ई-संजीवनी : देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में लेकर आई एक नई क्रांति

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रमुख टेलीमेडिसिन सेवा ‘ई-संजीवनी’ देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांति लेकर आई है। कोविड काल में यह लोगों के लिए वरदान साबित हुई है। भारत ने अभी हाल ही में ई-संजीवनी ने एक दिन में 1.7 लाख परामर्श देने का रिकॉर्ड भी कायम किया है।

देशभर में दिए 3 करोड़ से ज्यादा टेली-परामर्श

वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि ई-संजीवनी के माध्यम से देश में अब तक 3 करोड़ से ज्यादा टेली-परामर्श दिए जा चुके हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘ई-संजीवनी’ से देशभर में लोगों को अपना स्वास्थ्य बेहतर रखने का मार्गदर्शन मिल रहा है। इसलिए लाभार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आज लाखों की संख्या में लोग इस टेलीमेडिसिन सेवा को अपना रहे हैं।

यह तकनीक स्वास्थ्य क्षेत्र में लेकर आई एक नई क्रांति

यह तकनीक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई तरह की क्रांति लेकर आई है। इसे ज्यादा से ज्यादा प्रमोट करने के लिए भी केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है। ‘ई-संजीवनी’ सेवा पैनडेमिक की स्थिति में देश के काफी काम आई है।

घर बैठे ले सकते हैं सेवा का लाभ

लोग डॉक्टर के पास प्रत्यक्ष रूप से जाने की बजाय घर में ही बैठ कर डारेक्ट इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इससे उम्रदराज लोगों को काफी लाभ मिला है। इसके अलावा भारत के दुर्गम इलाकों में बसे लोगों को भी ‘ई-संजीवनी’ से काफी फायदा हुआ है।

देशभर में 3,000 से ज्यादा हब बने

देश में कुल मिलाकर 3,000 से ज्यादा हब बन चुके हैं, जहां लोगों को फोन पर परामर्श देने के लिए डॉक्टर बैठ रहे हैं और जो डॉक्टर पेशेंट के साथ बैठा है वो उसको प्रेसक्रिप्शन भी लिखवा सकते हैं। पेशेंट डायरेक्ट हब पर कॉल करके ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधी बातचीत करके भी मार्गदर्शन ले रहे हैं। याद हो, कोविड संकट के दौरान डॉक्टर्स की बढ़ती मांग की स्थिति में से के पूर्व डॉक्टर्स भी इस सेवा से जुड़कर जनसेवा के लिए आगे आए थे। उन्होंने उस दौरान ऑनलाइन परामर्श सेवा के जरिए जरूरतमंदों की मदद की थी।

कुछ राज्यों में यह सेवा पूरे हफ्ते जारी

कुछ राज्यों में यह सेवा पूरे हफ्ते जारी रहती है। वहीं, कुछ राज्यों में चौबीसों घंटे लोगों को इसकी सेवा दी जा रही है। इसने अस्पतालों पर भार कम करने के साथ ही मरीजों को डॉक्टरों से डिजिटल माध्यम यानि दूर रहकर परामर्श प्राप्त करने में सहायता की है। इससे लाभार्थियों के घरों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाकर गांव और शहर के बीच के अंतर को पाटने में सहायता मिली है।

किसी भी देश की अपनी तरह की पहली टेलीमेडिसिन पहल

ई-संजीवनी किसी भी देश की अपनी तरह की पहली टेलीमेडिसिन पहल है। इसके दो प्रकार हैं, जिसमें से एक ई-संजीवनी आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन सेवा है और दूसरी ई संजीवनी ओपीडी सेवा है। आइए अब जानते हैं कि जरूरतमंदों को इनके माध्यम से कैसे परामर्श दिया जाता है।

1. ई-संजीवनी आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र

भारत सरकार की आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र योजना के तहत एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन सेवा ग्रामीण क्षेत्रों और आइसोलेटेड समुदायों में सामान्य और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए है। डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन सेवा एक हब और स्पोक मॉडल पर आधारित है। ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ स्पोक यानि एचडब्ल्यूसी में लाभार्थी (चिकित्सा सहायक व विभिन्न गतिविधियों में सक्षम व्यक्ति) और हब (तृतीयक स्वास्थ्य सुविधा, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज) में डॉक्टर व विशेषज्ञ के बीच वर्चुअल माध्यम से जुड़ाव को संभव बनाता है। यह हब डॉक्टरों और विशेषज्ञों के साथ स्पोक में लाभार्थी को (चिकित्सा सहायकों के जरिए) रियल टाइम वर्चुअल परामर्श की सुविधा प्रदान करता है।

