दिल्ली डायरी : महादेव देवों के देव

कमल की कलम से

दिल्ली और एन सी आर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में आज की सैर वैशाली के गौरी शंकर मन्दिर की.

भगवान शिव और माता आदिशक्ति को समर्पित वैशाली का सबसे पुराना गौरी-शंकर मंदिर प्राचीन श्री शिव शक्ति मंदिर के रूप में जाना जाता है. यहाँ के स्थानीय लोग इसे सेक्टर-2 शिव मंदिर का नाम साधारण भाषा में बताते हैं.

मंदिर में प्राचीन शिवलिंग है. भगवती दुर्गा, शीतला माता, लक्ष्मी नारायण, राम दरबार, शिव परिवार, राधा-कृष्ण, साईं बाबा, बाबा बालक नाथ और शनि देव की मूर्तियां भी स्थापित हैं. वैशाली, वसुंधरा व कौशांबी से लोग यहां रोज पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. नवरात्रों में तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है.

ऐसे पहुंचे मंदिर : वसुंधरा, वैशाली व कौशांबी से आने वाले लोग यहां ऑटो और रिक्शे के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं. हालांकि संख्या कम होने पर ऑटो को बुक कराना पड़ता है।

नवरात्र में आयोजन : नवरात्र से पहले ही मंदिर की साफ-सफाई कराई जाती है. पहले दिन से पूजा-अर्चना का खास तौर पर आयोजन होता है. रोज सुबह और शाम आरती भी होती है.शाम चार बजे से भजन-कीर्तन होता है. हर रोज दुर्गा सप्तशती पाठ व चंडी पाठ होता है. नवमी को हवन व भंडारा होता है.

20 साल पहले मंदिर की स्थापना हुई थी  यहां प्राचीन शिवलिंग स्थापित है  कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी विराजमान हैं. आजकल इसके जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. वैशालीवासी उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.

इस मंदिर में शिवलिंग, भगवती दुर्गा, शीतला माता, लक्ष्मी नारायण, राम दरबार, शिव परिवार, राधा-कृष्ण, साईं बाबा, बाबा बालक नाथ व शनि देव की मूर्तियां स्थापित हैं . मंदिर में सुंदर वास्तुकला देखने को मिलती है. सभी मूर्तियां संगमरमर के पत्थरों की हैं. फर्श पर भी पत्थर लगे लगे हैं.

हर साल मंदिर प्रांगण में भागवत कथा का आयोजन किया जाता है. भक्त महीने की दोनों एकादशी के मंगलवार, गुरुवार और शाम को भजन-कीर्तन गाते और पढ़ते हैं.वार्षिक उत्सव गुरु पूर्णिमा के आसपास कीर्तन और भंडारे द्वारा आयोजित किया जाता है.

चैती और शारदीय नवरात्रि दोनों त्योहारों के दौरान, कीर्तन प्रतिदिन शाम 4:30 से 6:30 बजे तक होता है, इसके बाद नवमी पर विशाल भंडारा होता है.
हनुमान जयंती के अवसर पर पाव-मणि (50 किलो) के लड्डू के भोग के साथ एक बड़ा भंडारा और भजन-कीर्तन आयोजित किया जाता है  शनि महाराज की स्थापना का वार्षिक उत्सव शनि जयंती पर मनाया जाता है.

इसके तहत भंडारा, शनि अभिषेक और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है. मंदिर मे सावन के पवित्र महीने के प्रत्येक दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाता है.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर में विशाल भजन संध्या, ठाकुरजी का अभिषेक, लड्डूगोपाल जी की झूलन और विभिन्न प्रकार की झांकी और प्रसाद का वितरण किया जाता है. इसके बाद श्री कृष्ण जी की षष्ठी को कठोर चावल और भंडारे से पूजा की जाती है. श्री राधाष्टमी की शाम को कीर्तन के साथ खीर का भोग और प्रसाद के रूप में भोग लगाया जाता है.

मंदिर के प्रमुख महंत श्री अमित बल्लभ शास्त्री जी को पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा और भोग लगाने का अधिकार प्राप्त है.
यदि आप इनकी सहायता लेना चाहते हों तो मुझसे इनका सम्पर्क सूत्र प्राप्त कर सकते हैं

कार्तिक माह में पूजन, प्रभात फेरी, तुलसी पूजन और कार्तिक महिमा कथा प्रतिदिन सुबह 4 बजे से एक माह तक चलती है. प्रभात फेरी, हवन पूजन उसके बाद उसके पूरा होने के दिन यानी देव दिवाली त्योहार पर कार्तिक स्नान के पूर्ण यज्ञ के रूप में आयोजित किया जाता है.

कैसे पहुँचें ?

गौरी-शंकर मंदिर वैशाली के महागुण मेट्रो मॉल से 300 मीटर की दूरी पर है. वैशाली और कौशांबी दोनों मेट्रो स्टेशन मंदिर तक पहुँचने के लिए सुविधाजनक हैं, और लगभग समान दूरी पर भी है जहाँ से आप पीछे की तरफ पैदल ही जा सकते हैं.

निजी वाहन से जाने वालों के लिए पार्किंग की कोई समस्या नहीं है.

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