”स्वच्छ भारत अभियान” और ”अमृत मिशन” की अब तक की यात्रा वाकयी हर देशवासी को गर्व से भर देने वाली है। पीएम मोदी ने स्वच्छता की जो राह देश को दिखाई है, उस पर चल कर जनभागीदारी के माध्यम से आज स्वच्छता ही देश की नई पहचान बन रही है। केवल इतना ही नहीं इन कदमों से जन सामर्थ्य से बढ़ा विश्व में मान।
दरअसल, स्वच्छ भारत मिशन एक राष्ट्रव्यापी अभियान भी है और मान भी है, एक देश की महत्वाकांक्षा भी है और मातृभूमि के लिए अप्रतिम प्रेम भी है। इस सफलता में भारत के हर नागरिक का योगदान है। सबका परिश्रम है और सबका पसीना है। इसलिए तो आज स्वच्छता राष्ट्रीय चरित्र बन गई है। गंदगी और कचरे से मुक्त भारत के लक्ष्य की सिद्धि के लिए आज हर देशवासी कृत संकल्प है।
58 हजार से ज्यादा गांव और 33 हजार से अधिक शहर ODF+
देश के सभी गांव और शहर खुले से शौच मुक्त हो गए हैं। जी हां, केंद्र सरकार ने अपने प्रयासों के तहत 11.5 करोड़ से ज्यादा घरों में शौचालय बनाकर लोगों को गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित किया है। 58 हजार से ज्यादा गांव और 3300 से ज्यादा शहर ओडीएफ प्लस हो गए हैं।
8 लाख से अधिक सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण
केवल इतना ही नहीं गांवों और शहरों में 8.2 लाख से ज्यादा सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण से हर जगह शौचालय की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। शहरी क्षेत्रों में कचरे के निष्पादन में चार गुणा वृद्धि-2013 से 2014 में प्रतिदिन 26 हजार टन से बढ़कर 2021-22 में प्रतिदिन 1 लाख टन हो गई है। यानि अब शहरों में कचरे के निस्तारण की स्थिति पहले से बेहतर हो गई है। अब शहरों में कचरा जमा नहीं होने दिया जाता। इसके लिए 2.5 लाख कचरा संग्रहण गाड़ियों द्वारा 87 हजार से ज्यादा शहरी वार्डों में डोर स्टेप कचरा संग्रहण का कार्य किया जा रहा है।
गोबरधन योजना-232 जिलों में 350 से ज्यादा बायोगैस प्लांट
वहीं गोबरधन योजना के अंतर्गत 232 जिलों में 350 से ज्यादा बायोगैस प्लांट बनाकर गोबर का बेहतर निष्पादन और उपयोग किया जा रहा है। मंगलवार, 19 अप्रैल 2022 के दिन पीएम मोदी ने गुजरात के दामा में स्थापित जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने खिमाना, रतनपुरा-भीलडी, राधनपुर और थावर में स्थापित होने वाले 100 टन क्षमता के चार गोबर गैस संयंत्रों की आधारशिला रखी। इस प्रकार भारत सरकार वर्तमान समय में कचरे से कंचन तैयार करने के उत्कृष्ट उदाहरण पूरी दुनिया के समक्ष पेश कर रही है।
ग्रे वाटर प्रबंधन के लिए 10 लाख सोक-पिट
वहीं सुजलम अभियान के तहत देश में ग्रे वाटर प्रबंधन के लिए 10 लाख सामुदायिक और घरेलू सोक-पिट का निर्माण किया जा चुका है। इसके जरिए 1.4 लाख गांवों में बेहतर जल प्रबंधन का कार्य किया जा रहा है।
सिंगल यूज प्लास्टिक बना जन आंदोलन-शहरी क्षेत्रों में कचरे के निपटान में चार गुणा वृद्धि
वहीं देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के निष्पादन और पुन: उपयोग के लिए देशव्यापी जन-अभियान चलाया जा रहा है। इससे शहरी क्षेत्रों में कचरे के निपटान में चार गुणा वृद्धि हुई है। ढाई लाख से अधिक गाड़ियां 87 हजार से ज्यादा वार्डों में घर-घर कचरा उठा रही है
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और स्वच्छता पर भी विशेष जोर
केंद्र के स्वच्छता अभियान में सभी मंत्रालय मिलकर कार्य कर रहे हैं। इसी कर्म में देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लिहाज से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और स्वच्छता पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। अभी तक करीब 39 धरोहरों के स्वच्छता और रखरखाव मानकों में सुधार किया जा चुका है।
जनभागीदारी में अभी तक 10 करोड़ लोगों से लिया फीडबैक
स्वच्छता सर्वेक्षणों के माध्यम से निकायों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा रहा है और स्वच्छता के प्रति जन-जागरूकता फैलाई जा रही है। जनभागीदारी में अभी तक 10 करोड़ लोगों से फीडबैक भी प्राप्त किया जा चुका है। ज्ञात हो, स्वयं पीएम मोदी ने 18 अप्रैल को इस संबंध में ट्वीट कर कहा, “जनभागीदारी किस प्रकार किसी देश के विकास में नई ऊर्जा भर सकती है, स्वच्छ भारत अभियान इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। शौचालय का निर्माण हो या कचरे का निष्पादन, ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण हो या फिर सफाई की प्रतिस्पर्धा, देश आज स्वच्छता के क्षेत्र में नित नई गाथाएं लिख रहा है।”
वहीं आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) द्वारा दुनिया के सबसे बड़े शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण, स्वच्छ सर्वेक्षण (एसएस) के लगातार सातवें संस्करण के लिए क्षेत्र मूल्यांकन का 1 मार्च 2022 को शुभारम्भ किया गया था। ‘पीपल फर्स्ट’ के साथ अपने प्रमुख दर्शन के रूप में डिजाइन किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 को समग्र कल्याण और अग्रिम पंक्ति के स्वच्छता कार्यकर्ताओं की भलाई के लिए शहरों की पहल शुरू करने के लिए तैयार किया गया।
ज्ञात हो शहरी स्वच्छता की स्थिति में सुधार के लिए शहरों को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए वर्ष 2016 में एमओएचयूए द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण को एक प्रतिस्पर्धी ढांचे के रूप में पेश किया गया था। इससे भारत के शहरों और कस्बों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा हुई है। वर्ष 2016 में केवल 73 शहरों में दस लाख से अधिक आबादी के साथ शुरू हुई इस यात्रा में कई गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में 434 शहरों, 2018 में 4,203 शहरों, 2019 में 4,237 शहरों, स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में 4,242 शहरों और स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में 4,320 शहरों ने भाग लिया। इसमें 62 छावनी बोर्ड भी शामिल हैं।