कांग्रेस में जारी अंतर्कलह अभी खत्म नहीं हुई है। कांग्रेस की ‘महाभारत’ में अभी पिक्चर बाकी लग रही है। सोमवार को सोनिया गांधी का फिर से पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्हें चिट्ठी लिखने वाले ‘विरोधी’ नेताओं ने आगे की रणनीति पर बैठक की थी कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को हुई बैठक में पार्टी के 23 नेताओं द्वारा नेतृत्व में बदलाव की मांग को लेकर लिखा गया पत्र छाया रहा। बता दें कि गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया को संगठन में बदलाव के लिए एक पत्र लिखा था। इस पत्र के बाद से पार्टी में भूचाल मचा हुआ है।
मंगलवार को सिब्बल ने ऐसा ट्वीट किया है जिससे कि अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। कपिल सिब्बल ने कहा, ‘यह एक पद के बारे में नहीं है। यह मेरे देश के बारे में हैं जो सबसे ज्यादा मायने रखता है।’ दूसरी तरफ, पार्टी में चल रही खींचतान पर निलंबित नेता संजय झा ने चुटकी लेते हुए इसे अंत की शुरुआत बता दिया है।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने पत्र लिखने वाले नेताओं पर भाजपा संग मिलीभगत का आरोप लगाया था। सोमवार को कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में राहुल गांधी ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की थी और इसे बीजेपी की साजिश तक बता दिया था। उन्होंने टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए पूछा, ‘सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने के समय ही पार्टी नेतृत्व को लेकर पत्र क्यों भेजा गया था?’ उन्होंने कहा कि ‘पार्टी नेतृत्व के बारे में सोनिया गांधी को पत्र उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। पत्र में जो लिखा गया था उस पर चर्चा करने का सही स्थान सीडब्ल्यूसी की बैठक है, मीडिया नहीं।’ जिसपर कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने पलटवार किया था।
कपिल सिब्बल ने राहुल के इस आरोप को पढ़ने के बाद बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस हटा लिया। एक ट्वीट में सिब्बल ने कहा, ‘राजस्थान हाई कोर्ट में कांग्रेस पार्टी को सफलतापूर्वक डिफेंड किया। मणिपुर में बीजेपी सरकार गिराने में पार्टी का बचाव किया। पिछले 30 साल में किसी मुद्दे पर बीजेपी के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया। लेकिन फिर भी हम ‘बीजेपी के साथ मिलीभगत कर रहे हैं।जबकि गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि यदि राहुल गांधी का भाजपा के साथ मिलीभगत वाला बयान साबित हो जाता है तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अंत में सोनिया को कहना पड़ा कि उनके मन में पत्र लिखने वालों के प्रति दुर्भावना नहीं है। विवाद टालने के लिए कमेटी बनाने की घोषणा हुई है।यह देखना दिलचस्प होगा कि कमेटी में किस गुट के नेता का पलड़ा भारी रहता है। राहुल ने कपिल सिब्बल से बात की जिसके बाद उन्होंने ट्वीट को हटा लिया।
सवाल यह है कि पार्टी कमान कौन संभालेगा और पार्टी भविष्य में किस तरह की कार्यशैली अपनाएगी। राहुल विरोधी धड़ा मानता है कि इस समय गांधी परिवार के इतर कोई पार्टी नहीं संभाल सकता। ऐसे में छह महीने में प्रियंका गांधी को संगठन की कमान देने की पटकथा तैयार की जा सकती है। शुरुआती दौर में नए अध्यक्ष की मदद के लिए दो वरिष्ठ नेताओं को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। वैसे कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में सोनिया गांधी को फिर से पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया है।