राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के उपलक्ष्य में पंचायती राज मंत्रालय (17 अप्रैल से 21 अप्रैल ) तक आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताह मना रहा है। राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताह का उद्घाटन किया और राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू ने कहा कि देश के गांव पूरे भारत के विकास की बुनियादी इकाई हैं और उन्हें सर्वप्रथम विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को अपने गांव को अपनी सुविधा के अनुसार विकसित करने का अधिकार होना चाहिए। राष्ट्रपति मुर्मू ने महिलाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी भागीदारी से ही समाज का सर्वांगीण विकास संभव है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांवों में शांति और सद्भाव बनाए रखने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
महिलाएं ग्राम पंचायतों के कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदार बनें
राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू ने कहा कि पंचायतें केवल सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का स्थान ही नहीं हैं बल्कि वे नए-नए नेतृत्वकर्ता, योजनाकार, नीति-निर्माता और इनोवेटर पैदा करने का स्थान भी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाओं के पास अपने और अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए अधिक से अधिक निर्णय लेने के अधिकार होना चाहिए। मैं बहनों और बेटियों से अपील करूंगी कि वे ग्राम पंचायतों के कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदारी करें।
समारोह का विषय
इस महत्वपूर्ण अवसर को मनाने के लिए ”संपूर्ण-समाज” और ”संपूर्ण-सरकार” का दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। पंचायती राज मंत्रालय ने ”पंचायतों के संकल्पों की सिद्धि का उत्सव” विषय पर राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताह समारोह मना रहा है। पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण और वर्ष 2047 के लिए आगे की राह के तहत नौ विषयों को शामिल करते हुए पांच राष्ट्रीय सम्मेलनों की श्रृंखला आयोजित कर रही है।
सार्वजनिक भागीदारी पर जोर
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के जरिए उच्च जनभागीदारी और सार्वजनिक भागीदारी पर पूरा जोर दिया जा रहा है। पंचायती राज मंत्रालय ने भी ग्रामीण भारत में पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के स्थानीयकरण के लिए एक उपयुक्त, अनुकूल और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। जिसके कारण सतत विकास लक्ष्यों की अवधारणा का प्रसार करने में सफलता हासिल हुई है। इससे ग्रामीण भारत के सपनों और आकांक्षाओं को गति मिली है।