वैशाली:- हाजीपुर में रामभद्र स्थित रामचौरा मन्दिर भगवान श्री राम को समर्पित है । पण्डित श्री अयोध्या पाण्डेय ने बताया कि हर साल यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आबा गमन लगा रहता था, लेकिन कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन के कारण मन्दिर सुना पड़ा है ।
कहते हैं कि यह मन्दिर उसी स्थान पर बनाया गया है जहाँ भगवान श्री रामचन्द्र के पदचिन्ह मील थे । यह स्थल भूतल से ठीक 45 मीटर ऊपर एक ऊंचे टीले पर अवस्थित है जिस पर भगवान श्री राम के पवित्र चरण चिन्हों की छाप अंकित है ।
पण्डित श्री अयोध्या पाण्डेय ने बताया कि पौरोणिक कथाओं के आधार पर यहाँ भगवान श्री राम का मुंडन-संस्कार भी हुआ था । नगर के दक्षिणी भाग में आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है । जनकपुर के रास्ते में पड़ने वाले मन्दिर चौराबारा की इतने मान्यता है कि यहाँ से गुजरने वाला प्रत्येक पर्यटक भी मन्दिर के दर्शन किए बिना आगे नही बढ़ता है । श्री राम ने जनकपुर जाते हुए रास्ते में इस स्थान पर स्नान किया था ।
कहते हैं कि गंडक तट पर रामचौरा से सटे उत्तर के शांत और मनोरम स्थल पर तुलसीदास जी ने भगवान श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण और भगवान हनुमान की प्रतिमाओं की स्थापना कर कई दिनों तक पूजा उपासना की थी ।पुरतत्वेताओं को मन्दिर के दक्षिण-पश्चिम की ओर पूर्व में एक खाई में यज्ञ कुंड की निर्माण शैली, यज्ञावशेस, हवन सामग्री, खंडित भाण्ड, अधजली लकड़ियों के अवशेष इत्यादि मिले हैं ।
रामचौरा में प्रतिवर्ष चैत्रमास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जन्मदिन के शुभ अवसर पर यहाँ मेला लगता है । लाखों की संख्या में लोग यहाँ जुटते हैं । श्री फल (बेल) एवं राम दाना की लाई यहाँ अत्यंत लोकप्रिय है । श्रद्धालु इन्हें प्रसाद के रूप में बाँटते भी हैं और ग्रहण भी करते हैं । लेकिन इस बार कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन के कारण रामचौरा मन्दिर बिल्कुल सुना पड़ा है ।