नयी दिल्ली, 11 फरवरी ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ ने महान पार्श्वगायिका लता मंगेश्कर की स्मृति में संगीतमय संध्या का आयोजन किया, जिसमें कलाकारों ने लता मंगेश्कर को गायन, वादन और संस्मरण के जरिये भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार और राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने बताया कि स्वर साम्राज्ञी लता मंगेश्कर की स्मृति में वर्चुअल संगीतमय संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लता मंगेशकर से जुड़े संस्मरण को वरिष्ठ कलाकार और जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के ग्लोबल अध्यक्ष अंजन श्रीवास्तव, सुप्रसिद्ध कवि आलोक अविरल और फिल्म निर्माता अशोक सक्सेना ने साझा किया।
कार्यक्रम में मुम्बई से डॉ शालिनी बैरागी ने “कोई ना है फिर भी मुझको है किसका इंतज़ार” गाया तो गज़ल गायिका मृणालिनी अखौरी ने “रैना बीती जाये और मुंबई से ही नवीन श्रीवास्तव ने “हम थे जिनके सहारे” गाया। छत्तीसगढ़ रायपुर के युवा गायक देवतोष ने सरस्वती श्लोक और दर्द से मेरा दामन और दिल्ली के दिव्यांश ने ये दिल तुम बिन नहीं लगता हम क्या करें जैसे गाने से कार्यक्रम को और भी रोचक बना दिया। वादन में जहां एक तरफ देश के ख्याति प्राप्त वायलन वादक डॉ रंजन कुमार के लता जी के भजन ” श्री राम चन्द्र कृपाल ” पर श्रुति सिन्हा द्वारा नृत्य मुद्रा में प्रस्तुति दी गई, तो वहीं सुप्रसिद्ध हवाइयिन गिटारिस्ट सुबोध नंदन सिन्हा ने तुझे देखा तो ये जाना सनम और जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा एवं प्रवीण बादल स्पैनिश गिटारिस्ट ने अरे रे अरे ये क्या हुआ गीत पर धुन बजाकर लता जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की परिकल्पना और संचालन जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव शिवानी गौड़ द्वारा किया किया।
धन्यवाद ज्ञापन जीकेसी के ग्लोबल महासचिव अनुराग सक्सेना ने दिया साथ ही उन्होंने घोषणा की लता मंगेश्कर के गाये गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों ” को जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के कलाकार गायेंगे और उनके गाये गीतों पर मेलोडी बनायी जायेगी। कार्यक्रम के सफल संचालन में जीकेसी डिजिटल-तकनीकी और संचार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन श्रीवास्तव और जीकेसी डिजिटल-आईटी प्रकोष्ठ बिहार के प्रदेश आशुतोष ब्रजेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
इस अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने लता जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि संगीत की दुनिया के विशिष्ट हस्ताक्षरों को जिन्हें दुनिया नमन करती है उनमें से एक थीं लता मंगेशकर। उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिए दिखाने जैसा है। उनके जो भी सदाबहार गाने हैं, चाहे वो राष्ट्रभक्ति के हों, चाहे रोमांटिक, हम कभी भूल नहीं पाएंगे। उनका देहावसान ज़रूर हुआ है लेकिन अपने गीतों की वजह से लता जी सहस्त्राब्दियों तक हमारे हृदय में जीवित रहेंगी। उन्होंने जिस पवित्रता के साथ और शुद्ध मन से जीकेसी की पूरी टीम ने लता जी पर कार्यक्रम आयोजित किया है उसके लिए पूरी टीम बधाई और शुभकामनाओं की पात्र है।