पीएम मोदी ने पहली बार वस्तु निर्यात के क्षेत्र में भारत के 400 अरब डॉलर के निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत यात्रा की दिशा में मील का पत्थर है।
आत्मनिर्भर भारत यात्रा में एक ‘मील का पत्थर’
पीएम मोदी ने बुधवार को जानकारी दी कि भारत ने पहली बार 400 अरब डॉलर के माल निर्यात का लक्ष्य हासिल किया है। पीएम मोदी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि “भारत ने पहली बार निर्धारित 400 अरब डॉलर के वस्तु निर्यात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल किया है। मैं इस सफलता के लिए अपने किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, निर्माताओं और निर्यातकों को बधाई देता हूं।” पीएम मोदी ने आगे कहा कि यह हमारी आत्मनिर्भर भारत यात्रा में एक ‘मील का पत्थर’ है।
गौरतलब हो, वित्त वर्ष 2020-21 में निर्यात 292 बिलियन अमरीकी डालर था जबकि 2021-22 में देश का निर्यात 37 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 400 बिलियन अमरीकी डालर पर पहुंच गया।
केंद्र सरकार का अनुमान सही साबित
इससे पहले बीते फरवरी माह में केंद्र सरकार ने कहा था कि भारत इस वित्तीय वर्ष तक 400 अरब डॉलर के निर्यात तक पहुंचने की राह पर है। इस संबंध में फरवरी में, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 2 फरवरी को लोकसभा में बताया था कि, भारत इस वित्तीय वर्ष तक 4,00 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात तक पहुंचने की राह पर है। प्रश्नकाल के दौरान जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले अप्रैल से निर्यात मूल्य में 30 अरब डॉलर प्रति माह की दर से स्थिरता है, और कुल मूल्य अब तक 334 अरब डॉलर के आंकड़े तक पहुंच गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक औसतन, हर घंटे 46 मिलियन अमरीकी डॉलर का सामान निर्यात किया जाता है, प्रतिदिन 1 बिलियन अमरीकी डॉलर का सामान निर्यात किया जाता है और हर महीने तकरीबन 33 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात किया जाता है।
निर्यात में बढ़ोतरी के लिए भारत सरकार के कदम रहे कारगर
भारतीय निर्यात में बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए तमाम कदम काफी कारगर साबित हुए है। जी हां, केंद्र सरकार ने मुक्त व्यापार समझौतों या व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौतों में प्रवेश करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, कनाडा और कई अन्य देशों के साथ बातचीत की जिसका सकारात्मक असर सीधा भारत के निर्यात पर पड़ा। भारत के निर्यात में तेजी आई।
कोविड-19 महामारी के बाद किया था अहम फैसला
दरअसल, भारत सरकार का यह कदम भारतीय निर्यात के लिए नए बाजारों को जुटाने और वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति में बदलाव के लिए आपूर्ति श्रृंखला जैसे पहलुओं में कोविड-19 महामारी के बाद उठाया गया था।
उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ने बदली बाजार की परिस्थिति
उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को एक ऐसा कदम बताया जो बाजार की बदलती परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सही समय पर आया। इससे भारतीय बाजार को लाभ हुआ साथ ही साथ उत्पादकता में भी वृद्धि हो गई। इससे भारतीय उत्पादकों की वैश्विक बाजार में अच्छी कमाई हुई।
RCEP से भारत के बाहर रहने के मिले फायदे
आरसीईपी (RCEP) यानी रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप के लिए चल रही वार्ता में एक निर्णायक मोड़ उस वक्त आया, जब भारत ने इस विशाल कारोबारी समझौते से खुद को अलग रखने का फैसला किया। सबसे अच्छी बात तो यह हुई की क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते यानि आरसीईपी से भारत के बहिर्गमन पर, पारदर्शिता की कमी को देखते हुए उद्योग, व्यापार, कृषक समुदायों और राजनीतिक दलों सहित सभी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का एक साथ स्वागत भी किया। हालांकि, भारत ने समूह के कुछ सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौता किया है और कुछ अन्य देशों के साथ इस पर काम कर जारी है।
विश्व में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बना था भारत
वहीं व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर यूरोपीय संघ के साथ बातचीत सीईपीए लंबे समय से रुकी हुई थी। भारत के ठोस कूटनीतिक प्रयासों के कारण, जुलाई 2021 में वार्ता फिर से शुरू की गई है। याद हो, 2021 के अन्त में भारत विश्व में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बना था। उस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 31 दिसंबर 2021 तक 633.6 अरब अमरीकी डॉलर को छू गया था।