पटना, 05 जून ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) ने गो ग्रीन अभियान के तहत विश्व पर्यावरण दिवस मनाया।
गो ग्रीन अभियान की शुरूआत जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन के मार्गदर्शन में समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि धरा नहीं, तो सब धरा रह जायेगा। “गो ग्रीन” का अर्थ है, पर्यावरण के ज्ञान और प्रथाओं को आगे बढ़ाना, जो पर्यावरण के अनुकूल और पारिस्थितिक रूप से जिम्मेदार निर्णय और जीवन शैली का नेतृत्व कर सकते हैं, जो पर्यावरण की रक्षा करने और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। जब हम हरे रंग में जाते हैं, तो हम अपने कार्बन पदचिह्न को प्रभावी ढंग से कम कर रहे हैं। प्रदूषण को कम करके, हम खपत की जा रही ऊर्जा की मात्रा को भी कम कर रहे हैं, जिससे एक हरे और स्वच्छ वातावरण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। उन्होंने बताया हमने “गो-ग्रीन” का जीकेसी परिवार पहले शुरू कर दिया है। पत्रिकाओं, स्क्रैप कपड़े या अखबार से अपना खुद का रैपिंग पेपर या उपहार बैग बनाएं।
एक साथ कम्पोस्ट बिन का निर्माण करें। बाग लगाएं।और भी कई गतिविधियाँ, जो पौधे और पर्यावरण को बचा सकती हैं।
आइए हम सब हाथ मिलाएं और गो ग्रीन को एक बड़ी सफलता बनाना सुनिश्चित करें।
जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना है।हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा करें और पेड़- पौधे काटने से बचें। इस दिन को मनाने की बड़ी वजह यह है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति सचेत किया जा सके। भारतीय संस्कृति में वृक्ष अत्यंत पूजनीय है। हमारी सनातन संस्कृति वृक्षारोपण एवं वृक्षपूजन को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया है।आज के प्रासंगिक समय में पर्यावरण संरक्षण एक संवेदनशील विषय है, जिसपर चिंतन और युद्धस्तर पर कार्य करना आवश्यक है।जन जन में जागृति आये इसके लिए हमे योजना बद्ध तरीके से कार्य करना होगा।
जीकेसी बिहार की अध्यक्ष और गो ग्रीन अभियान की राष्ट्रीय प्रभारी डा.नम्रता आनंद ने कहा कि पर्यावरण ही जीवन है, गो ग्रीन अभियान एवं जल जीवन हरियाली का हम समर्थन करते हैं, जब ऑक्सीजन होगा तो ही हम लोग जिएंगे ।कोरोना कि तीसरी लहर ही क्यों आए। पेड़ लगाकर हम देश को आने वाले खतरों से बचा सकते हैं।पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का ध्यान रखना हमारा परम दायित्व बनता है।
सभी को अपने स्तर पर पर्यावरण बचाने पर योगदान देना चाहिए। आसपास लगे पेड़ों को जीवित रखें। उनकी देखभाल करें। जहां जरूरी हो वहां पौधे लगाएं। आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं है। लोगों को पर्यावरण शिक्षा दिये जाने की जरूरत है, कला-संस्कृति प्रकोष्ट की राष्ट्रीय सचिव
सह गो ग्रीन अभियान की राष्ट्रीय प्रभारी श्रीमती श्वेता सुमन ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन जी एवं प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन जी ने वर्तमान संकट से उबरने एवं भविष्य को संजोने के लिए” गो ग्रीन “अभियान की शुरुआत की है जो बहुत ही अनुकरणीय है और हम सब को अपनी धरा के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है तो अपने योगदान से इस अभियान को संबलता प्रदान करें,स्वच्क्ष हवा और सुंदर धरा के लिए एक पौधा ज़रूर लगाएं। लगाएं वृक्ष ,जल बचाएं ज़रा
जो न संभले अब तो रह जायेगा धरा
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती रूचिता सिन्हा ने कहा आज दिल्ली, मुम्बई जैसे शहरों मे रहते हुए भी जो पर्याप्त जगह है , उसी मे पौधों को लगाने के साथ साथ प्लास्टिक के यूज्ड बोतलों को रियूज करके ना सिर्फ अपने मनपसंद के खूबसूरत पौट्स बनाया गया हैं, बल्कि पैसे का बचत भी किया गया है और पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाव किया है।अतः आप सभी से भी निवेदन करती हूँ कि आप भी प्लास्टिक के बोतलों को रियूज करके अपने मनपसंद के पौट्स बनाएं और उसमें पौधे लगाएं तथा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने मे सहयोग करें।
जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष नीना मंदिलवार ने कहा आज धरती त्राहिमाम के कगार पर पहुँच गई है। हम आज तक प्रकृति से लेते ही तो आये है,सूर्य की रौशनी, बारिश का पानी, सबसे जरूरी आक्सीजन, जो हमे पेड़-पौधों से मिलता रहा। अब हमारी बारी है,इन्हें शुक्रिया कहने की,संरक्षण करने की। गो ग्रीन अभियान के तहत सभी को अपनी भागीदारी पूरी आस्था के साथ निभानी होगी।