पटना। वेक्टर बोर्न डिजीज पर आयोजित दो दिवसीय समीक्षा बैठक के दूसरे दिन कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम पर विस्तार से चर्चा की गयी। बैठक में राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के अपर निदेशक डॉ नुपुर रॉय ने कालाजार उन्मूलन में बिहार के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रखण्ड जो कालाजार से मुक्त हो गए हैं वहाँ भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नए मामले की सही समय पर पहचान करना आवश्यक है। साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में आईआरएस की गुणवत्ता पूर्ण छिड़काव, ऐसे क्षेत्रों की नियमित मॉनिटरिंग, सर्विलांस तथा सर्वे भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि कालाजार मरीजों की पहचान करने एवं उन्हें चिकित्सकीय सेवा प्रदान के दौरान भी काफी सतर्कता की जरूरत है। यह सुनिश्चित कराना जरूरी है कि कालाजार मरीज का ईलाज प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा ही हो। उन्होंने कालाजार उन्मूलन की दिशा में वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल समन्वयक के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इनके सहयोग से कालाजार उन्मूलन के लक्ष्यों को हासिल करने में काफी मदद मिली है। उन्होंने फ ाइलेरिया एवं कालाजार कार्यक्रम से जुड़े सहयोगी संस्थानों द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा कर जरूरी निर्देश भी दिए।
वेक्टर बोर्न डिजीज कण्ट्रोल प्रोग्राम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अंजनी कुमार सिंह ने कहा विगत 7 सालों में कालाजार के मामलों में काफी कमी आयी है। वर्ष 2014 में बिहार के 33 जिलों के 130 प्रखंड कालाजार एंडेमिक थे। वहीं अब 2021 में राज्य में कोई भी प्रखंड एंडेमिक नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सारण के 3 प्रखंड एवं सीवान का 1 प्रखंड अभी भी कालाजार से मुक्त नहीं हो सके हैं। अभी बिहार के 31 जिले के 126 प्रखंडों में कालाजार के जीरो केस हैं। उन्होंने बताया कि 2014 में राज्य में कालाजार के 8028 मरीज थे जो 2020 में घटकर 1498 हो गए। वहीं अगस्त 2021 तक अभी बिहार में केवल 644 मरीज ही मिले हैं। इस तरह बिहार में प्रति वर्ष लगभग 40 फीसदी कालाजार मरीजों में कमी आ रही है।
श्वेता / पटना