वहीं, सेशन के अंत में तैयार किए गए ई-पर्चे का उपयोग दवाइयों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भौगोलिक स्थिति, पहुंच, लागत और दूरी की बाधाओं को दूर करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी की क्षमता का लाभ उठाकर अधिकतम संख्या में नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के एक दृष्टिकोण से ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ को लागू किया गया था। वर्तमान में ‘ई-संजीवनी एचडब्ल्यूसी लगभग 50,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में संचालित है।

2. ई-संजीवनी OPD

यह एक रोगी से डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन सेवा है, जो लोगों को अपने घरों में ही रहकर आउट पेशेंट सेवाएं (OPD) प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। देश के सभी हिस्सों के नागरिकों ने ‘ई-संजीवनी ओपीडी’ को तेजी से और व्यापक रूप से अपनाया है। यह एंड्रॉइड और IOS आधारित स्मार्टफोन, दोनों के लिए एक मोबाइल एप के रूप में अवेलेबल है। इसे 30 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।

कितने लोगों को मिला लाभ ?

तीन करोड़ लाभार्थियों में से 2,26,72,187 को ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी पोर्टल के जरिए सेवा प्रदान की गई है। वहीं, 73,77,779 ने ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से लाभ उठाया है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा पर लाभार्थियों की सेवा के लिए 1,00,000 से अधिक डॉक्टरों और विशेषज्ञों आदि को जोड़ा गया है। ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ के जरिए परामर्श की पर्याप्त संख्या इस बात का संकेत है कि ग्रामीण भारत ने डिजिटल स्वास्थ्य तकनीकों को अपनाया है। यह ”आयुष्मान भारत योजना” के उद्देश्य को और अधिक मजबूती प्रदान करता है, जो लोगों के घरों के करीब ही नि:शुल्क और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर उन्हें स्वास्थ्य कवरेज देने में मदद करता है।

आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता

अब ई-संजीवनी ओपीडी, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (आभा) को बनाने में भी सक्षम है, जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के अनुरूप लाभार्थी की सहमति से इसमें हिस्सा लेने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और लाभार्थियों के साथ स्वास्थ्य डेटा की पहुंच और इसे साझा करने की सुविधा प्रदान करेगा।

स्वदेशी रूप से विकसित है ”ई-संजीवनी”

ई-संजीवनी स्वदेशी रूप से विकसित प्लेटफॉर्म है। यह प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) की मोहाली शाखा में स्वास्थ्य सूचना विज्ञान समूह ने किया है, इसलिए यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक उदाहरण है। कई अनुभवी इंजीनियर उच्च प्रवाह क्षमता और उच्च सक्रियता अवधि सुनिश्चित करने के लिए निरंतर बैक एंड तकनीकी और परिचालन सहायता प्रदान कर रहे हैं। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 99.5 फीसदी से अधिक सक्रियता अवधि के साथ संचालित है। ई-संजीवनी को अब सी-डैक की मोहाली की शाखा में स्वास्थ्य सूचना विज्ञान समूह आगे बढ़ाने का काम कर रहा है।

10 लाख से अधिक परामर्श प्रदान किए जाने की सेवाएं होंगी शुरू

सेवा की सुविधा और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के नेतृत्व वाले उपायों की परिकल्पना की जा रही है। निकट भविष्य में हर दिन 10 लाख से अधिक परामर्श प्रदान किए जाने की सेवाएं शुरू हो सकती है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा की सफलता और देश में टेलीमेडिसिन को तेजी से अपनाने को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने सुरक्षा कर्मियों के लिए एक टेलीमेडिसिन पोर्टल– सेहत ओपीडी – सेवा ई-हेल्थ टेलीपरामर्श और सहायता शुरू की है। सेहत ओपीडी विशेष रूप से रक्षाकर्मियों और उनके आश्रितों की सेवा कर रही है। इसके अलावा जल्द ही सेहत ओपीडी को भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना के साथ एकीकृत किया जाएगा। इससे पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के सदस्यों को टेली-परामर्श का लाभ आसानी से मिल सकेगा।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और एलायंस इंडिया एचआईवी या एड्स से पीड़ित लोगों के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं। यह तकनीक के मामले में भी ई-संजीवनी की तरह काम करेगा। हालांकि इसे इस तरह से अनुकूलित किया जाएगा, जो एचआईवी और एड्स के रोगियों की विशेष जरूरतों को पूरा करे, ताकि उनके लिए बेहतर और अधिक आरामदायक गुणवत्ता वाले उपचार को उपलब्ध कराया जा सके।

10 राज्य ई-संजीवनी को अपनाने में रहे आगे

देश में 10 राज्य ई-संजीवनी को अपनाने के मामले में अग्रणी हैं। ये राज्य हैं : आंध्र प्रदेश (13147461), कर्नाटक (4424407), पश्चिम बंगाल (2987386), तमिलनाडु (1856861), उत्तर प्रदेश (1758053), बिहार (1002399), महाराष्ट्र (930725), मध्य प्रदेश (781262), गुजरात (753775) और असम (477821) हैं।

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