गुजरात: सोमनाथ में पीएम मोदी ने किया 4 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास, कहा- तोड़ने वाली शक्तियों का अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सोमनाथ में 80 करोड़ रुपये से अधिक की चार परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज मुझे समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी और जीर्णोद्धार के बाद नए स्वरूप में जूना सोमनाथ मंदिर के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है। साथ ही आज पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास भी हुआ है। इस दौरान सोमनाथ मंदिर पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।

लौह पुरुष और लोकमाता को किया नमन

उन्होंने कहा कि आज मैं लौह पुरुष सरदार पटेल के चरणों में भी नमन करता हूं जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की इच्छाशक्ति दिखाई। सरदार साहब, सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जुड़ा हुआ मानते थे। इस दौरान पीएम मोदी ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को नमन करते हुए कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।

विनाश में विकास का बीज अंकुरित करते हैं शिव

पीएम मोदी ने आगे कहा कि ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं। इसलिए शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं। शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है।

तोड़ने वाली शक्तियों का अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता

सोमनाथ मंदिर के इतिहास को लेकर कहा कि इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहां की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ। जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वो किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन, उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती।

इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की हो सोच

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की। इसलिए, जब मैं ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की बात करता हूं, तो उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है। ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।

‘12 ज्योतिर्लिंग भारत को आपस में पिरोते हैं’

पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं। इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।

ट्रैवल रैंकिंग में हुआ सुधार

उन्होंने कहा कि पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य मानवी को न केवल जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि 2013 में देश Travel & Tourism Competitiveness Index में जहां 65th स्थान पर था, वहीं 2019 में 34th स्थान पर आ गया।वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि पीएम मोदी ने सोमनाथ ट्रस्ट के विकास को नई दिशा दी है। सोमनाथ के प्राचीन वैभव को लौटाने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सोमनाथ का मंदिर विनाश पर सृजन का प्रतीक है।

इन परियोजनाओं का हुआ शिलान्यास और उद्घाटन

आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें सोमनाथ सैरगाह, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी।

सोमनाथ सैरगाह को ‘प्रसाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, धरोहर संवर्धन अभियान) योजना’ के तहत 47 करोड़ रुपये से भी अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। ‘पर्यटक सुविधा केंद्र’ के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र में पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली की मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को दर्शाया जाता है।

पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा 3.5 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को ‘अहिल्याबाई मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा तब बनाया गया था, जब उन्होंने पाया कि पुराना मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए संपूर्ण पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है।

पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर का निर्माण, गर्भगृह और नृत्य मंडप का विकास करना शामिल होगा।

साभार : NewsOnAir

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