चतुर्ग्रही योग के शुभ संयोग में 2 सितंबर को विराजेंगे गणपति

सिद्ध विनायक की उपासना से हर काम सिद्ध हो जाता है .यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान गणपति का प्राकट्य हुआ था.

बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता

हिन्दू पञ्चाङ्गानुसार आगामी 02 सितंबर दिन सोमवार को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा.  इस दिन बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में गणेश की पूजा -अर्चना की जाती है। इस बार गणेश चतुर्थी पर दो शुभ योग और ग्रहों -नक्षत्रों का शुभ संयोग बन रहा है। जिससे इसकी महत्ता और बढ़ गई है .

मनमानस ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के प्रणेता कर्मकांड विशेषज्ञ पं० राकेश झा शास्त्री ने बताया कि भगवान गणेश का जन्म भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि को मध्याह्र काल में स्वाति नक्षत्र तथा सिंह लग्न के युग्म संयोग में हुआ था। इसीलिए इनकी पूजा मध्याह्र काल में की जाती है। जिसे अत्यंत शुभ माना गया है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गजानन को विद्या-बुद्धि का प्रदाता, विघ्न-विनाशक एवं मंगलकारी कहा गया है।

यह पर्व पुरे दस दिवस तक चलता है. भादव शुक्ल चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी को इसका विसर्जन के साथ इसका पूर्णाहुति की जाती है.  इस दौरान गणेश की भव्य पूजा-आरती की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काम सिद्धि के लिए गणेश की उपासना आवश्यक है.

ग्रह-नक्षत्रों का बन रहा शुभ संयोग

ज्योतिषी पंडित झा के अनुसार इस साल गणेश चतुर्थी पर ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बन रहे हैं। इनके साथ ही सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है। सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र के होने से चतुर्ग्रही योग बना रहा हैं।

सितारो की इस शुभ स्थिति के कारण ये त्योहार और भी महत्वपूर्ण हो गया हैं । ग्रह-नक्षत्रों के इस शुभ संयोग में गणेश स्थापना करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होगी।

चित्रा नक्षत्र में होगी स्थापना

पंडित झा ने कहा कि सोमवार को दिन की शुरुआत हस्त नक्षत्र में होगी और गौरी पुत्र गणेश की स्थापना चित्रा नक्षत्र में की जाएगी। मंगल के इस नक्षत्र में चंद्रमा होने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। चित्रा नक्षत्र और चतुर्थी का संयोग सुबह दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा और पूरे दिन तक रहेगा।

शुक्ल और रवियोग बनने से दिन और भी खास हो जाएगा। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश स्थापना की जा सकती है। पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेश स्थापना की जा सकती है।

चन्द्र दर्शन दोष से बचाव

पंडित झा के मुताबिक भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि गुरुवार की रत में चंद्रदर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है. जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते है, उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है. ऐसा शास्त्रों का निर्देश व अनुभूत है. कलंक के डर से मान्यता बन गई है, जिससे लोग इस तिथि पर चंद्र दर्शन नहीं करते है.

पर्व को लेकर प्रचलित कथा

ज्योतिषी झा ने कहा कि इस पर्व को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार शिव ने क्रोध में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था. इसके बाद पार्वती के नाराज होने पर उन्होंने गणेश को नया रूप दिया. बाद में गणेश प्रथम पूज्य देवता बने I शास्त्रों में गणेश की उपासना के कई विधान और शुभ फलदायक बताया गया है.गणपति की पूजा- अर्चना से हर काम पूरा होता है तथा भादो माह में उनकी पूरे देश में उपासना धूमधाम से की जाती है.

मूर्ति स्थापना व पूजा मुहूर्त

शुक्ल योग:- सुबह 11:07 बजे से पुरे दिन
अभिजीत मुहूर्त:- मध्याह्न 12:01 बजे से 12:52 बजे तक
गुली काल मुहूर्त:- दोपहर 02:01 बजे से 03:35 बजे तक

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