महापर्व छठ : आज डूबते सूर्य को अर्घ्य, 31 अक्तूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प होगा पूरा

 

देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धा और आस्था के साथ सूर्य उपासना का महापर्व ‘छठ’ धूमधाम से मनाया जा रहा है। चार दिन के छठ पर्व के अनुष्ठान के तीसरे दिन श्रद्धालु आज रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य यानि डूबते सूरज को अर्घ्य अर्पित करेंगे। वहीं चार दिवसीय छठ पूजा का समापन कल सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ होगा।

*छठ पूजा के चार दिन*

ज्ञात हो चार दिन के महापर्व छठ के पहले दिन 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ छठ पर्व आरंभ हो गया था, इसी दिन व्रती ने नदी में स्नान करते हैं। छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसी दिन बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं। इस बार छठ पूजा का पहला अर्घ्य आज यानि 30 अक्टूबर को शाम के समय डूबते हुए सूर्य को दिया जाएगा। इसके बाद अगले दिन यानि 31 अक्टूबर को उदयाचलगामी सूर्य यानि उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प पूरा होगा। इसके बाद व्रती के पारण करने के बाद व्रत का समापन होगा।

*क्यों मनाया जाता है छठ ?*

बताना चाहेंगे विक्रम संवत के कार्तिक माह में मनाया जाने वाला छठ पर्व जीवन के लिए सूर्य और धरती के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है। इसके माध्यम से प्रकृति और सूर्य की स्तूती कर उनका आभार व्यक्त किया जाता है।

*देश में कहां-कहां मनाया जा रहा छठ ?*

उल्लेखनीय है कि छठ पर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में बहुत उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह बड़ी रोचक बात है कि ‘छठ’ पर्व को देश में कई नामों से जाना जाता है। जैसे डाला छठ, सूर्य षष्ठी और छठ पूजा इत्यादि। छठ का त्योहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा और उपासना का त्योहार है।

*क्या है छठ की पूजा का विधान ?*

छठ का पूजा विधान बेहद कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें व्रत रखने वाला व्यक्ति 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखता है। इस व्रत के दौरान व्रती अपनी संतान की लंबी आयु और आरोग्यता के लिए छठी माता से आशीर्वाद प्राप्त करते है।

वहीं इसके बाद अगले दिन यानी 31 अक्टूबर की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय करीब 6 बजकर 27 मिनट पर होगा।

*अर्घ्य देने की ये है विधि*

– छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मइया की पूजा की जाती है
– षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस के डाले और सूप में रख लें
– डाला लेकर नदी, तालाब या किसी घाट पर जाएं
– इसके बाद नदी, तालाब, घाट या किसी जल में प्रवेश कर सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें
– ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दें
– सूर्य को अर्घ्य देते समय “एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर” मंत्र का उच्चारण करें

*क्या है संध्या अर्घ्य का महत्व ?*

छठ महापर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन अर्घ्य देने से पूर्व घाट पर सायं काल में बांस की टोकरी में छठ पूजा में शामिल सभी पूजा सामग्री, फल और पकवान आदि को अर्घ्य के सूप में सजाया जाता है और इसके बाद अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य के समय सभी लोग पवित्र नदी या घाट के किनारे एकत्रित होकर सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं और छठ के प्रसाद से भरे हुए सूप से छठी मइया की पूजा की जाती है। दरअसल, सूर्य की उपासना का यह सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन इनकी उपासना का विधान है। इसके साथ ही कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की इस तिथि सबसे पावन तिथि माना जाता है। इसी कारण सूर्य भगवान की पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष में अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर की जाती है।

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