डॉक्टर सम्पूर्णानंद का व्यक्तित्व बहुमुखी -राजीव रंजन

कानपुर/पटना 24 जुलाई2022: आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ़्रेन्स द्वारा कानपुर में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व डॉक्टर सम्पूर्णानंद की स्मृति में आयोजित राष्ट्र्व्यापी व्याख्यानमाला का उद्घाटन करते हुए जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि साहित्यकार , शिक्षाविद एवं राजनेता डॉ सम्पूर्णान्द ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप अनेक असाधारण निर्णय लिए .

श्री प्रसाद ने कहा कि डॉ सम्पूर्णानन्द जी का जन्म 1 जनवरी , 1890 ई० को उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था | ये एक सम्भ्रान्त कायस्थ परिवार से थे | इनके पिता का नाम मुंशी विजयानन्द और माता का नाम आनन्दी देवी था| इन्होंने बी०एस-सी० की परीक्षा क्वींस कॉलेज , वाराणसी से उत्तीर्ण की करने के बाद ट्रेनिंग कॉलेज , इलाहाबाद से एल० टी० किया और एक अध्यापक के रूप में प्रेम महाविद्यालय , वृंदावन में इनकी नियुक्ति हुई | कुछ दिन बाद बीकानेर के डँगूर कॉलेज में प्रिंसपल के पद पर इनकी नियुक्ति हुई |

महात्मा गाँधी के राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रेरित होकर सन् 1921 में ये काशी लौट आये और ‘ज्ञानमण्डल’ में काम करने लगे | ‘मर्यादा’ , टुड़े पत्रिकाओं का सम्पादन भी इसी समय किया | इन्होंने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में प्रथम पंक्ति के सेनानी के रूप में कार्य किया | कांग्रेस के टिकट पर सन् 1936 में विधान सभा के सदस्य चुने गये | सन् 1937 में शिक्षामन्त्री के रूप में नियुक्त हुए और सन् 1955 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने | सन् 1962 में राजस्थान के राज्यपाल के रूप में इनकी नियुक्ति हुई |
डॉक्टर सम्पूर्णानंद जी के प्रपौत्र डॉक्टर शेखरानंद वर्मा ने कहा कि राज्यपाल पद से मुक्त होने पर सन् 1967 में काशी लौट आये और अन्तिम सांस तक काशी विद्यापीठ के कुलपति पद पर रहे |

पूर्व विधायक सतीश निगम ने कहा कि 10 जनवरी , 1969 को काशी में यह साहित्यकार दुनिया को अलविदा कह गया |

प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा कि डॉ सम्पूर्णानन्द मर्मज्ञ साहित्यकार होने के साथ-साथ प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे |

ग्लोबल वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि सम्पूर्णानन्द जी का संस्कृत, अंग्रेजी और हिन्दी तीनों भाषाओं पर समान अधिकार था |

ग्लोबल महासचिव अनुराग सक्सेना ने जानकारी दी क़ि डॉक्टर सम्पूर्णानंद फारसी और उर्दू के भी ज्ञाता थे | इन्होंने ज्योतिष , इतिहास एवं राजनीति का अध्ययन किया | योग , विज्ञान एवं दर्शन सम्पूर्णानन्द जी का पसन्दीदा विषय था |

व्याख्यानमाला की अध्यक्षता उत्तरप्रदेश मध्य के अध्यक्ष  विवेक श्रीवास्तव ने एवं संचालन प्रदेश महासचिव राजेश श्रीवास्तव ने किया । वहीं स्वागत राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष रितु खरे ने किया।

इस अवसर पर ग्लोबल महिला संयोजिका मीना श्रीवास्तव , राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव, राष्ट्रीय संगठन सचिव शुभ्रांशु श्रीवास्तव , प्रदेश महिला अध्यक्ष लवली सक्सेना आदि ने विचार रखे।

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