आने वाले दिनों में भारत के लिए खुशखबरी है। दरअसल, मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने भारत के आर्थिक विकास का अनुमान 9% बताया है। वहीं 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था को अमेरिका-चीन से भी आगे रहने वाला बताया है। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले पूरी दुनिया में तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद मजबूत सुधार के साथ, भारत वैश्विक आर्थिक विकास का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
2021-22 में भारत के आर्थिक विकास का अनुमान 9%
गौरतलब हो मंगलवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अपने लेटेस्ट अपडेट में आईएमएफ ने कहा कि 2021-22 में भारत के आर्थिक विकास का अनुमान 9% रहने वाला है। वहीं अगले वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.1% की दर से बढ़ेगी।
संसदीय कार्य मंत्री ने ट्वीट कर दिया यह संदेश
भारत के आर्थिक विकास का अनुमान के संबंध में संसदीय कार्य मंत्री ने ट्वीट कर कहा है कि देश मजबूत सुधार के साथ वैश्विक आर्थिक विकास का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही मजबूत नीतिगत सुधारों और सक्षम नेतृत्व के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने के लिए तैयार है।
अमेरिका-चीन से आगे रहेगा भारत
आईएमएफ ने वर्ष 2021 में वैश्विक विकास अनुमान के 5.9 फीसदी पर और वर्ष 2022 में इसके 4.4 फीसदी पर आने की बात कही है। वहीं वर्ष 2023 में वैश्विक विकास दर के 3.8 फीसदी रहने की संभावना है। दरअसल, अमेरिका और चीन की आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती आने की वजह से यह कटौती की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में चीन की विकास दर 8.1%, 2022 में 4.8% और वर्ष 2023 में यह 5.2% रह सकती है। ऐसे में आने वाले वर्षों में भारत की विकास दर अमेरिका और चीन से भी ज्यादा रहेगी जो कि देश के लिए पॉजिटिव माहौल तैयार करती है।
कोरोना के बावजूद नहीं थमा देश का विकास
आईएमएफ का अनुमान के मुताबिक इमर्जिंग मार्केटिंग एंड डेवलपिंग इकोनॉमीज प्रोजेक्शन की सूची वाले देशों में भारत सबसे तेजी से उभरते देशों में इकलौता ऐसा देश होगा जो कि सबसे आगे रहने वाला है। जिस तेजी से कोरोना के पुराने वेरिएंट डेल्टा और नए वेरिएंट ओमिक्रोन के ने पूरी दुनिया में अपने पैर पसारे थे उससे कई देशों की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई थी लेकिन भारत ने कोविड काल में भी अवसर तलाश कर विकास की राह बनाई। इसी का नतीजा है कि आज भारत आने वाले दिनों में दुनिया की तमाम विकसित अर्थव्यवस्थाओं को पछाड़ कर आगे निकलने की स्थिति में आ चुका है। हालिया वर्षों में हुए दो घटनाक्रम प्रमुखता से सामने आते हैं – 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधि ‘G20’ ढांचे के साथ बढ़ता बहुपक्षवाद और यूरोपीय संघ का वैश्विक संकट से निपटने और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा प्रणाली में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सर्वकालिक अत्यधिक प्रभाव वाले चीन के उदय से निपटने के लिए समन्वयन निकाय बनना। इस स्थिति ने ही भारत को आईएमएफ में अपने पैर जमाने का सबसे बड़ा अवसर प्रदान किया।
IMF के बारे में…
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 189 सदस्य देशों वाला एक संगठन है जिनमें से प्रत्येक देश का इसके वित्तीय महत्व के अनुपात में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड में प्रतिनिधित्व हैं। इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो देश अधिक शक्तिशाली है उस देश के पास अधिक मताधिकार है। इसका उद्देश्य वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सतत् आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना और दुनिया भर में गरीबी को कम करना है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अभिकल्पना जुलाई 1944 में संयुक्त राज्य के ‘न्यू हैम्पशायर’ में संयुक्त राष्ट्र के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी।