● रेलवे भर्ती बोर्ड की अकर्मण्यता से आरआरबी-एनटीपीसी के अभ्यर्थी उग्र हुये।
● रेलवे भर्ती बोर्ड के अफसरों पर हो कारवाई/एफआईआर-विशाल दफ्तुआर
● ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला ने एनएचआरसी और बिहार सीएम को पत्र लिखा
● मदद के लिये व्हाट्सएप नंबर 9835442759 जारी
आरआरबी-एनटीपीसी मामले में रेलवे भर्ती बोर्ड की गलती और प्रशासन-पुलिस द्वारा अभ्यर्थी छात्रों पर जुल्म और कोचिंग संचालकों पर एफआईआर के विरोध में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन के चेयरमैन विशाल रंजन दफ्तुआर ने सार्थक पहल की है।
उन्होंने इस संदर्भ में आज शाम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है।इस संदर्भ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के उच्चाधिकारियों से उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर बात भी की है
दफ्तुआर ने अपने पत्र में लिखा है कि “जब रोम जल रहा था,तो नीरो चैन से बंसी बजा रहा था”-अभी “नीरो” की भूमिका में “रेलवे भर्ती बोर्ड-आरआरबी” है।
जब आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा के मुद्दे पर इसके अभ्यर्थी उग्र आंदोलन कर रहे थे/हैं और प्रशासन और पुलिस ला एंड आर्डर को संभालने में लगे हैं तो रेलवे भर्ती बोर्ड के लोग चैन की नींद सो रहे हैं!!
इस मामले में सबसे बड़ा दोषी रेलवे भर्ती बोर्ड है।इसके लिये दोषी अधिकारियों पर कारवाई होनी चाहिए।एफआईआर तो इसके दोषी अफसरों पर होना चाहिए जिनके मनमाने रवैया से यह अभ्यर्थी छात्रों का उग्र आंदोलन शुरु हुआ।
2019 की परीक्षा आप विलंब से लेंगे और फिर अचानक से उसमें मेन्स परीक्षा लेने की अप्रासंगिक ऐलान कर देंगे तो क्या करोड़ों छात्र उत्तेजित नहीं होंगे।अब रेलवे भर्ती बोर्ड कमिटी बनाकर और अन्य उपायों से डैमेज कंट्रोल कर रहा है,लेकिन इसके अफसरों के असमयानुकूल निर्णय और मनमाने रवैये से इतना बड़ा बखेड़ा तो बेवजह खड़ा हो गया??
प्रशासन और पुलिस ने ला एंड आर्डर के नाम पर अभ्यर्थी छात्रों पर जो जुल्म,लाठी चार्ज, गाली-गलौज और अमानुषिक जुल्म किया है वो मानवाधिकारों का गंभीर हनन है।
पटना,इलाहाबाद जैसे कई जगहों पर लाज में रह रहे निर्दोष छात्रों की भरपूर पिटाई की गई जो मानवाधिकारों के विरूद्ध है।
हालांकि कई जगहों में रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है और पुलिस बल के जवान भी घायल हुये हैं।यह बिल्कुल निंदनीय है।इसकी भी जाँच होनी चाहिए कि कहीं असमाजिक तत्व तो इसकी आड़ में खुराफात नहीं कर रहे हैं।अभ्यर्थी छात्रों को ऐसी हिंसा से बचना चाहिए।
बिहार में प्रशासन और पुलिस के द्वारा अभ्यर्थी छात्रों पर कठोर कारवाई तो की ही गई,कई लोकप्रिय कोचिंग संचालकों पर एफआईआर दर्ज करना एक तरह से उनके मौलिक अधिकारों एवं मानवाधिकारों का हनन भी है।ऐसे एफआईआर को तत्काल वापस लेना चाहिए।
इस बेरोजगारी के गंभीर दौर में जब रेलवे भर्ती बोर्ड मनमाना रवैया अपना रहा है,तो मनोवैज्ञानिक तौर पर अभ्यर्थी छात्र उग्र तो होंगे ही।एक गुरु के तौर पर कोचिंग संचालकों का अभ्यर्थी छात्रों का समर्थन करना एक नैतिक दायित्व भी है।कई वीडियो में तो इन लोगों ने छात्रों को हिंसा न करने की बात कही है।ट्विटर पर हैशटैग चलाना कोई गुनाह नहीं है।
इस घटना से जुड़े डिटेल्स और साक्ष्य 9835442759 पर RRB-NTPC लिखकर व्हाट्सएप किये जा सकते हैं।ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन इस पर उचित और कानूनी पहल करेगा।