जी-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए नए सिरे से प्रयास करने और इसे अधिक कुशल और आज की दुनिया का प्रतिनिधि बनाने का आह्वान किया। इन देशों ने अंतर-सरकारी वार्ता [IGN] में सार्थक प्रगति में आने वाली निरंतर कमी पर चिंता व्यक्त की। जी-4 मंत्रियों ने दोहराया कि सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थाई और गैर-स्थाई दोनो श्रेणियों में विस्तार निकाय को अधिक प्रतिनिधि,वैध और प्रभावी बनाना अत्यंत आवश्यक है।
किन मुद्दों पर हुई चर्चा
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने कहा कि सुरक्षा परिषद के विशिष्ट मामले में 25 साल की बहस के बाद यह स्पष्ट है कि हमें रुके हुए सुधारों के लिए नए सिरे से समाधान तलाशने की जरूरत होगी। दूसरी ओर जापान के प्रधानमंत्री किशिदो फुमियो ने वार्ता को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए पाठ आधारित वार्ता का समय आ गया है। इसे परिषद के विस्तार का मामला बनाते हुए जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने कहा कि एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के उभरते गतिशील देशों और क्षेत्रों को विश्व मंच पर एक मजबूत राजनीतिक आवाज देनी चाहिए।
क्या है जी-4
सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग के लिये जापान, जर्मनी, भारत और ब्राज़ील ने G-4 के नाम से एक गुट बनाया जो स्थायी सदस्यता के मामले में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।G-4 देश लगातार बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ ही UNSC की संरचना में सुधार की मांग कर रहे हैं। G-4 देश 21वीं शताब्दी की समकालीन ज़रूरतों के लिये संयुक्त राष्ट्र की स्वीकार्यता हेतु सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। ये मुख्य तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने हेतु उत्तरदायी है। जिसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित है। सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं जिनमें पाँच स्थायी सदस्य और अन्य 10 सदस्य दो वर्षीय कार्यकाल हेतु चुने जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसी संघ, फ्राँँस, चीन और यूनाइटेड किंगडम इसके 5 स्थाई सदस्य हैं। भारत ने पिछले वर्ष (2021) में आठवीं बार एक अस्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रवेश किया था और दो वर्ष यानी वर्ष 2021-22 तक परिषद में रहेगा। प्रतिवर्ष महासभा दो वर्ष के कार्यकाल के लिये पाँच अस्थायी सदस्यों (कुल दस में से) का चुनाव करती है। दस अस्थायी सीटों का वितरण क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है और परिषद की अध्यक्षता प्रतिमाह 15 सदस्यों के बीच रोटेट होती है।