जल-जीवन-हरियाली का मतलब है जल और हरियाली के बीच जीवन :- मुख्यमंत्री

1 अगस्त 2019 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पशु विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर में


वृक्षारोपण कर राज्यस्तरीय वन महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दीप
प्रज्ज्वलित कर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आयोजित वन


महोत्सव-2019 कार्यक्रम की भी शुरुआत की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु
परिवर्तन विभाग को वन महोत्सव के इस आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूं। यह आयोजन
राज्य के विभिन्न हिस्सों में 15 दिनों तक चलेगा। उन्होंने कहा कि इस परिसर में वृक्षाराेपण कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं के उत्साह को देखकर मुझे खुशी हो रही है। हमलोगों का मनोबल इस बात से ऊंचा हुआ है कि पर्यावरण के प्रति नई पीढ़ी में इतनी उत्सुकता है। उन्होंने कहा कि गायन के माध्यम से बहुत ही सहज ढंग से वनों के महत्व के बारे में बताया गया है।


मुख्यमंत्री ने वनों के महत्व से संबंधित कविता के कुछ वाक्यों को पढ़ते हुए कहा कि “तुम याद करो कैसे वन में खुले ठहाके भरते थे, शेरों को डांटा करते थे, शेरों से बातें करते थे…सुख दुःख में साथ निभाते थे, कैसे फिर याद कराएंगे….” आगे की पंक्तियों में कहा कि ‘बादल से मोहब्बत है तुझको, पेड़ लगाओ जल के लिए, बच्चों से मोहब्बत है तुझकाे, तो पेड़ लगाओ
कल के लिए…हर आने वाली पीढ़ी भी बच्चे तेरा गुण गाएंगे। इस गीत के एक-एक वाक्य के
महत्व को समझना होगा। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि इस गीत को जन जागृति के लिए लोगों के बीच पहुंचाएं। स्कूलों में बापू के कथावाचन के बाद इस गीत को भी बच्चाें को सुनवाएं। इससे बच्चों के साथ-साथ लोगाें में भी पर्यावरण के प्रति जागरुकता आएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस ढंग से दुनिया विकास के नाम पर वृक्षों की कटाई कर रही है, भवन बनाए जा रहे हैं, कल कारखाने खुल रहे हैं, उद्योग लगाए जा रहे हैं उससे पर्यावरण पर संकट पैदा हो रहा है। इसे एक फिल्म के माध्यम से बेहतर ढंग से अभी
दिखाया गया है। जन जागृति के लिए गांव-गांव में इस गीत और फिल्म को भी माध्यम
बनाएं। उन्होंने कहा कि जब हमलोग कॉलेजों में पढ़ते थे उस समय राज्य में वर्षापात 1200 से 1500 मि0मी0 थी, पिछले 30 वर्षों में राज्य का औसत वर्षापात 1000 मि0मी0 है, जबकि पिछले 13 वर्षों से राज्य का औसत वर्षापात 900 मि0मी0 है। पिछले वर्ष वर्षापात 775 मि0मी0 थी। वर्ष 2017 में फ्लैश फ्लड की स्थिति हुई थी। इस वर्ष भी उत्तर बिहार में फ्लैश फ्लड की
स्थिति से बाढ़ आयी। इसी वर्ष किशनगंज में 04 दिनों में 500 मि0मी0 वर्षा हुई। उन्होंने कहा कि वर्षा की अनियमितता, अनिरंतरता की वजह पर्यावरण में हो रहा बदलाव है। ग्लोबल
वार्मिंग से काफी गमी र् बढ़ रही है इससे पृथ्वी पर खतरा उत्पन्न हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 जुलाई 2019 को सभी पार्टी के विधान पार्षदों एवं विधायकों
की जलवायु परिवर्तन के संबंध में संयुक्त बैठक हुई थी, जिसमें सभी लोगों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यापक जन अभियान चलाना होगा। साथ
ही एक विस्तृत कार्य योजना बनाकर काम करना हाेगा। आज जो वन महोत्सव की शुरुआत
हुई है वह भी इस अभियान का एक अंग है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग
जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। इसके लिए व्यापक कार्य योजना
बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यह जीवन चाहे मनुष्य या पशु पक्षी या अन्य जीवों की हो
सब जल पर निर्भर करता है। हरियाली का मतलब सिर्फ पेड़-पौधे ही नहीं बल्कि पूरे
पर्यावरण से है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमलोगों को राज्य की सेवा करने का माैका मिला
