दिपावली २०२०: धनतेरस, गोवर्धन पूजन व श्री हनुमान जयंती से दिवाली और भाई दूज तक की तारीख को लेकर न हों असमंजस, जानिए यहां सही तिथि
1- धनत्रयोदशी व भगवान धन्वंतरि जन्मोत्सव १२/११/२०२० को प्रदोषव्यापिनी शायं ०६:३२ के बाद।
2- नरकचतुर्दशी १३/११/२०२० को शायं०४:१२ के उपरांत
3- श्रीहनुमान जयंती१३/११/२०२० को मध्य रात्रि १२:०० बजे।
4- दिव्य दीपावली व लक्ष्मी गणेश पूजन १४/११/२०२० को मध्याह्न ०१:४९ के उपरांत प्रदोष काल मे श्री लक्ष्मी गणेश पूजन सर्वोत्ताम मुहूर्त वृष लग्न शायं ०५:१३ से ०७:१३ तक
स्थिर सिंह लग्न रात्रि११:४४से ०१:५८ तक
5- भोर में सूप बजाकर दरिद्रता को भगाया जाएगा व माता महालक्ष्मी का पदार्पण कराया जाएगा।
हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व है। दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज को समाप्त होता है। इस साल दिवाली १४ नवंबर (शनिवार) को पड़ रही है। आज के दिन ही भगवान श्रीराम लंका पर विजय आप्त कर रावण का वध करके श्री धाम श्रीअयोध्या जी लौटे थे। भगवान राम की वापसी पर अयोध्या में घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया गया था। कहते हैं कि तभी से इस खुशी में दिवाली मनाई जाती है। हालांकि इस साल धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दिवाली की तिथियों को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है। जानिए धनतेरस, छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) और दिवाली की सही तिथि और शुभ मुहूर्त-
धनत्रयोदशी भगवान धन्वंतरि प्रगट्य २०२०
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल धनतेरस १२नवंबर को प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी मनयी जाएगी।त्रयोदशी १२ नवंबर की शाम से लग जाएगी। ऐसे में भगवान धन्वंतरि का जन्मोत्सव व धनतेरस की खरीदारी १२ नवंबर की जा सकेगी। हालांकि उदया तिथि में त्योहार मानने वाले लोग ऐसे में धनतेरस १३ नवंबर को मनाया शायं ०४:१२तक ही मानेंगे।
छोटी दिवाली २०२० हनुमान जयंती व नरक चतुर्दशी
इस साल छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी १३ नवंबर को मनाई जाएगी। क्यों कि उदय व्यापिनी त्रयोदशी दिन में ०४:१२ तक ही रहेगी तदोपरांत चतुर्दशी तिथि लग रही है इसी तिथि में छोटी दिवाली व श्री हनुमानगढ़ी अयोध्या हनुमान जयंती मध्यरात्रि १२ बजे मणिमाणिक्य व हीरों के प्रकाश में अंजनिपुत्र भगवान श्री हनुमन्त लाल का दिव्य जन्मोत्सव होगा।
आज ही नरक चतुर्दशी भी मनयी जाएगी।
दिवाली (दीपावली) १४/११/२०२०
१५ नवंबर की सुबह १०.०० बजे तक ही अमावस्या तिथि रहेगी। अमावस्या तिथि में रात में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। ऐसे में दिवाली भी इस साल १४ नवंबर को मनाई जाएगी।
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अन्नकूट गोवर्धन पूजन
१५ नवंबर २०२० को गोवर्धन पूजा होगी और अंतिम दिन १६ नवंबर को भाई दौज या चित्रगुप्त जयंती मनाई जाएगी। दरअसल इस बार हिंदी पंचांग के अनुसार द्वितीय तिथि नहीं है जिसके कारण तिथि घट रही हैं।
धनतेरस यम दीप दान विशेष
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धनवन्तरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें १३ गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
दीपावली की रात भी लक्ष्मी माता के सामने साबुत धनिया रखकर पूजा करें। अगले दिन प्रातः साबुत धनिया को गमले में या बाग में बिखेर दें। माना जाता है कि साबुत धनिया से हरा भरा स्वस्थ पौधा निकल आता है तो आर्थिक स्थिति उत्तम होती है।
धनिया का पौधा हरा भरा लेकिन पतला है तो सामान्य आय का संकेत होता है। पीला और बीमार पौधा निकलता है या पौधा नहीं निकलता है तो आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव न हो तो कोइ बर्तन खरिदे। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
त्रयोदशी की पौराणिक कथा
कार्तिकस्यासिते पक्षे
