पटना। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा कि बिहार देश का एक ऐसा राज्य है जो प्रतिवर्ष बाढ़ की भयानक विभीषिका के साथ साथ सुखाड़ की गंभीर समस्याओं को भी झेलता है।
बिहार के कम से कम 20 जिले ऐसे हैं जो प्रत्येक वर्ष बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं। बिहार की बाढ़ समस्या के समाधान हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा सिर्फ घोषणाएँ ही की जा रही है लेकिन इस समस्या के स्थायी एवं ठोस समाधान की दिशा में ईमानदार कोशिश नहीं हो रही है।
इसके निदान के लिए कई नहरों एवं बराजों के निर्माण कराने के साथ साथ राज्य की नदियों को जोडऩे की माँग पहले से की जाती रही है तथा वर्ष 2011 में घोषणा की गई थी। इसमें राज्य की कई नदियों को जोडऩे के लिए अनेक योजनाओं की बात कही गई थी। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस योजना का कार्यान्वयन अभी तक शुरू नहीं हुआ है। प्रतिवर्ष हजारो जानमाल तथा अरबों की आर्थिक क्षति को देखते हुए इन योजनाओं को तीव्र गति से मिशन मोड में करने की आवश्यकता है।
यह योजना बाढ़ नियंत्रण, पेयजल की उपलब्धता, सिंचाई, पनबिजली उत्पादन सहित राज्य की आंतरिक जलमार्ग के रूप में अति उपयोगी साबित होगा जिससे राज्य के चहुँमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद राज्य को विशेष दर्जा देने की बात तो दूर अभी तक विशेष पैकेज भी नहीं मिल पाया है। विगत चार वर्षो में बाढ़ राहत के लिए केन्द्र से बिहार को उचित मदद नहीं मिल पाई जबकि बिहार से कम जनसंख्या वाले राज्यों को जहाँ बिहार की तुलना में बाढ़ की विभीषिका भी काफ ी कम होती है।
उन राज्यों को भी बिहार से अधिक आर्थिक सहायता मिली है। यह भी विचारणीय है। नदियों को जोडऩे, बांधो एवं नहरों को बनाने की उपर्युक्त सभी योजनाओं को केंद्र सरकार से राष्टï्रीय योजना घोषित कराने की माँग की जाए जिससे एक तरफ तो इन योजनाओं के ससमय क्रियान्वयन हेतु निधि की शत प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
श्वेता / पटना