देहली, बेंगलुरु आदि सब स्थानों पर दंगों के आयोजन के रूप में युद्ध की तैयारी वर्ष 2006 से ही आरंभ होने की जानकारी मिली है । ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आय.) और ‘सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ (एस.डी.पी.आय.) जैसे संगठनों का इन दंगों में हाथ है । बेंगलुरु के दंगे में 8 हजार लोग कैसे जमा होते हैं ? इससे पता चलता है कि इसके पीछे कोई बडा षड्यंत्र है । इसलिए, ‘पीएफआय’जैसे संगठनों पर केवल प्रतिबंध लगानापर्याप्त नहीं होगा, अपितु इन दंगों की जांच ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण’से (एनआयए) करवाकर उसकी जडें उखाड देनी चाहिए । यह मांग भूतपूर्व केंद्रीय अवर सचिव (गृह) तथा ‘द मिथ्स ऑफ हिन्दू टेरर’ नामक पुस्तक के लेखक आर.वी.एस. मणि ने की है । वे हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘देहली-बेंगलुरु दंगे : नया जिहाद ?’ इस विशेषपरिसंवाद में बोल रहे थे । ‘फेसबुक’ और ‘यूट्यूब लाईव’ के माध्यम से यह कार्यक्रम 31 हजार 343 लोगों ने देखा और 80 हजार 476 तक यह विषय पहुंचा ।
चर्चासत्र में आर.वी.एस. मणि बोले, ‘एफसीआरए’ (फॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट) के अंतर्गत वर्ष 2017-18 में विदेश से 18 हजार करोड रुपए आए थे । इसमें से 12 हजार करोड रुपए ईसाई मिशनरियों को धर्मपरिवर्तन के लिए; 5,500 करोड रुपए इस्लामिक संस्थाआें को धर्मपरिवर्तन के लिए; 500 करोड रुपए हिन्दू संस्कृति, धार्मिक प्रथाआें के विरोध में जनहित याचिका करनेवाली स्वयंसेवी संगठनों को दिए गए । इसलिए, ‘एफसीआरए’ देश को लगातार खोखला बनाने का कार्य कर रही है; इसलिए उस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए । इसके साथ ही भारतीय प्रशासकीय सेवा के कुछ अधिकारी पाकिस्तान से पैसा लेकर उसके लिए कार्य कर रहे हैं । सरकार उन्हें ढूंढ कर निकाले । इतना ही नहीं, पाकिस्तान के जलालाबाद से आनेवाले मादक पदार्थ अनेक बडी पार्टियों में बांटे जा रहे हैं । इनसे होनेवाली आय का 15 प्रतिशत भाग आतंकवादी गतिविधियों के लिए खर्च किया जा रहा है । इसके विरुद्ध सभी को संगठित होकर लडना चाहिए ।’
‘भारत पुनरुत्थान ट्रस्ट’के सचिव गिरीश भारद्वाज बोले, ‘‘बेंगलुरु दंगे के बाद पता चला है कि ‘पीएफआय’के 40 से अधिक लोग आतंकवादियों से मिले हुए हैं । उनके कार्यकर्ता बमविस्फोट और अनेक हिन्दुआें की हत्या करनेवाले आरोपियों के संपर्क में थे । इस प्रकरण में अन्वेषण न्यायालय की देखरेख में केंद्रीय जांच ब्यूरो से होेना चाहिए । हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर बोले, ‘देहली-बेंगलुरु में दंगे, इसके पहले मुंबई के आजाद मैदान में, भिवंडी तथा अन्य स्थानों पर हुए दंगों से स्पष्ट होता है कि यह सब ‘दंगा जिहाद’ है । सीधे युद्ध में नहीं जीत सकते; इसलिए संगठित होकर निरपराध हिन्दुआें, पुलिस और सार्वजनिक संपत्ति को लक्ष्य बनाकर देश में भय का वातावरण बनाया जा रहा है । ‘सीएए’ के विरोध में हिंसक आंदोलनकारियों को ‘पीएफआई’ के बैंक खाते से 1 करोड 20 लाख रुपए बांटे गए हैं । इसलिए ऐसे संगठनों पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाना चाहिए ।’ हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य संयोजक गुरुप्रसाद गौडा बोले, ‘कर्नाटक में हुई अनेक हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ताआें की हत्या के पीछे पीएफआई संगठन का नाम सामने आया है । उसपर कठोरतम कार्यवाही होनी चाहिए ।’