त्रयोदश्यां निशामुखे ।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में रंगोली बना कर दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दु:खी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैव योग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नव विवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे उसी वक्त उनमें से एक ने यमदेवता से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
धन तेरस पूजा सामान्य विधि
इस दिन लक्ष्मी-गणेश और धनवंतरी पूजन का भी विशेष महत्व है। धनतरेस पर धनवंतरी और लक्ष्मी गणेश की पूजा करने के लिए-
सबसे पहले एक लकड़ी का पट्टा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बना लें।
इसके बाद इस पर एक तेल का दिया जला कर रख दें दिए को किसी चीज से ढक दें। दिए के आस पास तीन बार गंगा जल छिड़कें इसके बाद दीपक पर रोली का तिलक लगाएं और साथ चावल का भी तिलक लगाएं
इसके बाद दीपक में थोड़ी सी मिठाई डालकर मीठे का भोग लगाएं
फिर दीपक में १ रुपया रखें। रुपए चढ़ाकर देवी लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पण करें।
इसके बाद दीपक को प्रणाम करें और आशीर्वाद लें और परिवार के लोगों से भी आशीर्वाद लेने को कहें।
इसके बाद यह दिया अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें, ध्यान रखे कि दिया दक्षिण दिशा की ओर रखा हो।
यमदीपदान विधि
यमदीपदान विधिमें नित्य पूजाकी थालीमें घिसा हुआ चंदन, पुष्प, हलदी, कुमकुम, अक्षत अर्थात अखंड चावल इत्यादि पूजासामग्री होनी चाहिए। साथ ही आचमनके लिए ताम्रपात्र, पंच-पात्र, आचमनी ये वस्तुएं भी आवश्यक होती हैं। यमदीपदान करनेके लिए हलदी मिलाकर गुंथे हुए गेहूं के आटे से बने विशेष दीपका उपयोग करते हैं।
यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी का एक बड़ा दीपक लें और उसे स्वच्छ जल से धो लें। तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियाँ बना लें। उन्हें दीपक में एक-दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियोँ के चार मुँह दिखाई दें। अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें।
प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली, अक्षत एवं पुष्प से पुजन करें। उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी-सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है। दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए चारमुँह के दीपक को खील (लाजा) आदि की ढेरी के ऊपर रख दें।
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां
कालेन च मया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात्
सूर्यजः प्रीयतामिति ।।
अर्थात् त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।
उक्त मन्त्र के उच्चारण के पश्चात् हाथ में पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें।
श्री हनुमान जयंती व धनतेरस पूजा मुहूर्त
13/11/2020 को शायं काल मेष लग्न में श्री धाम श्री अयोध्या जी मे हनुमानगढ़ीं व समस्त भारत वर्ष में भगवान श्री हनुमान जी की जयंती मनायी जाएगी।
यह उत्सव रात्रि 12 बजे तक मनाया जायेगा।
साथ ही छोटी दिवाली का दिव्योत्सव 551000 दिप पूरे श्री धाम श्री अयोध्या जी में प्रज्वलित कर प्रभू श्री सीताराम जी का दिव्य भव्य स्वागत किया जाएगा।
धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग ०२ घण्टे ३३ मिनट तक रहता है।
सूर्यास्त के बाद के ०२ घण्टे ३३ की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है. प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है.
१३ नवम्बर सूर्यास्त समय सायं स्थिर लग्न ०६:०५ से लेकर ०८:०५ तक वृषभ लग्न रहेगा. मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
चौघाडिया मुहूर्त:-
अमृ्त काल मुहूर्त सायं ०५:२७ से ०६:५२ तक।
चर सायं ०४:३६ से लेकर ०६:०१ तक।
उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है।
सांय काल में शुभ महूर्त
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प्रदोष काल का समय सायं ०६:०१से रात्रि ०८:३३ तक रहेगा, स्थिर लग्न वृषभ काल ०६:०५ शाम से ०८:०५ तक रहेगा.
