पटना : गुरुवार को साईं हेल्थ केअर वेलनेस सेंटर द्वारा जागरूकता शिविर एवं हेल्थ कैंप का आयोजन किया गया। जिसमे दर्जनों मरीजों ने अपना स्वास्थय चेकअप कराया। इस अवसर पर डा राजीव सिंह ने केक काटकर विश्व फिजियोथेरेपी दिवस कि बधाई दी।
इस अवसर पर अंकिता सिंह, डॉ बी. के, डॉ सदानंद, डॉ अवदेश, डॉ जावेद, डॉ रोहन, रूद्र की उपस्थिति रही। कैंप में आये मरीजों को घुटने दर्द में ब्ययाम के महत्त्व बताये एवं फिजियोथेरेपी से ऑस्टियोआर्थराइटिस रोका जा सकता है ये भी बताये। उन्होंने बताया की घुटने दर्द में हेम्स स्ट्रेचिंग, नी आरओम और क्वारंडिसेप स्ट्रेनदनिंग एवं सरसाइन बहुत ही कारगर है। कैम्प में बताया गया की अगर नियमित व्यायाम किया जाये तो घुटने के सर्जरी से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि लोग समझते हैं कि दवा की गोली खा लेने से दर्द छू मंतर हो जाएगा। पर ऐसा होता नहीं है। कुछ देर की राहत के बाद फिर दवा पर निर्भरता की स्थिति बन जाती है, जोकि हमारे शरीर के लिए सही नहीं है। दरअसल हमारे शरीर की क्षमता में ही शरीर का इलाज छुपा है। इसे फिजियोथेरेपी पद्धति ने पहचाना और लोगों का इलाज बिना दवा-गोली के होना शुरू हुआ। यह पद्धति आज काफी लोकप्रिय है। इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 8 सितंबर को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस मनाया जाता है। फिजियोथैरेपी यानी शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों-नसों के दर्द या तकलीफ वाले हिस्से की वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों, एक्सरसाइज, मोबिलाइजेशन और टेपिंग के माध्यम से मरीज को आराम पहुंचाना।
फिजियोथैरेपिस्ट बताते हैं की आज की जीवनशैली में हम लंबे समय तक अपनी शारीरिक प्रणालियों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और जब शरीर की सहनशीलता नहीं रहती है तो वह तरह-तरह की बीमारियों व दर्द की चपेट में आ जाता है। फिजियोथैरेपी को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर दवाइयों पर निर्भरता कम करके स्वस्थ रह सकते हैं। हिप्पोक्रेट्स और उसके बाद गेलेनस जैसे चिकित्सक शुरुआती शारीरिक चिकित्सकों में गिने जाते हैं, इन्होनें 460 ई.पूर्व में ही मालिश, हाथों से किये जाने वाले उपचार एवं जलचिकित्सा का समर्थन किया। मैकेनिकल एवं ऑर्थोपेडिक डिसऑर्डर से लेकर जीनशैली संबंधी बीमारियों में यह चिकित्सा पद्धति वरदान के रूप में है।