक वेबिनार व सम्मेलन में भारत में स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वर्ण आभूषणों में भारत के पास विश्व के सर्वोत्तम मानक होने चाहिए और ग्राहकों को बिना किसी देरी के हॉलमार्क प्रमाणित सोने के आभूषण जल्द से जल्द पूरे देश में प्राप्त होने चाहिए।
क्या होती है हॉलमार्किंग
हॉलमार्किंग सोने, चांदी और प्लेटिनम की धातुओं की शुद्धता को प्रमाणित करने का एक जरिया है। यह विश्वसनीयता प्रदान करने का एक माध्यम है।हॉलमार्किंग की प्रक्रिया पूरे देश में मौजूद हॉलमार्किंग केंद्रों पर की जाती है, जिसकी निगरानी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा होती है। यदि आभूषणों पर हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है। असली हॉलमार्क पर हॉलमार्किंग में बीआईएस की मुहर, सोने की कैरेट की जानकारी, केंद्र का लोगो और हॉलमार्किंग कराने वाले की जानकारी सहित कुल 4 मार्किंग होती हैं।
वर्तमान में परख एवं हॉलमार्किंग केंद्र एक दिन में 1500 गहनों को हॉलमार्क कर सकते हैं। इन केंद्रों की प्रति वर्ष अनुमानित हॉलमार्किंग क्षमता 14 करोड़ आभूषण (500 गहने प्रति पाली और 300 कार्य दिवस मानते हुए) है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, भारत में करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से सिर्फ 35879 को ही बीआईएस सर्टिफाइड किया गया है।
भारत में हॉलमार्किंग से जुड़े नियम कानून
1) भारत में हॉलमार्किंग को बीआईएस अधिनियम, 2016, (हॉलमार्किंग) विनियम, 2018 के तहत कवर किया गया है, जिसे 14 जून, 2018 को अधिसूचित किया गया था। इस अधिनियम में जौहरियों के लिए पंजीकरण अनुदान, परख, हॉलमार्किंग केंद्रों के लिए मान्यता और रिफाइनरियों के लिए लाइसेंस के अनुदान को कवर करने वाले तीन अध्याय शामिल हैं।
2) इस अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार के पास उत्पाद और सेवाओं की अनुरूपता को सत्यापित करने और अनुरूपता प्रमाणपत्र जारी करने के लिए किसी भी एजेंसी या प्राधिकरण (बीआईएस के अलावा) को नियुक्त करने की शक्ति है।
3) यह अधिनियम, केंद्र सरकार को कुछ अधिसूचित वस्तुओं, प्रक्रियाओं, लेखों आदि के लिए जनहित, पर्यावरण की सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा या अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए मानक चिह्न अनिवार्य बनाने की अनुमति देता है।
4) भारत में वर्तमान में दो कीमती धातुएं (सोना और चांदी) हॉलमार्किंग के दायरे में आती हैं।
5) भारत में BIS-Care के नाम का ऐप भी उपलब्ध है। इस ऐप पर शुद्धता की जांच के साथ शिकायत की भी सुविधा मौजूद है। इस ऐप पर ग्राहक गलत जानकारी से सम्बंधित अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
हॉलमार्किंग उपभोक्ताओं/आभूषण खरीदारों को सही विकल्प चुनने में सक्षम बनाती है और उन्हें सोना खरीदते समय किसी भी अनावश्यक भ्रम से बचाने में भी मदद करती है। वर्तमान में, केवल 30% भारतीय स्वर्ण आभूषण ही हॉलमार्क वाले हैं।
इस नियम के लागू होने से क्या फायदे होंगे?
15 जून से हॉलमार्किंग अनिवार्य होने पर देश में सिर्फ 22 कैरेट, 18 कैरेट, 14 कैरेट के आभूषणों की बिक्री हो सकेगी। इससे धोखाधड़ी की शिकायतें खत्म हो जाएंगी। हॉलमार्किंग में BIS की मुहर और कैरेट की जानकारी होगी, जिससे गोल्ड मार्केट में पारदर्शिता बढ़ेगी। यह कदम भारत को विश्व में एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद करेगा।