श्री धनत्रयोदशी पर खरीददारी के लिये शुभ मुहूर्त
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१३ नवंबर शुक्रवार को खरीददारी का शुभ मुहूर्त प्रातः शुभ की चौघड़िया
प्रातः ०९:३४ से १०:५८ तक अमृत काल।
प्रातः ०६:४५ से ०८:०९ तक चर की चौघड़िया।
मध्यान्ह १२:२३ से ०१:५७ तक शुभ काल।
सायं ०५:४९ से ०६:१३ तक गोधूलि बेला।
रात्रि में ०६:०५ से ०८:०५ तक वृषभ स्थिर लग्न खरीदारी करने के लिए अति शुभ मुहूर्त हैं।
राशियों के अनुसार जाने धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ होगा
मेष🐐 राशि
सोना तांबे पीतल के बर्तन भूमि मकान गणेश जी की मूर्ति तांबे का कलश खरीदना शुभ रहेगा।
वृष🐂 राशि
चांदी सोना बर्तन हीरा इलेक्ट्रॉनिक से बना सामान गाड़ी फर्नीचर साज सज्जा का सामान शुभ रहेगा।
मिथुन👫 राशि
सोना चांदी का सिक्का बर्तन हाथीदह से बना सामान झाड़ू कलम दवात लक्ष्मी पूजन का सामान खरीदना शुभ है।
कर्क🦀राशि
राशि चांदी कांसे का बर्तन वस्त्र दक्षिणावर्ती शंख मोती कुबेर की मूर्ति या कुबेर यंत्र खरीदना शुभ है।
सिंह🦁राशि
राशि सोना तांबे के बर्तन भूमि मकान तांबे का कलश गो श्री यंत्र माणिक रत्न लाभदायक होगा।
कन्या👩राशि
राशि वाहन इलेक्ट्रॉनिक का सामान कांसे का बर्तन लक्ष्मी जी गणेश जी की मूर्ति साज सज्जा का सामान सौंदर्य वस्तु खरीदना शुभ रहेगा।
तुला⚖️राशि
राशि चांदी सोना हीरा वाहन कपड़े गो भूमि पूजन का सामान दीपक चांदी का सिक्का चांदी के गणेश लक्ष्मी की मूर्ति खरीदना शुभ रहेगा।
वृश्चिक🦂राशि
राशि सोना तांबे के बर्तन श्री यंत्र भूमि मकान मिट्टी के दीपक मिट्टी का गमला गौ माता के लिए पूजन का सामान झाड़ू खरीदना शुभ रहेगा।
धनु🏹राशि
राशि पीतल का सामान तांबे का सामान सोना धार्मिक ग्रंथ कुबेर यंत्र पुखराज रत्न वस्त्र कलम दवात बही खाते लक्ष्मी जी का चित्र खरीदना शुभ रहेगा।
मकर🐊राशि
राशि इलेक्ट्रॉनिक आइटम वाहन वस्त्र स्टील के बर्तन लोहे का सामान चांदी का सिक्का कांसे का बर्तन खरीदना शुभ रहेगा।
कुंभ राशि
राशि लोहे से बना सामान स्टील से बना सामान कपड़े वाहन इलेक्ट्रॉनिक सामान साज सज्जा का सामान सौंदर्य सामान खरीदना शुभ रहेगा।
मीन🐳
राशि सोना चांदी तांबे के बर्तन पीतल का सामान धार्मिक ग्रंथ लक्ष्मी पूजन का सामान देवी देवताओं की मूर्ति लक्ष्मी जी की मूर्ति पीतल का कलश खरीदना लाभदायक रहेगा।
कुछ अन्य उपाय टोटके
धन तेरस पर धन प्राप्ति के अनेक उपाय बताए जाते हैं लेकिन सभी उपायों से बढ़कर है धन और आरोग्य के देवता धन्वंतरि का पावन स्तोत्र।
धन्वंतरि स्तोत्र
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ॐ शंखं चक्रं जलौकां
दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय
सर्व भयविनाशाय
सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय
त्रिलोकनाथाय
श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
इस स्तोत्र कम से कम तीन बार पढ़ें धन्वंतरि ।
पूर्ण भाव से भगवान धन्वंतरि जी का पूजन करें।
घर में नई झाडू और सूपड़ा खरीद कर लाए और विधि से पूजन करें।
सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर अपने मकान, दुकान आदि को सुन्दर सजाये।
माँ लक्ष्मी को गुलाब के पुष्पों की माला पहनाये और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाये।
अपनी सामर्थ्य अनुसार तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।
हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।
धनतेरस के दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखने से परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि होती है।
कुबेर देवता का पूजन करें। शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गड़ी बिछाएं।
सायंकाल पश्चात १३ दीपक जलाकर तिजोरी में भगवान कुबेर धन के देवता का पूजन करें।
मृत्यु के देवता यमराज के निमित्त दीपदान करें।
तेरस के सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें। पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-
‘मृत्युना दंडपाशाभ्याम्
कालेन श्यामया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्
सूर्यजः प्रियन्ताम् मम।
अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नता के लिए सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें।
आचार्य स्वामी विवेकानन्द जी
ज्योतिर्विद , वास्तुविद व सरस् श्री रामकथा व श्रीमद्भागवत कथा व्यास।
श्रीधाम श्री अयोध्या जी
9044741252