ठगी गिरोह का पर्दाफाश

दिल्ली पुलिस ने सीएससी आईडी बनवाने के नाम पर लोगों को लूटने वाले तीन शातिर ठग गिरफ्तार किए है. ये लोग सैकड़ों लोगों को अपनी जालसाजी का शिकार बना चुके हैं.

गिरफ्तार बदमाश सीएससी के नाम से मिलती जुलती नकली वेबसाइट बनाकर बेरोजगार लोगों को सीएससी केंद्र खुलवाने का झांसा देते थे. और रुपए ठगकर भाग जाते. दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में राजस्थान के सीकर जिले के तीन लोगों को गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल भेज दिया है. इनके नाम हैं-चित्रेश गोयल (उम्र 26 साल, नीम का थाना, जिला सीकर, राजस्थान), मोनू शर्मा (उम्र 24 साल, थाना पट्टन, जिला सीकर, राजस्थान), कुलदीप सिंह (उम्र 27 साल, दयाल का नांगल, जिला सीकर, राजस्थान)

सीएससी आईडी दिलाने के नाम पर झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने बीते हफ्ते पर्दाफाश किया. पुलिस ने कई उपकरण और जरूरी कागजात बरामद किए. पुलिस के मुताबिक, गिरोह ने लाखों रुपयों की ठगी की है. इन सभी बदमाशों के खिलाफ IPC 1860 एक्ट के Section 419, 420, 120B के तहत जालसाजी और IT Act 2000 की धारा 66 C, 66 D में केस दर्ज किया गया है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हम तीन लोगों का एक गिरोह है. हम लोग मिलकर सीएससी सेंटर बनाकर सीधे साधे लोगों को सीएससी और सीएससी सेवाएं दिलाने के नाम पर पहले चिकनी-चुपड़ी बातें करते, और फिर विश्वास जीतने के बाद उनसे पैसे की धोखाधड़ी करते. ये बदमाश अब तक सैकड़ों लोगों के साथ धोखाधड़ी कर चुके हैं.

प्रारम्भिक पूछताछ में आरोपी चित्रेश गोयल ने बताया कि इन तीनों ने मिलकर अब तक सैकड़ों लोगों के साथ सीएससी आईडी बनाने के नाम पर ठगी किया है. चित्रेश ने नीमका के एक संस्थान से कंप्यूटर कोर्स किया है. साल 2020-21 में जब वह जयपुर काम की तलाश में गया तो वहां राजस्थान सरकार में ई-मित्र का काम मिल गया. काम करते हुए ही उसे सीएससी के बारे में पूरी जानकारी मिली. इसी दौरान, उसकी मुलाकात दूसरे आरोपी मोनू शर्मा से हुई जो एक पेमेंट बैंक में डिस्ट्रिब्यूटर का काम करता था. मोनू के पिता मनरेगा में मजदूरी करते हैं.

फेसबुक के जरिए इनकी मुलाकात तीसरे आरोपी अंकित राज से हुई. अंकित ने इनको आश्वत किया कि वह इनके लिए सीएससी के नाम से मिलती-जुलती नकली वेबसाइट बना देगा. ग्राहकों से पैसे लेने के लिए पे-यू की यूपीआई आईडी बनाई गई. हैरानी की बात है कि चित्रेश ने इसमें जरूरी दस्तावेज बिना बताए अपनी मां के लगाया. मां से बात करने पर उन्होंने इस पूरे मामले से अपनी अनभिज्ञता जताई. फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया पर इस वेबसाइट का जमकर प्रचार किया गया. ग्राहक को सर्च के दौरान जब इस वेबसाइट को देखते तो टीईसी परीक्षा के लिए भुगतान करते. भुगतान मिलने के बाद ये बदमाश फिर से अजनबी बनकर इन ग्राहकों को फोन करते और टीईसी सर्टिफिकेट दिलाने के लिए और अधिक पैसा पेटीएम के जरिए लेते. इन लोगों ने सीएससी अधिकारियों के फर्जी दस्तखत करके टीईसी सर्टिफिकेट भी बना लिए.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि इन बदमाशों ने ढेर सारे व्हाट्सऐप ग्रुप भी बना रखे हैं जिसका लिंक लोगों को भेजकर सीएससी सेवाएं लेने के लिए लुभाया जाता है और उनसे ठगी करके पैसा वसूला जाता है.

आपको बताते चलें कि सीएससी रजिस्ट्रेशन की एक निर्धारित प्रक्रिया है जो कि पूरी तरह से निशुल्क है. देश के दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों में सीएससी के साढ़े पांच लाख से अधिक केंद्र हैं जिनके जरिए नागरिकों को उनके दरवाजे पर ही विभिन्न प्रकार की सरकारी और अन्य सेवाएं दी जाती हैं.

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