सिविल सर्जन ने फीता काटकर किया ओआरएस-जिंक कॉर्नर का उद्घाटन

अब दस्त नही कर पाएगा, मासूमो को पस्त

पूर्णियाँ,16 सिंतबर:- जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की शुरुआत जिला सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा द्वारा की गई. इसके साथ ही सदर अस्पताल परिसर के बच्चा वार्ड में बनाये गए ओआरएस-जिंक कॉर्नर का भी फीता काटकर सिविल सर्जन ने उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कॉर्नर में उपस्थित बच्चों के परिजनों को ओआरएस व जिंक की गोलियां भी दी. सिविल सर्जन ने परिजनों को बच्चों में होने वाले दस्त और डायरिया की जानकारी देने के साथ ही ओआरएस घोल के उपयोग व जिंक गोलियों के सेवन की भी जानकारी दी. इस दौरान जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चन्द्र पासवान, जिला कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह, यूनिसेफ से एसएमओ मुकेश गुप्ता, शेखर कुमार, अस्पताल मैनेजर शिम्पी कुमारी आदि उपस्थित रहे.

16 से 29 सितम्बर तक चलाया जायेगा पखवाड़ा

कार्यक्रम के सम्बंध में सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने बताया कि पूरे जिले में 16 से 29 सितम्बर तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जाएगा. दस्त एक गम्भीर बीमारी है जो ज्यादातर छोटे बच्चों में होने की सम्भावना होती है. हालांकि बड़े लोग भी इसके शिकार हो सकते हैं. ज्यादा दिन तक दस्त की समस्या से डायरिया होने की सम्भावना होती है. इससे निबटने के लिए ही राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा पखवाड़ा चलाया जा रहा है. जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों पर ओआरएस-जिंक कॉर्नर का निर्माण करवाया गया है. केन्द्र आने वाले सभी बच्चों के परिजन इसका लाभ उठा सकते हैं. इसके अलावा क्षेत्र की आशा व एएनएम द्वारा घर-घर जाकर भी लोगों तक यह उपलब्ध कराई जाएगी ताकि कोई भी बच्चा को दस्त या डायरिया की समस्या न हो.

बच्चों को दी जाएगी ओआरएस पैकेट व जिंक की गोलियां
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चन्द्र पासवान ने कहा कि मल की अवस्था में बदलाव या सामान्य से ज्यादा पतला या पानी जैसा होने वाला मल को दस्त कहते हैं. बारिश के मौसम में बच्चों में दस्त की समस्या ज्यादा होती है. दो-चार दिनों से ज्यादा समय तक हो रहे दस्त डायरिया में तब्दील हो सकता है. इसी की खत्म करने के लिए दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जा रहा है. जिले में कुल अनुमानित 6 लाख 25 हजार बच्चे हैं. सभी को एक ओआरएस पैकेट व जिंक की गोलियां दी जाएगी. पर जो बच्चे डायरिया से ग्रसित हैं उन्हें 2 ओआरएस के पैकेट व 14 जिंक गोलियां दिए जाएंगे. इसके लिए आशा व एएनएम घर-घर तक जाएंगी. डायरिया व दस्त से बचाव की जानकारी देने के लिए जिले में जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. इसके साथ ही जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने लोगों से यह भी अपील की कि अगर किसी क्षेत्र में अति कुपोषित बच्चा है और वह दस्त से ग्रसित है तो उसे तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में जांच करवाएं. इससे बच्चे को डायरिया ग्रसित होने से बचाया जा सकता है.

ओआरएस व जिंक से होगा दस्त का असरदार इलाज

अगर किसी को दस्त की समस्या है तो उसे ओआरएस का घोल व जिंक की गोलियां देनी चाहिए. यह दस्त से उबारने का बिल्कुल असरदार इलाज है. दस्त शुरू होते ही हर दस्त के बाद ओआरएस घोल लेना चाहिए जब तक कि दस्त ठीक न हो जाए. प्रत्येक दस्त के बाद ओआरएस घोल 2 माह से कम आयु के बच्चों को 5 चम्मच, 2 माह से 2 वर्ष के बच्चों को एक चौथाई से आधा कप, 2 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों को आधा से एक कप देना है. वहीं 2 माह से 6 माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली(10 मि.ग्रा.) व 6 माह से 5 साल तक के बच्चों को 1 गोली(20 मि.ग्रा.) साफ पानी या माँ के दूध में घोल कर पिलाना चाहिए.

ओआरएस व जिंक से होने वाले फायदे :
• शरीर में नमक और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है.
• उल्टी और दस्त में कमी लाता है.
• पानी की कमी को पूरा कर के दस्त को जल्दी ठीक करने में मदद करता है.

जिंक :
• दस्त की अवधि और तीव्रता दोंनो को कम करता है.
• तीन महीने तक दस्त से सुरक्षित रखता है.
• लम्बे समय तक शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है.

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