उस समय राज्य का हरित आवरण क्षेत्र 8 प्रतिशत भी नहीं था, आज यह 15 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अगले दो वर्षों में 17 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमलोग काम कर रहे हैं। वन महोत्सव के दौरान डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निधा र्रित किया गया है। सड़कों के किनारे, बांध, तालाब, पोखर, पईन, आहर के किनारे वृक्ष लगाने की योजना है आैर उसके लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों में वृक्षारोपण के लिए उत्सुकता तो दिखायी दे रही है लेकिन युवाओं को भी इसके लिए आगे आना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग मेहनत से कमाएं साथ-साथ धरती को भी नष्ट होने से बचाएं। बापू ने कहा था कि
पृथ्वी लोगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है लेकिन लालच को नहीं। जितना पर्यावरण के लिए नुकसान किया गया है उसकी भरपायी के लिए हम सभी को मिलकर काम करना
होगा, लोगों को इसके लिये प्रेरित करना होगा। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा अक्षय ऊर्जा है वह सदैव रहने वाली है। जब तक सूर्य
और पृथ्वी रहेगी यह ऊर्जा कायम रहेगी। लोगों को यह बात समझनी होगी। सभी सरकारी भवनों के छतों पर सोलर प्लेट लगाया जा रहा है इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री आवास से की
गई है। सभी सरकारी भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल के संरक्षण के लिए सबको मिल जुलकर काम करना होगा।
जल-जीवन-हरियाली का मतलब है जल और हरियाली के बीच जीवन।
जल-जीवन-हरियाली अभियान को सफल बनाने के लिये सबको मिलकर काम करना होगा।
हमलोगों को ऐसा काम करना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए बिहार एक उदाहरण बने।उन्होंने कहा कि पर्यावरण बेहतर होगा तो लोगों का जीवन बेहतर होगा। मुख्यमंत्री ने सभी बच्चे-बच्चियों को शुभकामना देते हुए कहा कि आप सब आगे बढ़ें और इस मुल्क, समाज को भी आगे बढ़ाएं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जन जागरुकता से संबंधित एक टी-शर्ट का भी लोकार्पण
किया। कार्यक्रम के दौरान जन जागृति के लिए एक गीत की प्रस्तुति की गई। पर्यावरण एवं
जलवायु परिवर्तन पर आधारित एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। पशु विज्ञान
विश्वविद्यालय एवं संजय गांधी जैविक उद्यान के बीच एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान
किया गया। मुख्यमंत्री का स्वागत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव
श्री दीपक कुमार सिंह ने पौधा भेंटकर तथा पशु विज्ञान वि0वि0 के कुलपति श्री रामेश्वर सिंह


ने मुख्यमंत्री को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर किया।
कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री सह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री सुशील
कुमार मोदी, कृषि तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री डॉ0 प्रेम कुमार, पर्यावरण, वन एवं
जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, विधान पार्षद श्री सी0पी0
सिन्हा, विकास आयुक्त श्री सुभाष शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, वन
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार सिंह, पशु मत्स्य
संसाधन विभाग की सचिव डॉ0 एन0 विजयालक्ष्मी, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री अरविंद कुमार चौधरी, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के सचिव श्री अनुपम कुमार, पशु विज्ञान
वि0वि0 के कुलपति प्रो0 रामेश्वर सिंह, बिहार राज्य प्रदूषण बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए0के0 घोष,
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री एस0एस0 चौधरी, पटना के वन संरक्षक श्री गोपाल सिंह सहित
अन्य सैन्य पदाधिकारीगण, अन्य वरीय अधिकारीगण, गणमान्य व्यक्ति एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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